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लोहरदगा की राजनीति में हासिए पर महिलाएं, उरांव बहुल एकमात्र सीट जहां नहीं मिली तरजीह - Lok Sabha Election 2024

Female Candidate in Lohardaga. राजनीति में जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात कही जाती है. लेकिन झारखंड के लोहरदगा लोकसभा सीट पर आधी आबादी की भागीदारी शून्य है. यहां पर एक भी महिला ने चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखाई. यह आलम सिर्फ इस चुनाव का ही नहीं बल्कि पिछले कई चुनावों से स्थिति ऐसी ही है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 11, 2024, 7:05 PM IST

Female Candidate in Lohardaga
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड के चुनावी रण में लोहरदगा एक ऐसा संसदीय क्षेत्र है जहां एक बार फिर कोई भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरी हैं. यह पहला मौका नहीं है जब कोई महिला प्रत्याशी इस चुनाव क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के दौरान रुचि नहीं दिखाई है बल्कि इससे पहले हुए दो लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति बनी थी.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव में इस संसदीय सीट से कुल 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है जिसमें एक भी महिला प्रत्याशी नहीं है. इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी. यदि बात 2014 की करें तो इस चुनाव में 9 प्रत्याशी मैदान में उतरे जिसमें एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी. पहले चरण में जिन चार सीटों पर 13 मई को चुनाव होने हैं उसमें कुल 45 उम्मीदवारों में मात्र 9 महिला प्रत्याशी हैं जिसमें सर्वाधिक सिंहभूम में है जहां पांच महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में है.

लोहरदगा को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में बढ रही है महिलाओं की भागीदारी

झारखंड में 14 लोकसभा क्षेत्र हैं जिसमें लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढी है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2014 के चुनाव में 240 प्रत्याशियों में 18 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में 229 प्रत्याशियों में 25 महिला प्रत्याशी थे. बात यदि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए चल रहे नामांकन की करें तो अब तक दाखिल 192 प्रत्याशियों के नामांकन में 23 महिला प्रत्याशियों के द्वारा नॉमिनेशन दाखिल किया जा चुका है.

चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो अब तक सबसे ज्यादा सिंहभूम में पांच नामांकन इस साल हुए हैं. इसी तरह 2019 के चुनाव में सर्वाधिक महिला प्रत्याशी जमशेदपुर और खूंटी से रहे थे. 2014 में धनबाद और खूंटी में सर्वाधिक तीन-तीन महिला प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाया. इस तरह से देखें तो लोहरदगा ही एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जहां लगातार तीन लोकसभा चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरी.

एसटी के लिए रिजर्व सीट है लोहरदगा

लोहरदगा जनजाति बहुल क्षेत्र है. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक झारखंड में 32 जनजातियां निवास करती हैं. इन 32 जनजातियों में संताल, उड़ांव, मुंडा और खड़िया की सर्वाधिक आबादी है. लोहरदगा में उड़ांव जनजाति की आबादी सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि इस क्षेत्र से चुनाव के वक्त इनकी भूमिका अहम होती है.

सामाजिक कार्यकर्ता सत्यप्रकाश मिश्रा कहते हैं कि यह बड़ी विडंबना है कि लोहरदगा जैसे क्षेत्र से कोई भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतर पा रही है. इसके पीछे की बड़ी वजह जागरूकता की कमी और महिलाओं में इच्छा शक्ति का अभाव माना जा सकता है. यह क्षेत्र पिछड़ापन का शिकार है जिस वजह से यहां धर्मांतरण जैसी घटना होती रही हैं. ऐसे में यहां महिलाएं सिर्फ वोटबैंक बनकर रह गई हैं.

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रांची: झारखंड के चुनावी रण में लोहरदगा एक ऐसा संसदीय क्षेत्र है जहां एक बार फिर कोई भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरी हैं. यह पहला मौका नहीं है जब कोई महिला प्रत्याशी इस चुनाव क्षेत्र से लोकसभा चुनाव के दौरान रुचि नहीं दिखाई है बल्कि इससे पहले हुए दो लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति बनी थी.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव में इस संसदीय सीट से कुल 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है जिसमें एक भी महिला प्रत्याशी नहीं है. इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी. यदि बात 2014 की करें तो इस चुनाव में 9 प्रत्याशी मैदान में उतरे जिसमें एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी. पहले चरण में जिन चार सीटों पर 13 मई को चुनाव होने हैं उसमें कुल 45 उम्मीदवारों में मात्र 9 महिला प्रत्याशी हैं जिसमें सर्वाधिक सिंहभूम में है जहां पांच महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में है.

लोहरदगा को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में बढ रही है महिलाओं की भागीदारी

झारखंड में 14 लोकसभा क्षेत्र हैं जिसमें लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढी है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2014 के चुनाव में 240 प्रत्याशियों में 18 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में 229 प्रत्याशियों में 25 महिला प्रत्याशी थे. बात यदि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए चल रहे नामांकन की करें तो अब तक दाखिल 192 प्रत्याशियों के नामांकन में 23 महिला प्रत्याशियों के द्वारा नॉमिनेशन दाखिल किया जा चुका है.

चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो अब तक सबसे ज्यादा सिंहभूम में पांच नामांकन इस साल हुए हैं. इसी तरह 2019 के चुनाव में सर्वाधिक महिला प्रत्याशी जमशेदपुर और खूंटी से रहे थे. 2014 में धनबाद और खूंटी में सर्वाधिक तीन-तीन महिला प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाया. इस तरह से देखें तो लोहरदगा ही एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जहां लगातार तीन लोकसभा चुनाव में एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरी.

एसटी के लिए रिजर्व सीट है लोहरदगा

लोहरदगा जनजाति बहुल क्षेत्र है. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक झारखंड में 32 जनजातियां निवास करती हैं. इन 32 जनजातियों में संताल, उड़ांव, मुंडा और खड़िया की सर्वाधिक आबादी है. लोहरदगा में उड़ांव जनजाति की आबादी सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि इस क्षेत्र से चुनाव के वक्त इनकी भूमिका अहम होती है.

सामाजिक कार्यकर्ता सत्यप्रकाश मिश्रा कहते हैं कि यह बड़ी विडंबना है कि लोहरदगा जैसे क्षेत्र से कोई भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतर पा रही है. इसके पीछे की बड़ी वजह जागरूकता की कमी और महिलाओं में इच्छा शक्ति का अभाव माना जा सकता है. यह क्षेत्र पिछड़ापन का शिकार है जिस वजह से यहां धर्मांतरण जैसी घटना होती रही हैं. ऐसे में यहां महिलाएं सिर्फ वोटबैंक बनकर रह गई हैं.

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