कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के खराहल घाटी में शीर्ष पर स्थित बिजली महादेव के दर्शन अब 3 माह के बाद ही हो पाएंगे. पौष मास की संक्रांति के अवसर पर बिजली महादेव स्वर्ग के लिए रवाना हो गए हैं. जहां पर अब देवी देवताओं की सभा आयोजित की जाएगी. ऐसे में अब 15 मार्च को देवता वापस लौटेंगे और उसके बाद साल भर की भविष्यवाणी देवता की गुर के द्वारा की जाएगी.
बिजली महादेव मंदिर कमेटी ने श्रद्धालुओं से भी आग्रह किया गया है कि वो मंदिर का रुख न करें. बिजली महादेव देवता के कारदार वीरेंद्र जंवाल ने बताया कि, 'सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही मंदिर के कपाट खुलेंगे और लोग बिजली महादेव के दर्शन कर सकेंगे. जिला कुल्लू में पौष मास की संक्रांति के अवसर पर घाटी के देवी देवता स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं. ऐसे में कुछ देवी देवता माघ संक्रांति पर वापस लौटते हैं तो कुछ देवता फाल्गुन संक्रांति पर. ऐसे में बिजली महादेव देवता चैत्र मास की संक्रांति पर वापस लौटते हैं और यहां पर मेले का भी आयोजन किया जाता है. ऐसे में तीन माह तक मंदिर के कपाट पूरी तरह से बंद रहेंगे और देव गतिविधियों पर भी रोक लगी रहेगी. श्रद्धालुओं से भी आग्रह कि बिजली महादेव मंदिर का रुख न करें.'
हर 12 साल बाद गिरती है आकाशीय बिजली
बता दें कि बिजली महादेव मंदिर कुल्लू की खाहल घाटी के शीर्ष पर स्थित है. बिजली महादेव का मंदिर आज भी देश-विदेश से आने वाले लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. भगवान शिव का ये अद्भूत मंदिर समुद्र तल से करीब 8 हजार फिट की उंचाई पर स्थित है. सबसे बड़ा कुदरती करिश्मा इस मंदिर को लेकर ये है कि इस मंदिर के जिस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की गई है वहां हर 12 साल में बिजली गिरती है, जिसके चलते शिवलिंग पूरी तरह से खंडित हो जाता है. इस खंडित शिवलिंग को मंदिर के पुजारी द्वारा मक्खन लगाकर वापस जोड़ा जाता है, जो बाद में रहस्मयी रूप से ठोस हो जाता है.
माना जाता है कि कुल्लू में कुलांत नाम का दैत्य रहा करता था. कुलांत दैत्य के मरने के बाद भगवान शिव ने इंद्र से कहा कि वो हर 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें, जिसके बाद हर 12 वर्ष में यहां आकाशीय बिजली गिरती है. पूरी कहानी जानने के लिए यहां क्लिक करें.
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