कानपुर : लखीमपुर खीरी के महेशपुर रेंज के मन्नापुर गांव में बाघ मन्ना का एक तरफा आतंक था. लोगों के बीच उसकी दहशत कुछ इस कदर थी कि वह उसके खौफ में जीने को मजबूर थे. कुछ दिन पहले ही उसने खेत में काम करने वाले एक शख्स पर हमला किया था. उसे अपना निवाला बनाया था.
मन्ना इससे पहले भी एक शख्स पर हमला कर चुका था. एक के बाद एक हमले की सूचना पर वन विभाग की टीमें सक्रिय हो गई थी, और उन्होंने मन्ना को पकड़ने के लिए जगह-जगह पर पिंजरे लगा दिए थे. लेकिन वन विभाग की टीम को कुछ खास सफलता नहीं मिली थी. लेकिन 30 नवंबर को वन विभाग की टीम ने एक जाल बिछाया और पिंजरे में एक बकरे को बांध दिया जैसे ही मन्ना बकरी को निवाला बनाने के लिए आगे बढ़ा वैसे ही वह पिंजरे में कैद हो गया.
एक समय था जब मन्ना का लखीमपुर में आतंक था और हर कोई इसके दहशत का शिकार था, दो लोगों को इसने अपना निवाला भी बनाया था. लेकिन आखिरकार वह दिन आया जब माना के आतंक का अंत हुआ और अब वह कानपुर के चिड़ियाघर में सजा काट रहा है, फिलहाल चिड़ियाघर में उसको 15 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन में रखा गया है.
मन्ना की ख़ौफ़ का अंत, अधिकारियों ने विचार-विमर्श के बाद भेजा कानपुर जू़ : बीती 23 नवंबर को बाघ मन्ना को पिंजड़े में कैद करने के बाद, अधिकारियों के काफी विचार विमर्श के बाद आखिरकार इसे कहां पर रखा जाए. कई बार ऐसा होता है कि जब किसी वन्य जीव को रेस्क्यू किया जाता है, तो उसे जंगल में छोड़ दिया जाता है.
मन्ना आदमखोर बन चुका था, जिस वजह से उसे दोबारा से जंगल में छोड़ना अधिकारियों को उचित नहीं लगा, और उन्होंने उसे कानपुर जू भेजने पर अपनी सहमती जताई. इसके बाद लखीमपुर खीरी क्षेत्रीय वन अधिकारी अभय प्रताप सिंह समेत अन्य वन अधिकारियों की निगरानी में, उसे कानपुर चिड़ियाघर छोड़ गए. जहां पर अब उसे 15 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन कर एक अलग पिंजरे में रखा गया है. कानपुर चिड़ियाघर में उसकी डॉक्टरों द्वारा, पूरी तरह से देखरेख की जा रही है.
मन्ना का कानपुर चिड़िया घर में चल रहा इलाज : क्षेत्रीय वन अधिकारी नावेद इकराम ने बताया, कि मन्ना के शरीर में कई जगह पर गंभीर चोटे हैं. जिसका कानपुर चिड़ियाघर में डॉक्टरों के द्वारा उपचार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उसकी डाइट का ख्याल रखते हुए, उसके स्वभाव को भी देखा जा रहा है, कि आखिर वह किस तरह की एक्टिविटी कर रहा है. पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद ही उसे बाड़े में रखा जाएगा.
अकेले बैरक में तन्हाई की जिंदगी जी रहा आदमखोर मन्ना : कानपुर जू के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अनुराग सिंह ने बताया कि, बाघ मन्ना की शरीर पर काफी ज्यादा चोटे हैं, उसके बाएं पैर की एल्बो के जॉइंट पर भी काफी ज्यादा चोट है, उन्होंने बताया कि उसका एक कैनाइन भी टूट गया है, और कुछ नाखून भी टूटे हुए हैं. उसका जो स्वभाव है, वह पिंजरे में काफी ज्यादा आक्रामक है, लेकिन वह अपनी डाइट सही तरह से ले रहा है, कल शाम को भी उसने 5 किलो भैंस का मीट खाया है.
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