अलवर. सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ ही नहीं रहा, बल्कि यहां के बाघ लंबा जीवन भी जी रहे हैं. सामान्य: बाघों की औसत आयु 12 से 13 वर्ष मानी जाती है, लेकिन सरिस्का में कई बाघ 18 से 19 साल आयु तक जीवन जिए हैं. सरिस्का में बाघों के लंबे जीवन के पीछे सबसे बड़ा कारण यहां का हार्ड क्लाइमेट है.
सरिस्का में सर्दियों में तापमान 1 डिग्री तक गिर जाता है. वहीं, गर्मियों में 48 डिग्री तक पहुंच जाता है. सरिस्का की ये कठिन परिस्थितियां ही वन्यजीवों को जीने की कला सिखाती है. साथ ही सरिस्का के जंगल की भौगोलिक स्थिति और भोजन, पानी की उपलब्धता भी बाघों को लंबे जीवन देने में सहायक रही हैं. सरिस्का में अभी 43 बाघ-बाघिन व शावक हैं. साथ ही सरिस्का में बाघों की लंबी उम्र का राज यहां का प्राकृतिक आवास है.
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तब बाघ विहीन हो गया था सरिस्का : बाघों के निरंतर शिकार के चलते साल 2005 में सरिस्का को बाघ विहीन घोषित करना पड़ा था, लेकिन बाद में रणथंभौर से सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों का सफल पुनर्वास कराया गया. इसके चलते सरिस्का फिर से एक बार बाघों से फल फूल रहा है. वर्तमान में यहां बाघों की संख्या 43 तक पहुंच गई है. हालांकि, इस दौरान सरिस्का में कई बाघों की मौत भी हुई, लेकिन इनमें से कई 18 से 19 साल तक जीवित रहे.
विषम परिस्थितियां बढ़ाती है प्रतिरोधक क्षमता : पूर्व फील्ड डायरेक्टर व मुख्य वन संरक्षक सुनयन शर्मा का कहना कि सरिस्का का हार्ड क्लाइमेट है. सर्दियों में जंगल में तापमान 1 डिग्री और गर्मियों में 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. ऐसी विषम परिस्थितियों में रहने वाले जीवों की प्रतिरोधक क्षमता भी उसी हिसाब से बढ़ जाती है. उनका कहना है कि अन्य अभयारण्यों में तापमान में इतना उतार-चढ़ाव नहीं होता है. वहीं, सरिस्का में बाघों के लिए प्रचुर मात्रा में भोजव व पानी उपलब्ध है. टेरीटरी बनाने के लिए उसके पास पर्याप्त स्थान है. विचरण के लिए खुला जंगल है, जो बाघों को लंबी आयु देने वाले हैं.
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सरिस्का में 19 साल का लंबा जीवन पाया बाघिन एसटी-2 ने : सरिस्का में बाघिन एसटी-2 सबसे ज्यादा आयु साढ़े 19 साल तक जीवित रही. लंबे समय तक जीवित रहने के कारण इस बाघिन को सरिस्का में दादी के नाम से जाना जाता था. इस बाघिन की मौत भी पूंछ पर घाव होने के कारण हुई थी. इसके अलावा सरिस्का में बाघिन एसटी-3, बाघ एसटी- 6 ने भी करीब 18 साल का जीवन जिया.