जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने रेलवे की ओर से मृत कर्मचारी के आश्रितों को फैमिली पेंशन की बकाया राशि नहीं देने पर रेलवे प्रशासन पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को पेंशन राशि देने को कहा है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश लीला देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रक्रिया की खामियों के कारण किसी के मौलिक अधिकारों को अस्वीकार नहीं किया जा सकता. खासकर तब जब पीड़ित व्यक्ति अशिक्षित हो. अदालत ने कहा कि जिन मामलों में पीड़ित व्यक्ति अशिक्षित है या उसे कानूनी औपचारिकताओं के बारे में जानकारी नहीं है, उनमें संबंधित व्यक्ति को कानून की तकनीकी जटिलताओं का शिकार नहीं बनाया जा सकता. याचिका में अधिवक्ता वेंकटेश गर्ग ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का पति रामलाल रेलवे में साल 1965 में बाइंडर के पद पर नियुक्त हुआ था. करीब 27 साल की सेवा के बाद उसने 31 मई 1992 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. वहीं, दिसंबर 2008 को उसका निधन हो गया.
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याचिकाकर्ता के अनपढ़ होने के कारण उसे फैमिली पेंशन की जानकारी नहीं थी. ऐसे में इस प्रावधान की जानकारी मिलने पर उसने वर्ष 2012 में फैमिली पेंशन के लिए आवेदन किया, जिसे रेलवे ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से दिए गए पत्र में वह मृतक की नॉमिनी नहीं है. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता के पति ने वर्ष 1977 में रेलवे कर्मचारी बीमा योजना में याचिकाकर्ता और उसकी दोनों बेटियों को नॉमिनी दर्शाया था. याचिकाकर्ता ने वर्ष 2015 में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद उसे आंशिक भुगतान भी किया गया. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को बकाया फैमिली पेंशन देने के आदेश देते हुए रेलवे पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.