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'थनैला' बिगाड़ देगा आपका बैंक बैलेंस, खाता होगा खाली और बिजनेस का बजेगा बाजा - Thanaila Diseases Symptoms

देश-प्रदेश में एक बड़ा वर्ग है जिसका पेशा दूध का व्यापार करना ही है. कई लोगों की बड़ी-बड़ी डेयरी हैं ऐसे में इन सभी को अपने दुधारू पशुओं का ख्याल रखना जरूरी है. यदि जानवरों में थनैला रोग फैल गया तो इसका सीधा असर आपके बैंक बैलेंस पर पड़ेगा. पढ़िए रोग के कारण, लक्षण और बचने का तरीका.

thanaila animal symptoms treatment
पशुओं में होने वाला थनैला रोग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 30, 2024, 10:09 AM IST

Updated : Jul 30, 2024, 11:00 AM IST

Thanaila Diseases: दूध का व्यापार आज भी कई लोगों के लिए रोजगार का बड़ा साधन है और इससे कई घरों की दो वक्त की रोटी भी चलती है. कई बड़े डेयरी संचालक इससे लाखों कमाते हैं अगर आपका ये पैसा देने वाला रोजगार बखूबी इसी तरह चलता रहे तो इसके लिए जरूरी है कि आपने जो दुधारू पशु पाल रखे हैं वो पूरी तरह से स्वस्थ रहें. यदि उन्हें किसी तरह की गंभीर बीमारी होती है तो इसका सीधा असर आपके बैंक बैलेंस पर पड़ता है. दुधारू पशुओं में थनैला रोग होने से आपका बिजनेस ठप हो सकता है और अकाउंट खाली.

दुधारू पशुओं में होता है थनैला रोग (ETV Bharat)

दुधारू पशुओं में होती है थनैला बीमारी

पशु चिकित्सक डॉ आरपी गुप्ता बताते हैं कि "थनैला नाम की जो ये बीमारी है ये गाय, भैंस, बकरी जैसे दुधारू पशुओं में होती है. ये एक गंभीर बीमारी है लेकिन पशुपालक अगर थोड़ी सी सावधानी रखें और अपने पशुओं का सही से देखभाल करें तो बीमारी से बचा जा सकता है. जहां पशुओं को रखते हैं गौशाला में सही से साफ सफाई रखें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. अगर इस बीमारी को सही समय पर नहीं पहचाना गया, सही समय पर इलाज नहीं कराया गया तो मवेशियों को बहुत नुकसान हो सकता है."

छूतदार बीमारी है थनैला

डॉक्टर आरपी गुप्ता बताते हैं कि "थनैला एक छूतदार बीमारी है. एक दूसरे के संपर्क में आने से एक पशु से दूसरे पशु के संपर्क में आने से ये बीमारी फैलती है. गंदगी होने से फैलती है अगर पशुओं को रखने वाली जगह पर गौशाला में गंदगी रखते हैं या गंदे हाथ से दूध दोहन करते हैं उसके कारण ये बीमारी होती है. ये एक जीवाणु से होने वाली बीमारी है. थनैला बीमारी थनों में होती है और बहुत ही गंभीर बीमारी होती है. मवेशियों को ये बीमारी होने पर उसका सही समय पर इलाज जरूरी होता है नहीं तो जानवर दूध देना बंद कर देते हैं."

Thanaila Diseases Symptoms
पशुओं को रखने वाली जगह साफ सुधरी होना जरूरी (ETV Bharat)

थनैला बीमारी के क्या हैं लक्षण

पशु चिकित्सालय के डॉक्टर आरपी गुप्ता बताते हैं कि "थनैला थनों में होने वाली बीमारी है. ये गाय भैंस बकरियों में होती है. इसके लक्षण की बात करें तो जब ये बीमारी होती है तो थनों में सूजन आ जाएगी, थन कड़ा हो जाएगा और थनों में दूध आना कम हो जाता है. दूध से मवाद, छिछड़े और खून आने लगते हैं. अगर सही समय पर इलाज न हुआ तो थन में सड़न आने लगती है और थन सड़कर गिर जाते हैं. पशु खाना पीना छोड़ देते हैं और इस बीमारी से पशुओं को बुखार भी हो जाता है.

समय पर इलाज जरूरी

डॉक्टर बताते हैं कि थनैला नाम की जो ये बीमारी है एक बार पशु को हो जाये यो ठीक करने में बहुत समय लगता है अगर तुरंत ही उसका उपचार नहीं किया गया तो पूरे थन को ये खत्म कर देता है. जहां पर गौशाला है वहां पर साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें. बचाव करेंगे तो थनैला होगा ही नहीं अगर हो गया है तो उसके लिए नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करके. जो भी एंटीबायोटिक दवाइयां इंजेक्शन आदि इस बीमारी में लगाये जाते हैं वो लगवा देना चाहिए, देरी नहीं करना चाहिए, पशु पर जैसे ही दिखे की थनैला की बीमारी हो गई है तो तुरंत संपर्क करके तुरंत इलाज शुरू करवा देना चाहिए. इसका 4 से 5 दिन तक इलाज चलता है.

दूध दोहन के समय अक्सर बरतें सावधानी

पशु चिकित्सक बताते हैं कि आपके मवेशी को थनैला नाम की बीमारी न हो इसके लिए जरूरी है कि जब भी आप अपने दुधारू पशुओ का दूध निकालने जाएं तो सावधानी बरतें. जब भी दूध दोहन करें तो एकदम साफ सफाई के साथ करें. थन को अच्छे से साफ कर लें, डिटॉल या पोटाश के पानी से बनाकर एंटीसेप्टिक कोई भी थन को साफ करके फिर दूध लगाएं. हाथ भी साबुन से धोकर ही दूध लगाएं क्योंकि गंदगी से ही थनैला की बीमारी फैलती है.

दूध का सेवन करें या न करें

जब थनैला की बीमारी हो जाती है तो उस पशु के दूध का सेवन करें या न करें, इसे लेकर पशु चिकित्सक बताते हैं कि दूध अगर खराब आ रहा है तो उसका सेवन बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है. ये दूध नुकसानदेह हो सकता है बाकी अगर दूध अच्छा आ रहा है तो उपयोग किया जा सकता है.

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मध्य प्रदेश में दूध का धंधा बनेगा चंगा, सरकार पशुपालकों को देगी 5 रुपये इंसेन्टिव

थनैला बिगाड़ सकता है बैंक बैलेंस

देखा जाये तो आज भी एक वर्ग ऐसा है जिनके रोजगार का बड़ा साधन ये दुधारू पशु ही हैं और इन्हीं पशुओ का दूध बेचकर कई लोगों का रोजगार चलता है. ऐसे में अगर थनैला नाम की बीमारी किसी मवेशी में हो गई तो ये इसके रोजगार से जुड़े लोगों के सीधे बैंक बैलेंस पर असर डाल सकता है क्योंकि ये बीमारी सीधे-सीधे दुधारू पशुओं के थन पर असर करती है. किसी भी दुधारू पशु की कीमत तभी तक होती है जब तक की उसके थन सुरक्षित हों.

Thanaila Diseases: दूध का व्यापार आज भी कई लोगों के लिए रोजगार का बड़ा साधन है और इससे कई घरों की दो वक्त की रोटी भी चलती है. कई बड़े डेयरी संचालक इससे लाखों कमाते हैं अगर आपका ये पैसा देने वाला रोजगार बखूबी इसी तरह चलता रहे तो इसके लिए जरूरी है कि आपने जो दुधारू पशु पाल रखे हैं वो पूरी तरह से स्वस्थ रहें. यदि उन्हें किसी तरह की गंभीर बीमारी होती है तो इसका सीधा असर आपके बैंक बैलेंस पर पड़ता है. दुधारू पशुओं में थनैला रोग होने से आपका बिजनेस ठप हो सकता है और अकाउंट खाली.

दुधारू पशुओं में होता है थनैला रोग (ETV Bharat)

दुधारू पशुओं में होती है थनैला बीमारी

पशु चिकित्सक डॉ आरपी गुप्ता बताते हैं कि "थनैला नाम की जो ये बीमारी है ये गाय, भैंस, बकरी जैसे दुधारू पशुओं में होती है. ये एक गंभीर बीमारी है लेकिन पशुपालक अगर थोड़ी सी सावधानी रखें और अपने पशुओं का सही से देखभाल करें तो बीमारी से बचा जा सकता है. जहां पशुओं को रखते हैं गौशाला में सही से साफ सफाई रखें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. अगर इस बीमारी को सही समय पर नहीं पहचाना गया, सही समय पर इलाज नहीं कराया गया तो मवेशियों को बहुत नुकसान हो सकता है."

छूतदार बीमारी है थनैला

डॉक्टर आरपी गुप्ता बताते हैं कि "थनैला एक छूतदार बीमारी है. एक दूसरे के संपर्क में आने से एक पशु से दूसरे पशु के संपर्क में आने से ये बीमारी फैलती है. गंदगी होने से फैलती है अगर पशुओं को रखने वाली जगह पर गौशाला में गंदगी रखते हैं या गंदे हाथ से दूध दोहन करते हैं उसके कारण ये बीमारी होती है. ये एक जीवाणु से होने वाली बीमारी है. थनैला बीमारी थनों में होती है और बहुत ही गंभीर बीमारी होती है. मवेशियों को ये बीमारी होने पर उसका सही समय पर इलाज जरूरी होता है नहीं तो जानवर दूध देना बंद कर देते हैं."

Thanaila Diseases Symptoms
पशुओं को रखने वाली जगह साफ सुधरी होना जरूरी (ETV Bharat)

थनैला बीमारी के क्या हैं लक्षण

पशु चिकित्सालय के डॉक्टर आरपी गुप्ता बताते हैं कि "थनैला थनों में होने वाली बीमारी है. ये गाय भैंस बकरियों में होती है. इसके लक्षण की बात करें तो जब ये बीमारी होती है तो थनों में सूजन आ जाएगी, थन कड़ा हो जाएगा और थनों में दूध आना कम हो जाता है. दूध से मवाद, छिछड़े और खून आने लगते हैं. अगर सही समय पर इलाज न हुआ तो थन में सड़न आने लगती है और थन सड़कर गिर जाते हैं. पशु खाना पीना छोड़ देते हैं और इस बीमारी से पशुओं को बुखार भी हो जाता है.

समय पर इलाज जरूरी

डॉक्टर बताते हैं कि थनैला नाम की जो ये बीमारी है एक बार पशु को हो जाये यो ठीक करने में बहुत समय लगता है अगर तुरंत ही उसका उपचार नहीं किया गया तो पूरे थन को ये खत्म कर देता है. जहां पर गौशाला है वहां पर साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें. बचाव करेंगे तो थनैला होगा ही नहीं अगर हो गया है तो उसके लिए नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करके. जो भी एंटीबायोटिक दवाइयां इंजेक्शन आदि इस बीमारी में लगाये जाते हैं वो लगवा देना चाहिए, देरी नहीं करना चाहिए, पशु पर जैसे ही दिखे की थनैला की बीमारी हो गई है तो तुरंत संपर्क करके तुरंत इलाज शुरू करवा देना चाहिए. इसका 4 से 5 दिन तक इलाज चलता है.

दूध दोहन के समय अक्सर बरतें सावधानी

पशु चिकित्सक बताते हैं कि आपके मवेशी को थनैला नाम की बीमारी न हो इसके लिए जरूरी है कि जब भी आप अपने दुधारू पशुओ का दूध निकालने जाएं तो सावधानी बरतें. जब भी दूध दोहन करें तो एकदम साफ सफाई के साथ करें. थन को अच्छे से साफ कर लें, डिटॉल या पोटाश के पानी से बनाकर एंटीसेप्टिक कोई भी थन को साफ करके फिर दूध लगाएं. हाथ भी साबुन से धोकर ही दूध लगाएं क्योंकि गंदगी से ही थनैला की बीमारी फैलती है.

दूध का सेवन करें या न करें

जब थनैला की बीमारी हो जाती है तो उस पशु के दूध का सेवन करें या न करें, इसे लेकर पशु चिकित्सक बताते हैं कि दूध अगर खराब आ रहा है तो उसका सेवन बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है. ये दूध नुकसानदेह हो सकता है बाकी अगर दूध अच्छा आ रहा है तो उपयोग किया जा सकता है.

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थनैला बिगाड़ सकता है बैंक बैलेंस

देखा जाये तो आज भी एक वर्ग ऐसा है जिनके रोजगार का बड़ा साधन ये दुधारू पशु ही हैं और इन्हीं पशुओ का दूध बेचकर कई लोगों का रोजगार चलता है. ऐसे में अगर थनैला नाम की बीमारी किसी मवेशी में हो गई तो ये इसके रोजगार से जुड़े लोगों के सीधे बैंक बैलेंस पर असर डाल सकता है क्योंकि ये बीमारी सीधे-सीधे दुधारू पशुओं के थन पर असर करती है. किसी भी दुधारू पशु की कीमत तभी तक होती है जब तक की उसके थन सुरक्षित हों.

Last Updated : Jul 30, 2024, 11:00 AM IST
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