जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा के रामगंज मंडी स्थित फलौदी माता मंदिर की प्रबंधन अखिल भारतीय मेडतवाल वैश्य समाज की प्रतिनिधि समिति सभा, देवस्थान आयुक्त और सहायक देवस्थान आयुक्त, अजमेर सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश श्रीफलौदी माता महाराज खैराबाद धाम के संचालक ट्रस्ट की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने बताया कि याचिकाकर्ता ट्रस्ट का गठन वर्ष 1966 में झालरापाटन नगर सेठ ने किया था और उनके परिवार के लोग ही इस ट्रस्ट के वंशानुगत अध्यक्ष रहते हैं. इस ट्रस्ट में कुल 21 ट्रस्टी थे और ट्रस्ट ने कार्य व्यवस्था के उद्देश्य से वर्ष 1977 में एक समिति को अलग से सोसायटी अधिनियम के तहत गठित किया था. वहीं, बाद में समिति में कुछ लोगों ने कब्जा करके ट्रस्ट और मंदिर के प्रबंधन को हड़पने की कोशिश कर दी.
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इस पर ट्रस्ट ने वर्ष 2020 में कुछ ट्रस्टी हटा दिए और संविधान में संशोधन कर सहायक आयुक्त, कोटा के समक्ष परिवर्तन दर्ज रजिस्टर करवा दिया. याचिका में कहा गया कि मदनलाल व भंवर लाल ने ट्रस्ट के इस निर्णय को चुनौती दी. जिस पर प्रकरण को कोटा से अजमेर सहायक आयुक्त को ट्रांसफर किया गया और उन्होंने ट्रस्ट के संविधान को बदलने के लिए सरकारी खर्च पर समाज की पंचायत बुला ली, जबकि उन्हें इसकी शक्ति प्राप्त नहीं थी.
याचिका में कहा गया कि सहायक आयुक्त स्वयं के आदेश की पालना के लिए क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर मंदिर की संपत्ति पर कब्जा करा रहे हैं. याचिका में आरोप लगाया गया कि ट्रस्ट के वर्ष 2020 के आदेश को रद्द करने के सहायक आयुक्त के आदेश के खिलाफ देवस्थान आयुक्त के समक्ष दायर अपील का भी जानबूझकर निस्तारण नहीं किया जा रहा है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.