अलवर. देशभर में ऐसे कम ही मंदिर होंगे, जहां गर्भगृह में एक ही भगवान की दो मूर्तियां विराजित हों. अलवर शहर के पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की दो प्रतिमाएं विराजित हैं. मंदिर के महंत के अनुसार एक प्रतिमा जब रथ यात्रा के लिए निकलती है, तब दूसरी प्रतिमा के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलते हैं, जिन्हें बूढे़ जगन्नाथ के रूप मे जाना जाता है.
महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ की दो प्रतिमाएं विराजित हैं, जिनमे से एक गर्भगृह के सामने ही दिखाई देती है, वहीं दूसरी भगवान जगन्नाथ के ठीक पीछे अचल प्रतिमा है. अचल प्रतिमा के दर्शन श्रद्धालुओं को रथ यात्रा महोत्सव के दौरान 4 दिनों तक होते हैं. उन्होंने बताया की बूढे़ जगन्नाथ की अचल प्रतिमा नीलम के पत्थर से निर्मित है, जो करीब साढ़े 5 फीट की है.
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4 दिन तक रहेगी भक्तों की भीड़ : महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि जगन्नाथ मंदिर परिसर में बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन शुरू हो गए हैं. इनके दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ रही है. साल भर में मात्र 4 दिन ही बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन होते हैं. इसके चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. महंत ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि जितने भी भक्त रूपवास में दर्शन के लिए जाते हैं, वह मंदिर में आकर बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन जरूर करते हैं.
600 साल पुरानी है बूढे़ जगन्नाथ की प्रतिमा : मंदिर के महंत धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में विराजित नीलम के पत्थर निर्मित बूढ़े जगन्नाथ जी की प्रतिमा करीब 600 साल से पुरानी है. यह प्रतिमा वजन में काफी भारी है. इस प्रतिमा के ओरिजिन के बारे में कह पाना मुश्किल है.