कुचामन सिटी: देश भर में शनिवार को गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. देश भर के गणेश मंदिरों में भगवान गणपति की विशेष पूजा अर्चना की जा रही है. इस मौके पर हम आपको ले चलते हैं डीडवाना के दोजराज गणेश मंदिर में. यहां भगवान गणेश की 9 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जो पूरे राजस्थान में सबसे बड़ी प्रतिमा है.
मंदिर के पुजारी रामावतार दाधीच के अनुसार इस गणेश मंदिर की स्थापना 160 साल पहले हुई थी. उस समय निरंजन संप्रदाय के साधु संत यहां से गुजरते हुए नमक झील में स्थित पाढ़ाय माता मंदिर जा रहे थे. इस दौरान जब वे इस स्थान पर रुके तो दुन्दराज नाम के एक साधु ने मोण मटकी (बड़ी मटकी), मुरड़ और मिट्टी से यहां भगवान गणेश की मूर्ति बना दी. जब डीडवाना के लोगों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने इसी स्थान पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवा दी. तब से आज तक इस स्थान पर भगवान गणेश का यह मंदिर है.
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पहला निमंत्रण गणपति को: इस मंदिर के बारे में एक मान्यता यह भी है कि जब भी इस क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति की शादी होती है तो, सबसे पहले निमंत्रण दोजराज गणेश भगवान को ही दिया जाता है. निमंत्रण देने वाले लोगों में केवल हिंदू समाज नहीं, बल्कि मुस्लिम समाज के लोग हैं.
गणेश चतुर्थी पर भरता है मेला: दोजराज गणेश मंदिर में डीडवाना ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों और देश के विभिन्न राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं. गणेश चतुर्थी पर बड़ा मेला भरता है. इस दिन भगवान को 200 किलो के मोदक का भोग लगाया जाता है.अनेक धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं. मंदिर ट्रस्ट की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य किया जाता है. मंदिर ट्रस्ट की ओर से बरसात के मौसम में तुलसी सहित विभिन्न प्रकार के पौधे लोगों को वितरित किए जाते हैं और उन्हें अधिकाधिक पोधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाता है.