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ETV BHARAT AMRIT : चैत्र नवरात्र आज से, जानिए घट स्थापना का मुहूर्त - Navratri 2024

देवी की आराधना का महापर्व नवरात्रि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी आज मंगलवार से शुरू हो गया. हिंदू पंचांग के अनुसार नव वर्ष भी इसी दिन से शुरू होता है. चैत्र नवरात्रि देवी की अलग-अलग रूप में पूजा का महापर्व है और जो साधक देवी की आराधना करता है उसे कई प्रकार के पुण्य फल और सिद्धियां प्राप्त होती है.

CHAITRA NAVRATRI
चैत्र नवरात्र मंगलवार से
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 8, 2024, 9:59 AM IST

Updated : Apr 9, 2024, 6:32 AM IST

बीकानेर. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नूतन संवत्सर यानी की हिंदू नववर्ष प्रारंभ होगा. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जगत पिता ब्रह्माजी ने चैत्र मास में शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सृष्टि निर्माण किया था. इसलिए इस दिन को नूतन संवत्सर प्रारंभ का दिन कहते है. इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त अभिजीत वेला में प्रतिपदा के दिन 12 बजकर 15 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. दुर्गाष्टमी 16 अप्रैल को, दुर्गा नवमी और राम नवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी.

घरों में होगी घट स्थापना : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होते हैं. इस दिन दिन घरों और मन्दिरों में देवी की पूजा और घट स्थापना होगी. इन नौ दिनों तक देवी की विशेष पूजा अर्चना होगी. इन नौ दिनों में साधक दुर्गा सप्तशती, देवी अथर्वशीर्ष, देवी भागवत और श्रीसूक्त के पाठ करेंगे. इस दिन घर के ऊपर छत पर ध्वजारोहण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, क्योंकि हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है. इसलिए इस दिन नए पञ्चांग को सुनने और दान करने का महत्व भी धर्म शास्त्रों में बतलाया गया है. नौ दिन तक व्रत उपवास और दान करने से अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है.

इसे भी पढ़ें : ETV BHARAT AMRIT : विक्रम संवत 2080 की आखिरी सोमवती अमावस्या आज, दान-पुण्य का है विशेष महत्व - Somvati Amavasya

पञ्चांग सुनने का महत्व : राजेंद्र किराडू कहते हैं कि तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार से पञ्चांग तैयार होता है. हर रोज पञ्चांग को सुनने से गंगा स्नान का पुण्यफल प्राप्त होता है. तिथि श्रवण से आयु वृद्धि, नक्षत्र से पाप नाश होता है. साथ ही वार से शत्रुनाश और योग से सुख समृद्धि में वृद्धि और करण से कल्याण होता है. श्रवण से कालज्ञास होता है. आयुर्वेद के अनुसार इस दिन नीम मिश्री व काली मिर्च के मिश्रित प्रयोग से त्रिदोष और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है.

बीकानेर. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नूतन संवत्सर यानी की हिंदू नववर्ष प्रारंभ होगा. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जगत पिता ब्रह्माजी ने चैत्र मास में शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सृष्टि निर्माण किया था. इसलिए इस दिन को नूतन संवत्सर प्रारंभ का दिन कहते है. इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त अभिजीत वेला में प्रतिपदा के दिन 12 बजकर 15 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. दुर्गाष्टमी 16 अप्रैल को, दुर्गा नवमी और राम नवमी 17 अप्रैल को मनाई जाएगी.

घरों में होगी घट स्थापना : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होते हैं. इस दिन दिन घरों और मन्दिरों में देवी की पूजा और घट स्थापना होगी. इन नौ दिनों तक देवी की विशेष पूजा अर्चना होगी. इन नौ दिनों में साधक दुर्गा सप्तशती, देवी अथर्वशीर्ष, देवी भागवत और श्रीसूक्त के पाठ करेंगे. इस दिन घर के ऊपर छत पर ध्वजारोहण करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, क्योंकि हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है. इसलिए इस दिन नए पञ्चांग को सुनने और दान करने का महत्व भी धर्म शास्त्रों में बतलाया गया है. नौ दिन तक व्रत उपवास और दान करने से अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है.

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पञ्चांग सुनने का महत्व : राजेंद्र किराडू कहते हैं कि तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार से पञ्चांग तैयार होता है. हर रोज पञ्चांग को सुनने से गंगा स्नान का पुण्यफल प्राप्त होता है. तिथि श्रवण से आयु वृद्धि, नक्षत्र से पाप नाश होता है. साथ ही वार से शत्रुनाश और योग से सुख समृद्धि में वृद्धि और करण से कल्याण होता है. श्रवण से कालज्ञास होता है. आयुर्वेद के अनुसार इस दिन नीम मिश्री व काली मिर्च के मिश्रित प्रयोग से त्रिदोष और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है.

Last Updated : Apr 9, 2024, 6:32 AM IST
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