पटना: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार में जुट गई हैं. लेकिन, बिहार में 2024 का लोकसभा चुनाव कुछ मायनों में मायूस करने वाला है. बिहार की राजनीति के वे चेहरे जिनका भाषण सुनने के लिये दूर-दूर से लोग जुटते थे, इस बार चुनाव में नहीं दिखेंगे. इस बार बिहार की जनता राजनीति के धुरंधरों की कमी महसूस करेगी. आइए जानते हैं, इस लिस्ट में कौन से नाम शामिल हैं.
लालू यादव के चुटीला अंदाज की कायल जनता: लालू प्रसाद 1990 से लगातार बिहार की राजनीति के केंद्र बिंदु रहे हैं. उनके ठेठ बिहारी अंदाज के भाषण के लाखों लोग दीवाने हैं. लालू प्रसाद का भाषण चल रहा हो तो समर्थक क्या, उनके विरोधी भी सुनने के लिए रुक जाते थे. अपने चुटीले अंदाज से लालू प्रसाद यादव अपने विरोधियों पर निशाना साधते हैं. लालू के इस अंदाज पर उनके समर्थक जमकर ताली बजाते हैं.
चुनाव के प्रचार-प्रसार में कम सक्रीय: ठेठ बिहारी भाषा में व्यंग के जरिए अपने विरोधियों पर निशाना साधना यह लालू यादव की कला रही है. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में इस बार लालू प्रसाद यादव बहुत ज्यादा चुनाव प्रचार करते नजर नहीं आएंगे. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें आराम करने की सलाह दी गई है. यही कारण है कि लालू प्रसाद यादव मात्र कुछ जगह पर चुनाव प्रचार करने जा सकते हैं.
बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा गए बंगाल: बिहारी बाबू के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा बिहार ही नहीं पूरे देश में भीड़ जुटाने वाले नेता के रूप में जाने जाते थे. उनके निराले अंदाज को देखने के लिए लाखों की संख्या में भीड़ जुटती थी, लेकिन इस बार बिहारी बाबू बिहार के लोगों को खामोश कर बंगाल चले गए हैं. वह पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टीएमसी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए 2024 के चुनाव में बिहार के लोग उनका भाषण नहीं सुन सकेंगे.
रामविलास पासवान का 2020 में निधन: रामविलास पासवान बिहार की राजनीति में 50 वर्षों तक अपनी धाक जमा कर रखे. रामविलास पासवान के भाषण का भी निराला अंदाज था. एक सांस में 50 से अधिक जातियों का नाम लेकर वो संबोधित करते थे. रामविलास पासवान का तकिया कलाम था कि वह माली अच्छा होता है, जिसके बाग में तरह-तरह के फूल खिले रहते हैं. 2024 के चुनाव में रामविलास पासवान का भाषण सुनने को नहीं मिलेगा, क्योंकि 8 अक्टूबर 2020 को उनका निधन हो गया है.
रघुवंश बाबू के भाषणों को याद करेगी जनता: लालू प्रसाद के बाद राजद में रघुवंश प्रसाद सिंह की गिनती दूसरे नंबर पर होती थी. रघुवंश बाबू की पहचान बिहार के खंटी बिहार नेता के रूप में रही है. लालू प्रसाद उन्हें ब्रह्मबाबा के नाम से पपुकारते थे. सदन हो या जनसभा रघुवंश बाबू ठेठ बिहारी अंदाज में जब भाषण देते थे तो आम लोग इसका जमकर आनंद उठाते थे. 2024 लोकसभा चुनाव में इस बार लोग रघुवंश बाबू को मिस करेंगे, क्योंकि 13 सितंबर 2020 को रघुवंश बाबू का निधन हो गया है.
कैंसर से लड़ रहे सुशील कुमार मोदी: बिहार बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी भी 2024 के चुनाव में नजर नहीं आएंगे. बिहार में पिछले 30 वर्ष से सुशील मोदी बीजेपी के चुनाव अभियान को लीड कर रहे थे, लेकिन 2024 में वह चुनाव प्रचार नहीं करेंगे. खुद सुशील कुमार मोदी ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पिछले 6 माह से वह कैंसर से पीड़ित हैं, इसी कारण इस बार चुनाव प्रचार से दूर रहेंगे, इसकी जानकारी उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी दे दी है.
लालू की कमी पूरी कर रहे छोटे लालू: लालू प्रसाद शारीरिक रूप से अभी अस्वस्थ हैं. यही कारण है कि वे चुनावी सभा से अपने को दूर रखे हुए हैं. लेकिन 2024 के चुनाव में उनकी कमी नहीं खलने दी जाएगी, यह कहना है कृष्ण यादव उर्फ छोटे लालू का. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए छोटे लालू ने लालू प्रसाद यादव के स्टाइल में बात करते हुए कहा कि लालू जी बीमार हैं, लेकिन वे लोग जनता के बीच में जाकर नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की पोल खोलेंगे.
"लालू प्रसाद यादव की तबीयत खराब है वह चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे, उनकी कमी खलेगी. लेकिन युवा पीढ़ी 24 के चुनाव को संभालने का काम करेंगे. जनता के बीच में जाकर कहेंगे कि एक लालू बीमार है तो वह लोग चुनाव में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार को भगाने के लिए तैयार हैं. 24 के चुनाव में वह लोग पूरा बिहार घूमेंगे और बताएंगे कि जितनी बार बरेली के बाजार में झुमका नहीं गिरा था, उतनी बार बिहार में नीतीश कुमार ने पलटी मारने का काम किया."- कृष्ण यादव, छोटा लालू
क्या कहते हैं विश्लेषक: इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि 2024 के चुनाव में बिहार की राजनीति के कई बड़े चेहरे नहीं दिखाई देंगे. लालू प्रसाद यादव शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं. उनकी सक्रियता कम दिखेगी कुछ जगहों पर वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं. रघुवंश प्रसाद सिंह जिस गवई अंदाज में भाषण देते थे, वह इस बार सुनने को नहीं मिलेगा.
"शत्रुघ्न सिन्हा बिहार छोड़कर बंगाल से चुनाव लड़ रहे हैं. रामविलास पासवान की कमी खलेगी क्योंकि जब वह भाषण देने के लिए जाते थे तो नारा लगाता था कि ऊपर भगवान और नीचे पासवान. यह नहीं सुनने को मिलेगा. सुशील मोदी भी इस चुनाव में नजर नहीं आएंगे. तो यह बड़े चेहरे इस बार चुनाव प्रचार में नहीं दिखेंगे."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
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