करसोग: हिमाचल प्रदेश सरकार की सतलुज नदी पर मांजू-मंगाण में बने झूले के स्थान पर पुल निर्माण की कोई योजना प्रस्तावित नहीं है. ऐसे में इन अति दुर्गम क्षेत्रों के लोगों को झूले के सहारे ही सफर तय करना होगा. विधानसभा सत्र के दौरान करसोग के विधायक दीपराज की ओर से पूछे गए प्रश्न के लिखित जवाब में ये जानकारी पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दी.
करसोग विधानसभा क्षेत्र के तहत अति दुर्गम क्षेत्र मांजू और मंगाण की जनता के लिए निराश करने वाली खबर है. प्रदेश सरकार की सतलुज नदी पर मांजू-मंगाण में बने झूले के स्थान पर पुल निर्माण की कोई योजना प्रस्तावित नहीं हैं. ऐसे में इन अति दुर्गम क्षेत्रों के लोगों को झूले के सहारे ही सफर तय करना होगा. विधानसभा सत्र के दौरान करसोग के विधायक दीपराज की ओर से पूछे गए प्रश्न के लिखित जवाब में ये जानकारी पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दी.
उन्होंने बताया कि पिछले साल 31 अगस्त, 2023 को सतलुज नदी पर 120 मीटर झूले का निर्माण पूरा किया गया था. जिस पर कुल 14.42 लाख खर्च हुए हैं. ऐसे में यह पुल सुन्नी और करसोग क्षेत्रों के लोगों को संपर्क सुविधा प्रदान कर रहा है. इन गांवों को सलापड़-ततापानी-सुन्नी-लूहरी सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए सतलुज नदी पर पुल व करीब 1/00 किलोमीटर संपर्क मार्ग के निर्माण की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि भविष्य में इस स्थान पर पुल निर्माण किसी योजना में स्वीकृत होने और बजट का समुचित प्रावधान होने पर ही इस बारे में आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
लंबे समय से पुल निर्माण की मांग
करसोग विधानसभा और शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र को आपस में जोड़ने के लिए स्थानीय जनता लंबे समय से मांजू मंगाण सहित आसपास के अति दुर्गम क्षेत्रों के लिए सतलुज नदी पर बने झूले की जगह पुल निर्माण की मांग कर रही है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हर बार जनता दशकों से नेताओं के सामने पुल निर्माण का मामला उठाती आ रही है, लेकिन सिवाए आश्वासनों के जनता को कुछ नहीं मिला है. ऐसे में पुल निर्माण न होने से स्कूली छात्रों, महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
करसोग से पहली बार विधायक बने दीपराज ने लोगों की पीड़ा को समझा था और पिछली साल झूले बैठ कर वे लोगों के बीच मंगाण पहुंचे थे. इस दौरान दीपराज ने झूले के स्थान पर पुल निर्माण के मामले को सरकार के समक्ष उठाए जाने का भरोसा दिया है. करसोग के इतिहास में ये पहली बार था कि कोई विधायक झूले पर बैठकर खुद जनता का दुख दर्द बांटने मंगाण पहुंचा था.
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