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पीकेसी-ईआरसीपी की नई डीपीआर से योजना में होगा बदलाव, बन सकती है राष्ट्रीय परियोजना! - New DPR Of PKC ERCP - NEW DPR OF PKC ERCP

पीकेसी-ईआरसीपी की नई डीपीआर राजस्थान सरकार दिल्ली में बनवा रही है. नई डीपीआर में इस योजना से जुड़ने वाले बांध और तालाबों की संख्या में इजाफा हो सकता है. सबकुछ सही रहा, तो इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जा सकता है.

New DPR of PKC ERCP
पीकेसी-ईआरसीपी की नई डीपीआर (ETV Bharat Kota)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 6, 2024, 9:16 PM IST

कोटा: हाड़ौती संभाग में बहने वाली नदियों के एक्सिस पानी को राजस्थान के दूसरे इलाके में पहुंचाने के लिए चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP) बनाई गई है. इस योजना में भाजपा सरकार की आरे से कुछ बदलाव किया जाना प्रस्तावित है. अगर सबकुछ योजना अनुसार चला, तो इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल सकता है.

योजना की फाइनल डीपीआर राज्य सरकार दिल्ली में बनवा रही है. जिसमें नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी कार्य कर रही है. हालांकि नई बन डीपीआर में इससे जुड़ने वाले बांध और तालाबों की संख्या बढ़ सकती है. पहले जहां पर 90 बांध और तालाब इससे जोड़े जा रहे थे. अब यह संख्या बढ़कर 158 हो सकते हैं. ऐसे में नई डीपीआर को सेंट्रल वाटर कमीशन (CWC) से अप्रूवल के लिए भेजा जाना है. सब कुछ ठीक चलता रहा, तो यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय परियोजना घोषित हो सकता है. जिसमें 90 फीसदी अनुदान केंद्र सरकार देगी, जबकि राज्य सरकार को 10 फीसदी ही वहन करना होगा.

पढ़ें: पीकेसी परियोजना पर डोटासरा का सीएम भजनलाल पर बड़ा हमला, कहा- सदन में दी गलत जानकारी, लाएंगे विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव

हालांकि राज्य सरकार ने फेज वन के पहले पैकेज के टेंडर जारी कर दिए थे, जिनके अवार्ड भी हो गए हैं. इसके तहत 2266 करोड़ में 2 डैम और नोनेरा बांध में पंपिंग स्टेशन स्थापित होना है. इस पहले पैकेज की खास बात यह है कि राज्य सरकार ने इसे तेलंगाना की हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) को हाइब्रिड अनन्युटी मॉडल (HAM) के आधार पर दिया है. जिसमें निर्माण पूरा होने तक फर्म को केवल 40 फीसदी पैसा मिलेगा. शेष 60 प्रतिशत पैसा उसे 20 साल तक 3 फीसदी प्रति साल के हिसाब से मिलेगा. हालांकि जब यह राष्ट्रीय परियोजना घोषित हो जाएगी, तो इसकी टेंडर की शर्तों में भी बदलाव किया जा सकता है.

पढ़ें: संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य : सीएम भजनलाल

पीकेसी-ईआरसीपी के कार्यवाहक महानिदेशक और मुख्य महाप्रबंधक राकेश गुप्ता का कहना है कि नई डीपीआर में काफी बदलाव हो सकते हैं. योजना को और बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. फिलहाल पहले फेज के पैकेज-1 के ही टेंडर अवार्ड किए गए हैं. नई डीपीआर के बाद शेष कार्य के टेंडर किए जाने हैं.

पढ़ें: विधानसभा में पानी पर विशेष चर्चा में गूंजा जल जीवन मिशन घोटाला, डोटासरा ने यमुना जल-ईआरसीपी पर सरकार को घेरा - rajasthan vidhansabh session 2024

फिलहाल HAM पर किए गए हैं टेंडर: राज्य सरकार ने पीकेसी-ईआरसीपी के तहत होने वाले निर्माण की फाइनल डीपीआर बनवा रही है. यह कार्य भी दिल्ली में नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी करवा रही है. इसमें काफी कुछ बदलाव किए जा रहे हैं. जिसके बाद ही पहले फेज के पहले पैकेज में दो डैम बनाने के टेंडर किए गए हैं. इसके साथ ही नोनेरा बैराज में भी पंपिंग हाउस बनना है. यह 2266 करोड़ रुपए में होना है. इसके अलावा पहले फेज के दूसरे पैकेज में 1807 करोड़ और तीसरे पैकेज 3914 करोड़ के टेंडर होने शेष हैं.

पहले फेज के शेष दो चरण की डिजाइन में हो सकता है बदलाव: नौनेरा डैम से चंबल नदी तक 6.5 किमी फीडर, 2.280 मीटर लम्बा चम्बल नदी पर एक्वाडक्ट (पानी ले जाने का पुल), चंबल क्रॉस करने के बाद मेज नदी तक 13 किमी फीडर बनेगा. तीसरे पैकेज में मेज व गलवा बैराज पर पंप हाउस व मेज नदी से गलवा डैम तक 28.5 किलोमीटर का फीडर बनेगा. वहीं गलवा से बीसलपुर तक 67 किमी व ईसरदा तक 31 किमी का फीडर बनेगा. हालांकि इनके अभी टेंडर नहीं हुए हैं, ऐसे में फाइनल डीपीआर में बदलाव किया जा सकता है.

कोटा: हाड़ौती संभाग में बहने वाली नदियों के एक्सिस पानी को राजस्थान के दूसरे इलाके में पहुंचाने के लिए चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP) बनाई गई है. इस योजना में भाजपा सरकार की आरे से कुछ बदलाव किया जाना प्रस्तावित है. अगर सबकुछ योजना अनुसार चला, तो इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल सकता है.

योजना की फाइनल डीपीआर राज्य सरकार दिल्ली में बनवा रही है. जिसमें नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी कार्य कर रही है. हालांकि नई बन डीपीआर में इससे जुड़ने वाले बांध और तालाबों की संख्या बढ़ सकती है. पहले जहां पर 90 बांध और तालाब इससे जोड़े जा रहे थे. अब यह संख्या बढ़कर 158 हो सकते हैं. ऐसे में नई डीपीआर को सेंट्रल वाटर कमीशन (CWC) से अप्रूवल के लिए भेजा जाना है. सब कुछ ठीक चलता रहा, तो यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय परियोजना घोषित हो सकता है. जिसमें 90 फीसदी अनुदान केंद्र सरकार देगी, जबकि राज्य सरकार को 10 फीसदी ही वहन करना होगा.

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हालांकि राज्य सरकार ने फेज वन के पहले पैकेज के टेंडर जारी कर दिए थे, जिनके अवार्ड भी हो गए हैं. इसके तहत 2266 करोड़ में 2 डैम और नोनेरा बांध में पंपिंग स्टेशन स्थापित होना है. इस पहले पैकेज की खास बात यह है कि राज्य सरकार ने इसे तेलंगाना की हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) को हाइब्रिड अनन्युटी मॉडल (HAM) के आधार पर दिया है. जिसमें निर्माण पूरा होने तक फर्म को केवल 40 फीसदी पैसा मिलेगा. शेष 60 प्रतिशत पैसा उसे 20 साल तक 3 फीसदी प्रति साल के हिसाब से मिलेगा. हालांकि जब यह राष्ट्रीय परियोजना घोषित हो जाएगी, तो इसकी टेंडर की शर्तों में भी बदलाव किया जा सकता है.

पढ़ें: संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य : सीएम भजनलाल

पीकेसी-ईआरसीपी के कार्यवाहक महानिदेशक और मुख्य महाप्रबंधक राकेश गुप्ता का कहना है कि नई डीपीआर में काफी बदलाव हो सकते हैं. योजना को और बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. फिलहाल पहले फेज के पैकेज-1 के ही टेंडर अवार्ड किए गए हैं. नई डीपीआर के बाद शेष कार्य के टेंडर किए जाने हैं.

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फिलहाल HAM पर किए गए हैं टेंडर: राज्य सरकार ने पीकेसी-ईआरसीपी के तहत होने वाले निर्माण की फाइनल डीपीआर बनवा रही है. यह कार्य भी दिल्ली में नेशनल वाटर डेवलपमेंट अथॉरिटी करवा रही है. इसमें काफी कुछ बदलाव किए जा रहे हैं. जिसके बाद ही पहले फेज के पहले पैकेज में दो डैम बनाने के टेंडर किए गए हैं. इसके साथ ही नोनेरा बैराज में भी पंपिंग हाउस बनना है. यह 2266 करोड़ रुपए में होना है. इसके अलावा पहले फेज के दूसरे पैकेज में 1807 करोड़ और तीसरे पैकेज 3914 करोड़ के टेंडर होने शेष हैं.

पहले फेज के शेष दो चरण की डिजाइन में हो सकता है बदलाव: नौनेरा डैम से चंबल नदी तक 6.5 किमी फीडर, 2.280 मीटर लम्बा चम्बल नदी पर एक्वाडक्ट (पानी ले जाने का पुल), चंबल क्रॉस करने के बाद मेज नदी तक 13 किमी फीडर बनेगा. तीसरे पैकेज में मेज व गलवा बैराज पर पंप हाउस व मेज नदी से गलवा डैम तक 28.5 किलोमीटर का फीडर बनेगा. वहीं गलवा से बीसलपुर तक 67 किमी व ईसरदा तक 31 किमी का फीडर बनेगा. हालांकि इनके अभी टेंडर नहीं हुए हैं, ऐसे में फाइनल डीपीआर में बदलाव किया जा सकता है.

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