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PKC-ERCP के पहले नोनेरा डैम से शुरू हुई टेस्टिंग, दो गेट खोल कर 13000 क्यूसेक पानी कालीसिंध में किया प्रवाहित - ERCP First Dam

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 10, 2024, 9:27 PM IST

ERCP Nonera Dam, नोनेरा बैराज पर मंगलवार को पहली बार शाम 5:45 पर स्काडा ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए गेट नंबर 15 और 16 को खोला गया. बैराज के दोनों गेट को 25 सेंटीमीटर ओपन कर 13000 क्यूसेक पानी कालीसिंध नदी में प्रवाहित किया गया. इसके बाद बाद शेष 25 गेट की भी टेस्टिंग बारी-बारी से खोलकर की जाएगी.

TESTING OF NONERA DAM
नोनेरा बांध की टेस्टिंग (ETV Bharat Kota)
नोनेरा बांध की टेस्टिंग (ETV Bharat Kota)

कोटा: प्रदेश की बहुप्रतीक्षित पार्वती कालीसिंध इंटरलिंक-ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी-ईआरसीपी) के पहले नोनेरा बांध को आज मंगलवार को टेस्टिंग के लिए ऑपरेट किया गया. बीते दो दिनों से डैम को भरने के लिए सभी 27 गेट को बंद किया गया था. मंगलवार को डैम का वाटर लेवल 217 मीटर पर पहुंच गया, यानी नोनेरा बैराज में 226 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमक्यूएम) पानी स्टोरेज किया गया.

इसके बाद अलार्म बजाकर लोगों को आगाह किया गया और फिर शाम 5:45 पर स्काडा ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए गेट नंबर 15 और 16 को खोला गया. इससे पहले डैम पर पूजा-अर्चना भी की गई. इस दौरान जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता आरके जैमिनी और अधिशासी अभियंता अनिल यादव कंट्रोल रूम में मौजूद थे. बैराज के दोनों गेट को 25 सेंटीमीटर ओपन कर 13 हजार क्यूसेक पानी कालीसिंध नदी में प्रवाहित किया गया. इसके बाद बाद शेष 25 गेट की भी टेस्टिंग बारी-बारी से खोलकर की जाएगी.

साल 2018 में शुरू हुआ था निर्माण : साल 2018 में बांध का निर्माण शुरू हो गया था. 6 साल में यह बांध बनकर तैयार हुआ हैं. इसमें 600 करोड़ की निर्माण लागत आई है. इस डैम को साल 2023 अक्टूबर में बनकर तैयार होना था, लेकिन इसकी समय सीमा बढ़ाई गई थी. इसकी क्षमता 226 एमक्यूएम है, जिसमें से 54 एमक्यूएम पानी पीएचईडी को उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि जल सप्लाई बूंदी और कोटा के छह कस्बों और 749 गांव में की जा सके.

इसे भी पढ़ें : राजस्थान में ERCP का पहला बांध तैयार, आज से टेस्टिंग, जानें क्या है प्लान - ERCP First Dam

मेज नदी तक ले जाने के लिए बनेगा फीडर : नोनेरा डैम का निर्माण हो गया है, लेकिन फिलहाल 2 साल इसका उपयोग केवल सामान्य रूप में पानी स्टोर करने के लिए ही किया जाएगा. इसके जरिए होने वाली जलापूर्ति के सिस्टम और इंटेक वेल बनाने का काम पीएचईडी को करना है, इसमें करीब 2 साल का समय लग जाएगा. दूसरी तरफ यहां पर मेज नदी ले जाने के लिए फीडर बनाया जाएगा. इसके लिए पंप हाउस भी स्थापित होना है. इसके लिए भी टेंडर राज्य सरकार ने पीकेसी-ईआरसीपी में किया है. जिसका काम पूरा होने में 4 साल से ज्यादा का समय लगेगा. यहां से फीडर निर्माण का टेंडर होना भी बाकी है. इसके साथ ही बारां जिले के रामगढ़ में कूल और महलपुर में पार्वती नदी पर बैराज बनने है, जहां से भी यहां पर लाने के लिए फीडर तैयार होगा, जिसका टेंडर होना भी बाकी है.

नोनेरा बांध की टेस्टिंग (ETV Bharat Kota)

कोटा: प्रदेश की बहुप्रतीक्षित पार्वती कालीसिंध इंटरलिंक-ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (पीकेसी-ईआरसीपी) के पहले नोनेरा बांध को आज मंगलवार को टेस्टिंग के लिए ऑपरेट किया गया. बीते दो दिनों से डैम को भरने के लिए सभी 27 गेट को बंद किया गया था. मंगलवार को डैम का वाटर लेवल 217 मीटर पर पहुंच गया, यानी नोनेरा बैराज में 226 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमक्यूएम) पानी स्टोरेज किया गया.

इसके बाद अलार्म बजाकर लोगों को आगाह किया गया और फिर शाम 5:45 पर स्काडा ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिए गेट नंबर 15 और 16 को खोला गया. इससे पहले डैम पर पूजा-अर्चना भी की गई. इस दौरान जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता आरके जैमिनी और अधिशासी अभियंता अनिल यादव कंट्रोल रूम में मौजूद थे. बैराज के दोनों गेट को 25 सेंटीमीटर ओपन कर 13 हजार क्यूसेक पानी कालीसिंध नदी में प्रवाहित किया गया. इसके बाद बाद शेष 25 गेट की भी टेस्टिंग बारी-बारी से खोलकर की जाएगी.

साल 2018 में शुरू हुआ था निर्माण : साल 2018 में बांध का निर्माण शुरू हो गया था. 6 साल में यह बांध बनकर तैयार हुआ हैं. इसमें 600 करोड़ की निर्माण लागत आई है. इस डैम को साल 2023 अक्टूबर में बनकर तैयार होना था, लेकिन इसकी समय सीमा बढ़ाई गई थी. इसकी क्षमता 226 एमक्यूएम है, जिसमें से 54 एमक्यूएम पानी पीएचईडी को उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि जल सप्लाई बूंदी और कोटा के छह कस्बों और 749 गांव में की जा सके.

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मेज नदी तक ले जाने के लिए बनेगा फीडर : नोनेरा डैम का निर्माण हो गया है, लेकिन फिलहाल 2 साल इसका उपयोग केवल सामान्य रूप में पानी स्टोर करने के लिए ही किया जाएगा. इसके जरिए होने वाली जलापूर्ति के सिस्टम और इंटेक वेल बनाने का काम पीएचईडी को करना है, इसमें करीब 2 साल का समय लग जाएगा. दूसरी तरफ यहां पर मेज नदी ले जाने के लिए फीडर बनाया जाएगा. इसके लिए पंप हाउस भी स्थापित होना है. इसके लिए भी टेंडर राज्य सरकार ने पीकेसी-ईआरसीपी में किया है. जिसका काम पूरा होने में 4 साल से ज्यादा का समय लगेगा. यहां से फीडर निर्माण का टेंडर होना भी बाकी है. इसके साथ ही बारां जिले के रामगढ़ में कूल और महलपुर में पार्वती नदी पर बैराज बनने है, जहां से भी यहां पर लाने के लिए फीडर तैयार होगा, जिसका टेंडर होना भी बाकी है.

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