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'जिफ' का दूसरा दिन राजस्थानी फिल्मों को रहा समर्पित, ऑस्ट्रेलियन एक्टर एंड्रयू ने कही ये बड़ी बात

Jaipur International Film Festival, जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 'जिफ' का दूसरे दिन राजस्थानी फिल्मों को लेकर चर्चा के नाम रहा. इस दौरान राजस्थानी कमर्शियल फिल्म के डायरेक्टर मनोज कुमार पांडेय और राकेश गोगना ने 'जिफ' के ऑर्गनाइजर हनु रोज से बातचीत की.

Jaipur International Film Festival
Jaipur International Film Festival
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 10, 2024, 9:54 PM IST

आस्ट्रेलियन एक्टर एंड्रयू वियल

जयपुर. 'जिफ' यानी जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन भी फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई. गौरतलब है कि JIFF का आयोजन आयनॉक्स जी टी सेन्ट्रल और राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति, झालाना, जयपुर में हो रहा है. इस बार राजस्थान से 20 फिल्मों की स्क्रीनिंग हो रही है. शनिवार को 'जिफ' के दूसरे दिन की शुरुआत में इसके फाउंडर हनु रोज ने लव यू म्हारी जान राजस्थानी फिल्म के डायरेक्टर मनोज कुमार पांडेय और राकेश गोगना के डायलॉग से किया. इस दौरान उन्होंने पूछा कि क्या राजस्थानी सिनेमा का फिर से सुनहरा दौर आएगा. इस पर फिल्म डायरेक्टर मनोज कुमार ने कहा कि राजस्थान में मुंबई से भी अधिक फिल्म ऐक्टिविटिस होती हैं. राजस्थान की आबादी 8.5 करोड़ है. अगर जनता से एक-एक रुपए लेकर भी फिल्म बनाई जाए तो भी एक अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है. उन्होंने श्याम बेनेगल का उदाहरण दिया, जिन्होंने दो-दो रुपए जनता से लेकर 'मंथन' फिल्म बनाई थी. टूरिंग-टॉकिंग सिनेमा को बताते हुए मनोज ने कहा कि कैसे छतीसगढ़ में डेढ़ करोड़ जनसंख्या वाले क्षेत्र से साढ़े तीन करोड़ का कारोबार किया गया. राजस्थान में भी इसे अपनाना चाहिए.

इस डायलॉग के बीच फिल्म डायरेक्टर राकेश गोगना ने कहा कि कैसे राजस्थान में राजस्थानी बोलने वालों को कम पढ़ा लिखा आंका जाता है. एक बड़े बदलाव और भाषायी अपनाव की ज़रूरत है. उन्होंने दादा साहेब फाल्के के आंदोलन और भाषायी सिनेमा के क्रेज की बात की और बताया कि कैसे असमी, बंगाली, उड़िया सिनेमा बढ़ रहे हैं और हरियाणवी सिनेमा को तो ओटीटी पर भी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. वहीं, इस दौरान शनिवार को पुष्कर फेयर, वाटर एंड फायर, 5 सीजंस - ए जर्नी, वाट रियली हैपेंड, चाह, कन्ने कलैमाने, क्रोज आर वाइट और बासन जैसी फिल्में दिखाई गई. वहीं, रविवार को 'जिफ' में लव यू म्हारी जान, जीवन की खोज, तेरा रूप, मंदिर मस्जिद और भारत का विकास, डर के आगे जीत है, ड्यूटी, वीरा, खीर और बहना जैसी मूवीज की स्क्रीनिंग होगी.

इसे भी पढ़ें - JIFF में 63 देशों की 282 फिल्मों की होगी स्क्रीनिंग, दो बार के ग्रेमी विनर रिकी केज रहेंगे आकर्षण

राजस्थानी पर नेगेटिव डायलॉग बंद होने चाहिए : 'जिफ' के फाउंडर हनु रोज ने बताया कि जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का मकसद नवाचार को बढ़ावा देना और राजस्थानी फिल्मों को लेकर लोगों की मानसिकता को बदलना है. उन्होंने कहा कि फिल्मों के लिए फंड्स से ज्यादा फैसिलिटीज, इंफ्रास्ट्रक्चर, लोकेशन की अधिक जरूरत है. साथ ही राजस्थानी को लेकर नेगेटिव डायलॉग बंद होने चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोगों ने बड़ी संख्या में फिल्में बनाई है, वो फिर से राजस्थानी और राजस्थान के सिनेमा नए युग की शुरुआत के संकेत हैं. सरकार को अनुदान के साथ साथ सुविधाएं उपलब्ध करनी चाहिए. जैसा दूसरे राज्यों में है. हनु रोज ने गुजरात की तरह स्पष्ट और सिंपल फिल्म पॉलिसी की राज्य में मांग की और कहा कि सरकार को पुरानी फिल्म पॉलिसी की जगह नई फिल्म पॉलिसी फिर से बनानी होगी. इस ओपन डायलॉग में प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया.

इसे भी पढ़ें - 'चिड़ी बल्ला' को जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में मिले चार अवार्ड्स

तीसरी बार 'जिफ' में आए आस्ट्रेलियन एक्टर एंड्र्यू : आस्ट्रेलियन एक्टर एंड्रयू वियल ने बताया कि 'जिफ' में ये उनकी तीसरी विजिट है. वे एक डायरेक्टर और एक्टर हैं, अपनी ऐक्टिंग को लेकर काफी पैशनेट हैं. उन्हें यही पैशन जयपुर और राजस्थान के युवाओं में दिखता है. पहली बार वे 2012 में जयपुर आये थे और जब से ही उन्हें जयपुर से एक कनेक्शन फील होता है. उन्होंने जयपुर को डायनामिक और वाइब्रेंट सिटी बताया. एंड्रयू ने कहा कि ऐक्टिंग और एंटरटेनमेंट पूरी दुनिया को जोड़ती है. जिफ के अनुभव साझा करते हुए एंड्रयू ने बताया कि कैसे जिफ इंटरनेशनल फ़िल्मों को जगह देता है और विभिन्न भाषाओं के सिनेमा को बढ़ावा देता है. एंड्रयू एआई और सिनेमा उद्योग पर 12 फरवरी को मास्टर क्लास लेने वाले हैं.

डिजिटल क्रिएटर और एक्टर में क्या फर्क है : एंड्रयू ने अपनी बातचीत में बताया कि एक्टर होना बेहद अलग और मुश्किल बात है. एक एक्टर की पर्सनल लाइफ बिल्कुल न के बराबर होती है, एक एक्टर को ऐक्टिंग में जान डालने के लिए कभी कभी उसके अंदर चल रहे द्वन्दों और पर्सनल बिलीफ, दृष्टिकोण से लड़ना पड़ता है. जबकि तेजी से बढ़ते डिजिटल क्रिएटर को यदि सही प्लेटफार्म दे दिया जाए तो वे एक्टिंग क्षेत्र में कमाल कर सकते हैं.

आस्ट्रेलियन एक्टर एंड्रयू वियल

जयपुर. 'जिफ' यानी जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन भी फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई. गौरतलब है कि JIFF का आयोजन आयनॉक्स जी टी सेन्ट्रल और राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति, झालाना, जयपुर में हो रहा है. इस बार राजस्थान से 20 फिल्मों की स्क्रीनिंग हो रही है. शनिवार को 'जिफ' के दूसरे दिन की शुरुआत में इसके फाउंडर हनु रोज ने लव यू म्हारी जान राजस्थानी फिल्म के डायरेक्टर मनोज कुमार पांडेय और राकेश गोगना के डायलॉग से किया. इस दौरान उन्होंने पूछा कि क्या राजस्थानी सिनेमा का फिर से सुनहरा दौर आएगा. इस पर फिल्म डायरेक्टर मनोज कुमार ने कहा कि राजस्थान में मुंबई से भी अधिक फिल्म ऐक्टिविटिस होती हैं. राजस्थान की आबादी 8.5 करोड़ है. अगर जनता से एक-एक रुपए लेकर भी फिल्म बनाई जाए तो भी एक अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है. उन्होंने श्याम बेनेगल का उदाहरण दिया, जिन्होंने दो-दो रुपए जनता से लेकर 'मंथन' फिल्म बनाई थी. टूरिंग-टॉकिंग सिनेमा को बताते हुए मनोज ने कहा कि कैसे छतीसगढ़ में डेढ़ करोड़ जनसंख्या वाले क्षेत्र से साढ़े तीन करोड़ का कारोबार किया गया. राजस्थान में भी इसे अपनाना चाहिए.

इस डायलॉग के बीच फिल्म डायरेक्टर राकेश गोगना ने कहा कि कैसे राजस्थान में राजस्थानी बोलने वालों को कम पढ़ा लिखा आंका जाता है. एक बड़े बदलाव और भाषायी अपनाव की ज़रूरत है. उन्होंने दादा साहेब फाल्के के आंदोलन और भाषायी सिनेमा के क्रेज की बात की और बताया कि कैसे असमी, बंगाली, उड़िया सिनेमा बढ़ रहे हैं और हरियाणवी सिनेमा को तो ओटीटी पर भी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. वहीं, इस दौरान शनिवार को पुष्कर फेयर, वाटर एंड फायर, 5 सीजंस - ए जर्नी, वाट रियली हैपेंड, चाह, कन्ने कलैमाने, क्रोज आर वाइट और बासन जैसी फिल्में दिखाई गई. वहीं, रविवार को 'जिफ' में लव यू म्हारी जान, जीवन की खोज, तेरा रूप, मंदिर मस्जिद और भारत का विकास, डर के आगे जीत है, ड्यूटी, वीरा, खीर और बहना जैसी मूवीज की स्क्रीनिंग होगी.

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राजस्थानी पर नेगेटिव डायलॉग बंद होने चाहिए : 'जिफ' के फाउंडर हनु रोज ने बताया कि जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का मकसद नवाचार को बढ़ावा देना और राजस्थानी फिल्मों को लेकर लोगों की मानसिकता को बदलना है. उन्होंने कहा कि फिल्मों के लिए फंड्स से ज्यादा फैसिलिटीज, इंफ्रास्ट्रक्चर, लोकेशन की अधिक जरूरत है. साथ ही राजस्थानी को लेकर नेगेटिव डायलॉग बंद होने चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोगों ने बड़ी संख्या में फिल्में बनाई है, वो फिर से राजस्थानी और राजस्थान के सिनेमा नए युग की शुरुआत के संकेत हैं. सरकार को अनुदान के साथ साथ सुविधाएं उपलब्ध करनी चाहिए. जैसा दूसरे राज्यों में है. हनु रोज ने गुजरात की तरह स्पष्ट और सिंपल फिल्म पॉलिसी की राज्य में मांग की और कहा कि सरकार को पुरानी फिल्म पॉलिसी की जगह नई फिल्म पॉलिसी फिर से बनानी होगी. इस ओपन डायलॉग में प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया.

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तीसरी बार 'जिफ' में आए आस्ट्रेलियन एक्टर एंड्र्यू : आस्ट्रेलियन एक्टर एंड्रयू वियल ने बताया कि 'जिफ' में ये उनकी तीसरी विजिट है. वे एक डायरेक्टर और एक्टर हैं, अपनी ऐक्टिंग को लेकर काफी पैशनेट हैं. उन्हें यही पैशन जयपुर और राजस्थान के युवाओं में दिखता है. पहली बार वे 2012 में जयपुर आये थे और जब से ही उन्हें जयपुर से एक कनेक्शन फील होता है. उन्होंने जयपुर को डायनामिक और वाइब्रेंट सिटी बताया. एंड्रयू ने कहा कि ऐक्टिंग और एंटरटेनमेंट पूरी दुनिया को जोड़ती है. जिफ के अनुभव साझा करते हुए एंड्रयू ने बताया कि कैसे जिफ इंटरनेशनल फ़िल्मों को जगह देता है और विभिन्न भाषाओं के सिनेमा को बढ़ावा देता है. एंड्रयू एआई और सिनेमा उद्योग पर 12 फरवरी को मास्टर क्लास लेने वाले हैं.

डिजिटल क्रिएटर और एक्टर में क्या फर्क है : एंड्रयू ने अपनी बातचीत में बताया कि एक्टर होना बेहद अलग और मुश्किल बात है. एक एक्टर की पर्सनल लाइफ बिल्कुल न के बराबर होती है, एक एक्टर को ऐक्टिंग में जान डालने के लिए कभी कभी उसके अंदर चल रहे द्वन्दों और पर्सनल बिलीफ, दृष्टिकोण से लड़ना पड़ता है. जबकि तेजी से बढ़ते डिजिटल क्रिएटर को यदि सही प्लेटफार्म दे दिया जाए तो वे एक्टिंग क्षेत्र में कमाल कर सकते हैं.

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