कांकेर: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी अब 31 जनवरी को खत्म हो जाएगा. हालांकि अब तक कई किसानों ने धान नहीं बेचा है. ऑनलाइन टोकन भी उपलब्ध न होने से किसान परेशान हैं. अब धान खरीदी के लिए दो तीन दिन ही शेष बचा है. वहीं, जिले के पंजीकृत किसानों और बेचने वाले किसानों के अंतर को देखा जाए तो 14 हजार किसान अभी भी धान बेचने की कतार में है.
धान खरीदी की मियाद बढ़ाई जाए: कई जिले के किसानों ने धान खरीदी के समय को बढ़ाने की मांग की है. वहीं, कुछ किसानों ने मौसम खराब होने के कारण धान न बेच पाने की बात कही है. इस मामले में कांकेर डीएमओ आशुतोष कोसरिया ने बताया कि, "जिले में 1 लाख 12 हजार 20 किसानों ने पंजीयन कराया था. अभी तक 87 हजार 214 किसान धान बेच चुके हैं. जिले में 14 हजार 6 पंजीकृत किसान बचे हैं, जो अभी तक धान नहीं बेच पाए हैं.
जिले में धान खरीदी का तय लक्ष्य भी नहीं हुआ पूरा: कांकेर जिले में धान खरीदी का लक्ष्य 4 लाख 95 हजार 197 मैट्रिक टन रखा गया था. हालांकि अभी तक 4 लाख 56 हजार 364 मैट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. लक्ष्य से अभी जिला 39 हजार 833 मैट्रिक टन पीछे है.
धान की गुणवत्ता पर पड़ेगा असर: जिले की नई समितियों के खरीदी प्रभारियों की मानें तो बेमौसम बारिश से धान भीग गया है. उसकी गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ना तय है. दो दिन की बारिश से कई जगह का धान गीला हो गया है. धान का उठाव समय पर नहीं हुआ तो इसका नुकसान समिति को उठाना पड़ सकता है. समिति पर रखा गीला धान की गुणवत्ता पूरी तरह से खराब होने की संभावना बन रही है.
14 हजार किसानों का टोकन कटा: जिला खाद्य अधिकारी का कहना है कि, "जिले में पंजीकृत किसानों में से अब केवल 14 हजार किसान धान बेचने के लिए बचे हुए हैं. धान खरीदी के लिए महज तीन दिन बचा हुआ है. ऐसे में बचे किसानों से धान खरीदी की जा सकेगी. यहां 14 हजार किसानों का टोकन कट चुका है. 31 जनवरी तक इनकी खरीदी हो जाएगी. समय बढ़ाने को लेकर अभी तक शासन से कोई निर्देश नहीं मिला है. शासन से कोई निर्देश मिलेगा, तभी समय बढ़ाया जा सकेगा."
40 फीसद से अधिक धान अब भी केंद्रों में जाम: जिले के 149 खरीदी केंद्रों में परिवहन मात्र 59.44 फीसद हो पाया है. 40 फीसद से अधिक धान जाम पड़ा है. 124 खरीदी केंद्र बफर लिमिट में आ चुके हैं. बीते साल धान खरीदी के लिए 2 संग्रहण केंद्र बनाए गए थे लेकिन इस साल एक भी संग्रहण केंद्र नहीं बनाया गया है. संग्रहण केंद्र बनाने से धान परिवहन में तेजी आती है. खरीदी केंद्र में चूहे और दीमक का खतरा रहता है. नियम खरीदी के 72 घंटे में परिवहन करने का है, लेकिन जिले में महीना बीत जाने के बावजूद परिवहन नहीं हो पा रहा है.