शिमला: वर्ल्ड स्नेक डे हर साल 16 जुलाई को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य सांपों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके संरक्षण के महत्व को समझाना है. सांप हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और जैव विविधता को बनाए रखने में मददगार हैं लेकिन सांपों के प्रति लोगों में अक्सर डर और गलतफहमियां होती हैं.
वर्ल्ड स्नेक डे लोगों को सांपों के बारे में सही जानकारी देने और उनके संरक्षण के प्रयासों को समर्थन देने का एक अवसर प्रदान करता है. इसी संदर्भ में हिमाचल में सांपों की जहरीली प्रजातियों और सर्प दंश के दौरान बरती जानी वाली सावधानियों को लेकर ईटीवी भारत ने प्रतिष्ठित पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित डॉ. ओमेश भारती से बात की है.
100 से ज्यादा लोग बनते हैं अकाल मौत का ग्रास
छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में सर्पदंश को लेकर जागरूकता का अभाव है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सांप के काटने पर कुछ लोग झाड़-फूंक और घरेलू उपाय करने लगते हैं. ऐसा करना सांप के काटे गए व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. हिमाचल की आबादी 72 लाख से अधिक हैं. यहां 80 फीसदी से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. लोगों का मुख्य पेशा यहां खेतीबाड़ी और पशुपालन से जुड़ा है.
ऐसे में बरसात के मौसम में खेतों में अधिक घास होने की वजह से सर्पदंश के अधिक मामले सामने आते हैं जिससे प्रदेश भर में औसतन 100 लोगों की मौत सर्पदंश की वजह से हर साल होती है. जागरूकता के अभाव में सांप के काटने पर व्यक्ति को अस्पताल न पहुंचाकर लोग घरेलू उपाय करते हैं. विशेषज्ञों ने इसे जानलेवा बताया है.
हिमाचल में सांपों की करीब 21 प्रजातियां
हिमाचल में सांपों की करीब 21 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें सांप की तीन प्रजातियां कॉमन करैत (Common Krait), स्पेक्टेकल कोबरा व रसल वाइपर (Russell's viper) सबसे जहरीली प्रजाति के सांप हैं. इसी तरह से प्रदेश में चार प्रजातियां सांप की थोड़ी कम जहरीली हैं. वहीं, 15 सांपों की प्रजातियां ऐसी हैं, जिनके काटने से आदमी की मौत नहीं होती.
कॉमन करैत दक्षिण एशिया का सबसे जहरीला सांप
कॉमन करैत भारत और दक्षिण एशिया में पाया जाने वाला एक विषैला सांप है. यह सांप अपने तेज विष और रात्रीकालीन स्वभाव के लिए जाना जाता है. ये सांप कोबरा प्रजाति से पांच गुणा जहरीला होता है. इसके काटने पर व्यक्ति की कुछ ही घंटों में मौत हो जाती है. यह सांप अपने खतरनाक विष और चुपचाप हमला करने के कारण बहुत खतरनाक माना जाता है.
स्पेक्टेकल कोबरा
स्पेक्टेकल कोबरा को भारतीय कोबरा भी कहा जाता है, ये कोबरा सांप की एक प्रमुख प्रजाति है. यह दक्षिण एशिया, खासकर भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में पाया जाता है. "स्पेक्टेकल" का मतलब होता है चश्मा, जो इसके हुड पर बने चश्मे जैसे निशान से प्रेरित है.
रसल वाइपर (Russell's viper) की प्रजाति Daboia russelii है. यह एक अत्यंत विषैला सांप है, जो मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है. यह सांप अपनी आक्रामकता और विष की ताकत के लिए जाना जाता है, जो इसे एक खतरनाक प्रजाति बनाता है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक सांप के काटने पर प्रजाति की पहचान किए बिना व्यक्ति को तुरंत प्रभाव से अस्पताल ले जाया जाना चाहिए तभी सर्पदंश से होने वाली मौतों के आंकड़े को कम किया जा सकता है.
सांपों की प्रजातियों का डाटा तैयार
सांपों की प्रजातियों पर रिसर्च कर रहे पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित डॉ ओमेश भारती का कहना है कि दुनिया में हर साल सांप के काटने से 50 हजार से अधिक मौतें होती हैं. इसमें ज्यादातर मौतें भारत में होती हैं. सांप के काटने पर बहुत से लोगों के अंग भी काटने पड़ते हैं.
ऐसे में सांपों की प्रजातियों पर ये रिसर्च की जा रही है कि किस तरह से मौत के आंकड़ों को कम करने और लोगों के अंगों को बचाया जा सके. उन्होंने कहा रिसर्च में सामने आया है कि हिमाचल में सांपों की कुल 21 प्रजातियां हैं जिसमें तीन सबसे ज्यादा जहरीली हैं.
सांप के काटने से हिमाचल में हर साल करीब 100 मौतें होती हैं. ऐसे में सर्पदंश पर खुद इलाज न कर ऐसे व्यक्ति को तुरंत प्रभाव से अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए. समय रहते इलाज मिलने पर व्यक्ति की जान बच सकती है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सांप की सभी तरह की प्रजातियों का डाटा तैयार किया गया है.
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