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सरगुजा में टीबी मरीजों की जांच होगी आसान, ICMR की मदद से लगी पहली पैथोडिटेक्ट RTPCR मशीन - Pathodetect RTPCR - PATHODETECT RTPCR

Testing of TB patients easier छत्तीसगढ़ की पहली पैथोडिटेक्ट RTPCR मशीन सरगुजा में लगाई गई है. यह मशीन आईसीएमआर ने स्वास्थ्य विभाग को निशुल्क उपलब्ध कराई गई है.इस मशीन के लगने से टीबी के मरीजों को सबसे ज्यादा फायदा होगा. Pathodetect RTPCR machine in Surguja

Pathodetect RTPCR
सरगुजा में टीबी मरीजों की जांच होगी आसान (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 15, 2024, 7:40 PM IST

सरगुजा : पैथोडिटेक्ट RTPCR मशीन की कीमत लगभग 25 लाख रुपए है. सरगुजा में टीबी के मरीजों के लिये वरदान साबित होगी, क्योंकि टीबी की सामान्य टू नॉट जांच की सुविधा तो हर जगह है, लेकिन टीबी के प्रकार उनकी रजिस्टेंस दवाईयों की बारीक जांच के लिए कल्चर कराना पड़ता था, .कल्चर के लिए सैंंपल रायपुर जाता था,इस प्रोसेस में 1 महीने का समय लगता था.



जिला अस्पताल में लगी मशीन : पैथोडिटेक्ट RTPCR मशीन जिला अस्पताल कैम्प्स में स्थित टीबी अस्पताल में लगाई गई है. अब जांच में एक महीने नही लगेंगे, बल्कि मात्र 3 घंटे में ये मशीन रिपोर्ट दे देगी. बड़ी बात ये है कि इस मशीन में एक बार में 32 सैम्पल की जांच एक साथ की जा सकेगी. टीबी से लड़ने में ये मशीन बड़ी सहायक साबित हो सकती है. फिलहाल सरगुजा जिले में छत्तीसगढ़ में पहली बार एक साथ दो मशीन को इंस्टॉल किया गया है.एक मशीन टीबी अस्पताल में और दूसरी मेडिकल कॉलेज में लगाई गई है. आईसीएमआर के एक्सपर्ट की टीम भी यहां आई हुई है, जो इस मशीन को चलाने का ट्रेनिंग स्वास्थ्यकर्मियों और टेक्नीशियन को दे रही है.


तीन घंटे में हो जाती है जांच : टेक्नीशियन के मुताबिक इसमें स्पुटम टेस्ट के लिए लगाया जाता है. जो कफ के माध्यम से लिया जाता है, इसमें एक बार में 32 स्पुटम का इल्युट निकालकर एक बार में 8 सैम्पल लगाए जाते हैं. इल्यूट निकालने में डेढ़ घंटे और रिपोर्ट आने में भी डेढ़ घंटे लगता है, 3 घंटे में जांच हो जाती है.
क्षय रोग विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता के मुताबिक आईसीएमआर प्रोजेक्ट तहत पूरे छत्तीसगढ़ में सिर्फ सरगुजा जिले को 2 मशीन दी गई है. ये RTPCR मशीन है जो पैथोडिटेक्ट टेक्नोलॉजी पर आधारित है.

सरगुजा में टीबी मरीजों की जांच होगी आसान (ETV Bharat Chhattisgarh)

''RTPCR मशीन का मुख्य कार्य होता है कि वो कीटाणु ही नहीं बल्कि कीटाणु का एक कण भी सैम्पल में है तो वो उसे डिटेक्ट कर लेता है, तो यही फंक्शसन इस मशीन में भी है. 2 महत्वपूर्ण दवाईयां पुराने समय से प्रचलित हैं. उसके रजिस्टेंश को देखना हमारे इस टीबी कार्यक्रम के लिए बहुत चैलेंजिंग है. डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ,नोडल टीबी कार्यक्रम

डॉ शैलेंद्र गुप्ता की माने तो रिफामपीसीन का रजिस्टेंश तो ट्रू नाट की जांच से पता चल जाता था, लेकिन आइसोनएजाइट की जो रोग प्रतिरोधक क्षमता है, उसका पता लगाने के लिए हमें सैम्पल कल्चर कराने रायपुर भेजना पड़ता था. जिसमें एक महीने का समय लग जाता था अब इस मशीन में वो जांच 3 घंटे में जांच पूरी कर ली जाएगी.

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सरगुजा : पैथोडिटेक्ट RTPCR मशीन की कीमत लगभग 25 लाख रुपए है. सरगुजा में टीबी के मरीजों के लिये वरदान साबित होगी, क्योंकि टीबी की सामान्य टू नॉट जांच की सुविधा तो हर जगह है, लेकिन टीबी के प्रकार उनकी रजिस्टेंस दवाईयों की बारीक जांच के लिए कल्चर कराना पड़ता था, .कल्चर के लिए सैंंपल रायपुर जाता था,इस प्रोसेस में 1 महीने का समय लगता था.



जिला अस्पताल में लगी मशीन : पैथोडिटेक्ट RTPCR मशीन जिला अस्पताल कैम्प्स में स्थित टीबी अस्पताल में लगाई गई है. अब जांच में एक महीने नही लगेंगे, बल्कि मात्र 3 घंटे में ये मशीन रिपोर्ट दे देगी. बड़ी बात ये है कि इस मशीन में एक बार में 32 सैम्पल की जांच एक साथ की जा सकेगी. टीबी से लड़ने में ये मशीन बड़ी सहायक साबित हो सकती है. फिलहाल सरगुजा जिले में छत्तीसगढ़ में पहली बार एक साथ दो मशीन को इंस्टॉल किया गया है.एक मशीन टीबी अस्पताल में और दूसरी मेडिकल कॉलेज में लगाई गई है. आईसीएमआर के एक्सपर्ट की टीम भी यहां आई हुई है, जो इस मशीन को चलाने का ट्रेनिंग स्वास्थ्यकर्मियों और टेक्नीशियन को दे रही है.


तीन घंटे में हो जाती है जांच : टेक्नीशियन के मुताबिक इसमें स्पुटम टेस्ट के लिए लगाया जाता है. जो कफ के माध्यम से लिया जाता है, इसमें एक बार में 32 स्पुटम का इल्युट निकालकर एक बार में 8 सैम्पल लगाए जाते हैं. इल्यूट निकालने में डेढ़ घंटे और रिपोर्ट आने में भी डेढ़ घंटे लगता है, 3 घंटे में जांच हो जाती है.
क्षय रोग विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता के मुताबिक आईसीएमआर प्रोजेक्ट तहत पूरे छत्तीसगढ़ में सिर्फ सरगुजा जिले को 2 मशीन दी गई है. ये RTPCR मशीन है जो पैथोडिटेक्ट टेक्नोलॉजी पर आधारित है.

सरगुजा में टीबी मरीजों की जांच होगी आसान (ETV Bharat Chhattisgarh)

''RTPCR मशीन का मुख्य कार्य होता है कि वो कीटाणु ही नहीं बल्कि कीटाणु का एक कण भी सैम्पल में है तो वो उसे डिटेक्ट कर लेता है, तो यही फंक्शसन इस मशीन में भी है. 2 महत्वपूर्ण दवाईयां पुराने समय से प्रचलित हैं. उसके रजिस्टेंश को देखना हमारे इस टीबी कार्यक्रम के लिए बहुत चैलेंजिंग है. डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ,नोडल टीबी कार्यक्रम

डॉ शैलेंद्र गुप्ता की माने तो रिफामपीसीन का रजिस्टेंश तो ट्रू नाट की जांच से पता चल जाता था, लेकिन आइसोनएजाइट की जो रोग प्रतिरोधक क्षमता है, उसका पता लगाने के लिए हमें सैम्पल कल्चर कराने रायपुर भेजना पड़ता था. जिसमें एक महीने का समय लग जाता था अब इस मशीन में वो जांच 3 घंटे में जांच पूरी कर ली जाएगी.

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