गया: बिहार के गया में विश्व विख्यात पितृपक्ष मेला चल रहा है. आश्विन कृष्ण द्वादशी को गया जी की तीन विभिन्न वेदियों पर पिंडदान का विधान है. बताया जाता है कि ये वेदियां गयाजी धाम की मुख्य वेदियों में शामिल हैं. भीम गया, गदा लोल और गो प्रचार में पिंडदान करने का विधान है. इस तरह रविवार को पितृपक्ष मेले में आए पिंडदानी उन तीनों वेदियों पर अपने पितरों के मोक्ष की कामना के निमित्त पिंडदान का कर्मकांड करेंगे.
महाभारत युद्ध के बाद पहुंचे थे भीम: आश्विन कृष्ण द्वादशी को गया जी धाम के भीमगया, गदालोल और गो प्रचार कदलो वेदियों में पिंडदान करने का विधान है. महाभारत युद्ध के बाद भीम यहां आए थे और अपने पितरों के निमित्त पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड किया था. यहां भीम ने अपने बाएं घुटने को मोड़कर श्राद्ध किया था. बताया जाता है कि उनके घुटने का चिह्न आज भी भीमगया पिंड वेदी पर मौजूद है. भीम गया पिंड बेदी पर पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितर स्वर्ग लोक को प्राप्त हो जाते हैं.
विष्णु जी ने गदा लोल सरोवर पर गदा धोया था: वहीं गदालोल पिंडवेदी में आश्विन कृष्ण द्वादशी को पिंडदान का विधान है. गदा लोल की धार्मिक महत्ता है. वायु पुराण में भी इसका जिक्र है. गदालोल पिंड वेदी के संदर्भ में बताया जाता है कि यहां भगवान विष्णु ने हैती दैत्य को मारा था. हैती दैत्य को मारने के बाद गदा लोल सरोवर में गदा को धोया था, तब से गदा लोल पिंड वेदी के समीप रहा सरोवर गदा लोल सरोवर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
पितरों को मिलता है स्वर्ग लोक: यह कथा वायु पुराण में वर्णित है. हालांकि, अब पत्थर का रहा प्रतिमा स्वरूप भगवान विष्णु की गदा अतिक्रमण में छुप गया है. इस तरह गया जी की मुख्य पिंड वेेदियो में से गदा लोल पिंड वेदी है, जहां पिंडदान करने का विधान है. आश्विन कृष्ण द्वादशी को भीम गया, गदा लोल और गो प्रचार पिंड वेदी में पिंडदान कर पितरों के निमित्त मोक्ष की कामना की जाती है. यहां पिंडदान से पितर स्वर्गलोक को प्राप्त हो जाते हैं.
वेदी ब्रह्मा जी से जुड़ी हैं गो प्रचार: इसी प्रकार गो प्रचार पिंड वेदी भी मुख्य वेेदियो में एक है. गया जी की मुख्य वेदियों में शामिल गो प्रचार वेदी ब्रह्मा जी से जुड़ी हुई है. यहां ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था और सवा लाख कामधेनु गाय को गयापाल पंडों को दान दिया था. गो प्रचार वेदी में यज्ञ के दौरान गायों को जिस पर्वत पर रखा गया, उसे गोचर वेदी के नाम से जाना गया. गो प्रचार के समीप ही गोचर वेदी है.
गो प्रचार में करें पिंडदान: गो प्रचार में आज भी गायों के खुर के निशान देखे जा सकते हैं. यह मान्यता है कि पितरों का पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और स्वर्ग लोक प्राप्त हो जाता है. इस तरह आश्विनी कृष्ण द्वादशी को भीम गया, गदालोल और गो प्रचार में पिंडदान करने का विधान है.
तीर्थ यात्रियों का आना जारी: गयाजी धाम में तीर्थयात्रियों का आना जारी है. अब पितृ पक्ष मेले के चार दिन ही शेष रह गए हैं. ऐसे में पिंडदानियों की भीड़ बढ़ने लगी है. पिंडदानी देश और विदेशों से अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर गया जी धाम को पहुंच रहे हैं और गयाजी धाम पहुंचकर विभिन्न पिंड वेदियों पर पितरों के मोक्ष की कामना के निमित्त पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. इस बार पिंडदानियों को गयाजी धाम से गंगाजल उपहार स्वरूप भी दिया जा रहा है. गया जी धाम में पिंडदानियों के लिए जिला प्रशासन द्वारा कई अच्छी व्यवस्थाएं की गई है, जिसकी तीर्थ यात्री प्रशंसा भी कर रहे हैं.
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