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झारखंड के नए सीएम चंपई सोरेन ने सदन में जीता विश्वास मत, पर शिबू परिवार का विश्वास जीतने की असल अग्निपरीक्षा बाकी!

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 5, 2024, 5:41 PM IST

Test remains for new Jharkhand CM Champai Soren. भले ही झारखंड के नए सीएम चंपई सोरेन ने सदन में विश्वास मत जीत लिया है, लेकिन उनके सामने शिबू सोरेन के परिवारिक झगड़ों और दावेदारियों से निपटना एक चुनौती रहेगी.

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Test Remains For New Jharkhand CM

रांची: जैसी की उम्मीद की जा रही थी, झारखंड में चंपई सोरेन की सरकार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में कामयाब रही, लेकिन इस सरकार की बड़ी अग्निपरीक्षा विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के समापन के बाद 7 फरवरी से शुरू होने वाली है. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन के परिवार के प्रत्येक वयस्क सदस्य की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को किस तरह साध पाते हैं.

25 वर्षों के बाद झामुमो की सियासत की कमान सोरेन परिवार से अलगः पिछले 25 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब झामुमो की सियासत-सत्ता में शीर्ष कमान शिबू सोरेन के परिवार से इतर किसी व्यक्ति के पास गई है, लेकिन इसके बावजूद जेएमएम की असल सत्ता इसी परिवार के पास रहेगी. हेमंत सोरेन ने अपने माता-पिता की सहमति से परिवार के सभी सदस्यों के बीच जो संतुलन साध रखा था, उसे कायम रखना चंपई सोरेन के लिए कतई आसान नहीं है.

सोरेन परिवार के झगड़े के बीच सुलह की चुनौती नए सीएम के सामनेः विधानसभा के विशेष सत्र के तुरंत बाद चंपई सोरेन को मंत्रीमंडल का विस्तार करना है और इसमें भी उन्हें सबसे पहले यह देखना होगा कि वह हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन और उनकी भाभी सीता सोरेन की दावेदारियों और परिवार के झगड़े के बीच किस तरह सहमति-सुलह बना पाते हैं. सरकार में डिप्टी सीएम पद के लिए सीता सोरेन और बसंत सोरेन दोनों दावेदार हैं, लेकिन इनमें से किसी एक को ही सरकार में यह हैसियत हासिल हो पाएगी. हालांकि, इनमें से एक को डिप्टी सीएम और दूसरे को मंत्री बनाने के फॉर्मूले पर बात चल रही है, लेकिन इससे झामुमो के दूसरे विधायकों की नाराजगी का खतरा है.

दुर्गा सोरेन की पत्नी कई बार वाजिब हक नहीं मिलने की कर चुकी हैं शिकायतः दूसरी बात यह कि बसंत सोरेन और सीता सोरेन में से किसी एक को ज्यादा अहमियत मिली तो दूसरे की नाराजगी खुलकर सामने आ सकती है. सीता सोरेन जामा क्षेत्र की विधायक हैं. वह हेमंत सोरेन के दिवंगत बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. पिछले कई सालों से उनकी शिकायत रही है कि उन्हें और उनकी बेटियों को पार्टी और परिवार में सियासी तौर पर वाजिब हक नहीं मिल पा रहा है.

सीएम की कुर्सी के लिए कल्पना सोरेन के नाम पर सीता सोरेन ने जताई थी आपत्तिः हेमंत सोरेन के सीएम रहते हुए भी उन्होंने कई बार अलग-अलग तरीके से अपनी ओर से व्यक्तिगत शिकायत की थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें खास तवज्जो नहीं मिली. जनवरी महीने की शुरुआत होते ही हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और उनकी सीएम की कुर्सी जाने की आशंकाएं जैसे मंडराने लगीं, सीता सोरेन ने इस संकट को अपने लिए बारगेनिंग के अवसर के तौर पर भांप लिया. एक तरफ संभावित संकट को देखते हुए सियासी मोर्चे पर बैकअप प्लान में जुटे हेमंत सोरेन अपनी जगह सीएम की कुर्सी के लिए अपनी पत्नी कल्पना सोरेन का नाम आगे करने की कोशिश में जुटे थे, तो दूसरी तरफ उनकी भाभी सीता सोरेन खुले तौर पर विरोध पर उतर आईं.

कल्पना सोरेन 30 जनवरी को पहली बार पार्टी विधायकों के साथ बैठक में मौजूद रहीं, जबकि सीता सोरेन विधायकों की बैठक से दूरी बनाते हुए दिल्ली में बैठी रहीं. उन्होंने कह दिया कि सीएम की कुर्सी पर हेमंत सोरेन की पत्नी यानी उनकी देवरानी कल्पना सोरेन से पहले उनका हक है, क्योंकि वह परिवार की बड़ी बहू हैं. उनके पति दुर्गा सोरेन ने पार्टी को खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. सीता सोरेन यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने अपनी बेटियों को भी मौका देने की मांग रख दी.

विधायक बसंत सोरेन ने भी किया था विरोधः सूत्रों के अनुसार, कल्पना सोरेन के नाम पर हेमंत सोरेन के छोटे भाई और दुमका से विधायक बसंत सोरेन की ओर से भी विरोध किया गया था. उन्होंने इसे लेकर कभी कोई बयान नहीं दिया और ना ही सार्वजनिक तौर पर कभी कुछ कहा. कहते हैं कि परिवार के भीतर से हुए इसी विरोध के चलते हेमंत सोरेन ने कल्पना की बजाय चंपई सोरेन का नाम सीएम के लिए आगे किया.

पार्टी के अंदर से आई खबरों के मुताबिक, करीब 40 घंटे की जद्दोजहद के बाद जब चंपई सोरेन को राजभवन से सीएम पद पर शपथ ग्रहण का न्योता मिला तो उनके साथ डिप्टी सीएम के तौर पर हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को भी शपथ दिलाने की तैयारी थी, लेकिन कथित तौर पर सीता सोरेन यहां भी विरोध पर उतर आईं. फिर प्लान यह बना कि सीता सोरेन को मंत्री बनाकर उन्हें चुप कराया जाए. वह मान गईं और वह चंपई सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में प्रमुखता के साथ नजर आईं.

सीता को मंत्री बनाए जाने पर कल्पना को एतराजः अब चर्चा है कि सीता सोरेन के नाम पर हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को एतराज है. आखिर में फैसला परिवार के मुखिया शिबू सोरेन और उनकी पत्नी रूपी सोरेन पर छोड़ा जा सकता है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि चंपई सोरेन सीएम की कुर्सी पर बिठाए गए हैं, लेकिन, वह शिबू सोरेन यानी गुरुजी के परिवार की रिश्तेदारी से बाहर के शख्स हैं. शिबू सोरेन परिवार किसी भी तरह पार्टी और सरकार पर अपनी पकड़ बनाए रखेगा. जब तक हेमंत सोरेन जेल में रहेंगे, गुरुजी का घर पावर का सबसे बड़ा सेंटर बना रहेगा. जाहिर है, चंपई सोरेन की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा इस परिवार और इसके सभी सदस्यों के अंतर्विरोधों के बीच संतुलन साधने की होगी.

इनपुटः आईएएनएस

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25 वर्षों के बाद झामुमो की सियासत की कमान सोरेन परिवार से अलगः पिछले 25 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब झामुमो की सियासत-सत्ता में शीर्ष कमान शिबू सोरेन के परिवार से इतर किसी व्यक्ति के पास गई है, लेकिन इसके बावजूद जेएमएम की असल सत्ता इसी परिवार के पास रहेगी. हेमंत सोरेन ने अपने माता-पिता की सहमति से परिवार के सभी सदस्यों के बीच जो संतुलन साध रखा था, उसे कायम रखना चंपई सोरेन के लिए कतई आसान नहीं है.

सोरेन परिवार के झगड़े के बीच सुलह की चुनौती नए सीएम के सामनेः विधानसभा के विशेष सत्र के तुरंत बाद चंपई सोरेन को मंत्रीमंडल का विस्तार करना है और इसमें भी उन्हें सबसे पहले यह देखना होगा कि वह हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन और उनकी भाभी सीता सोरेन की दावेदारियों और परिवार के झगड़े के बीच किस तरह सहमति-सुलह बना पाते हैं. सरकार में डिप्टी सीएम पद के लिए सीता सोरेन और बसंत सोरेन दोनों दावेदार हैं, लेकिन इनमें से किसी एक को ही सरकार में यह हैसियत हासिल हो पाएगी. हालांकि, इनमें से एक को डिप्टी सीएम और दूसरे को मंत्री बनाने के फॉर्मूले पर बात चल रही है, लेकिन इससे झामुमो के दूसरे विधायकों की नाराजगी का खतरा है.

दुर्गा सोरेन की पत्नी कई बार वाजिब हक नहीं मिलने की कर चुकी हैं शिकायतः दूसरी बात यह कि बसंत सोरेन और सीता सोरेन में से किसी एक को ज्यादा अहमियत मिली तो दूसरे की नाराजगी खुलकर सामने आ सकती है. सीता सोरेन जामा क्षेत्र की विधायक हैं. वह हेमंत सोरेन के दिवंगत बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. पिछले कई सालों से उनकी शिकायत रही है कि उन्हें और उनकी बेटियों को पार्टी और परिवार में सियासी तौर पर वाजिब हक नहीं मिल पा रहा है.

सीएम की कुर्सी के लिए कल्पना सोरेन के नाम पर सीता सोरेन ने जताई थी आपत्तिः हेमंत सोरेन के सीएम रहते हुए भी उन्होंने कई बार अलग-अलग तरीके से अपनी ओर से व्यक्तिगत शिकायत की थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें खास तवज्जो नहीं मिली. जनवरी महीने की शुरुआत होते ही हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और उनकी सीएम की कुर्सी जाने की आशंकाएं जैसे मंडराने लगीं, सीता सोरेन ने इस संकट को अपने लिए बारगेनिंग के अवसर के तौर पर भांप लिया. एक तरफ संभावित संकट को देखते हुए सियासी मोर्चे पर बैकअप प्लान में जुटे हेमंत सोरेन अपनी जगह सीएम की कुर्सी के लिए अपनी पत्नी कल्पना सोरेन का नाम आगे करने की कोशिश में जुटे थे, तो दूसरी तरफ उनकी भाभी सीता सोरेन खुले तौर पर विरोध पर उतर आईं.

कल्पना सोरेन 30 जनवरी को पहली बार पार्टी विधायकों के साथ बैठक में मौजूद रहीं, जबकि सीता सोरेन विधायकों की बैठक से दूरी बनाते हुए दिल्ली में बैठी रहीं. उन्होंने कह दिया कि सीएम की कुर्सी पर हेमंत सोरेन की पत्नी यानी उनकी देवरानी कल्पना सोरेन से पहले उनका हक है, क्योंकि वह परिवार की बड़ी बहू हैं. उनके पति दुर्गा सोरेन ने पार्टी को खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. सीता सोरेन यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने अपनी बेटियों को भी मौका देने की मांग रख दी.

विधायक बसंत सोरेन ने भी किया था विरोधः सूत्रों के अनुसार, कल्पना सोरेन के नाम पर हेमंत सोरेन के छोटे भाई और दुमका से विधायक बसंत सोरेन की ओर से भी विरोध किया गया था. उन्होंने इसे लेकर कभी कोई बयान नहीं दिया और ना ही सार्वजनिक तौर पर कभी कुछ कहा. कहते हैं कि परिवार के भीतर से हुए इसी विरोध के चलते हेमंत सोरेन ने कल्पना की बजाय चंपई सोरेन का नाम सीएम के लिए आगे किया.

पार्टी के अंदर से आई खबरों के मुताबिक, करीब 40 घंटे की जद्दोजहद के बाद जब चंपई सोरेन को राजभवन से सीएम पद पर शपथ ग्रहण का न्योता मिला तो उनके साथ डिप्टी सीएम के तौर पर हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को भी शपथ दिलाने की तैयारी थी, लेकिन कथित तौर पर सीता सोरेन यहां भी विरोध पर उतर आईं. फिर प्लान यह बना कि सीता सोरेन को मंत्री बनाकर उन्हें चुप कराया जाए. वह मान गईं और वह चंपई सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में प्रमुखता के साथ नजर आईं.

सीता को मंत्री बनाए जाने पर कल्पना को एतराजः अब चर्चा है कि सीता सोरेन के नाम पर हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को एतराज है. आखिर में फैसला परिवार के मुखिया शिबू सोरेन और उनकी पत्नी रूपी सोरेन पर छोड़ा जा सकता है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि चंपई सोरेन सीएम की कुर्सी पर बिठाए गए हैं, लेकिन, वह शिबू सोरेन यानी गुरुजी के परिवार की रिश्तेदारी से बाहर के शख्स हैं. शिबू सोरेन परिवार किसी भी तरह पार्टी और सरकार पर अपनी पकड़ बनाए रखेगा. जब तक हेमंत सोरेन जेल में रहेंगे, गुरुजी का घर पावर का सबसे बड़ा सेंटर बना रहेगा. जाहिर है, चंपई सोरेन की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा इस परिवार और इसके सभी सदस्यों के अंतर्विरोधों के बीच संतुलन साधने की होगी.

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