गिरिडीह: झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा द्वारा विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी के प्रत्याशियों की घोषणा की जा रही है. पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष जयराम कुमार महतो द्वारा अभी तक 20 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की गई है. पार्टी के द्वारा 2 दिन पहले ही प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की गई है. इस सूची में गांडेय से अकील अख्तर (रिजवान) को प्रत्याशी बनाया गया है. अब इस घोषणा के बाद पार्टी में विरोध के स्वर उठने लगे हैं.
पार्टी के नेता मीडिया के सामने आ रहे हैं और अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं. गांडेय विधानसभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार राजेश यादव ने भी ईटीवी भारत से बातचीत में अपना विरोध जताया है. राजेश यादव ने विधानसभा सीट के लिए उम्मीदवारी चयन की प्रक्रिया पर सवाल उठाया है. इनका कहना है कि जब गांडेय विधानसभा सीट के लिए पांच लोगों ने अपना नामांकन फॉर्म भरते हुए पार्टी कार्यालय में जमा किया था तो आखिर छठा दावेदार कहां से आ गया.
राजेश का कहना है कि जिस अकील अख्तर को पार्टी ने टिकट दिया है वह अकील अख्तर गांडेय विधानसभा तो छोड़ दीजिए गिरिडीह जिले से भी नहीं आता है. बातचीत में राजेश यादव ने कहा कि उन्होंने अपनी आपत्ति और सुझाव लिखित तरीके से पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष जयराम कुमार महतो को भेज दिया है. उन्हें उम्मीद है कि उनकी बातों को सुना जाएगा.
कौन हैं राजेश यादव
हम यहां बता दे कि राजेश यादव ऊर्फ राजेश कुमार गांडेय विधानसभा क्षेत्र के बड़े नेता में से एक है. वर्ष 2005 में राजेश यादव भाकपा माले की टिकट पर गांडेय विधानसभा सीट से खड़े हुए थे. इस चुनाव में राजेश को 6070 मत मिला था. 2009 में राजेश यादव एक बार फिर भाकपा माले की टिकट पर गांडेय विधानसभा सीट से खड़े हुए. इस बार इन्हें 18597 मत मिला.
2014 में फिर भाकपा माले में राजेश को उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में राजेश को 11202, 2019 में 7408 मत मिला. 2024 के उपचुनाव में भाकपा माले ने झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी कल्पना मुर्मू सोरेन को समर्थन दिया और ऐसे में राजेश यादव टिकट से वंचित रह गए.
अब विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले राजेश यादव ने भाजपा माले छोड़ दी. राजेश ने जयराम की पार्टी को ज्वाइन कर लिया. राजेश को यह उम्मीद है कि गांडेय विधानसभा सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस बार यहां से गिरिडीह जिले से बाहर के प्रत्याशी को उम्मीदवार बना दिया गया है. अब इस उम्मीदवारी को लेकर झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा में विवाद उभर आया है. अब देखना यह होगा कि जयराम महतो इन विवादों से कैसे निपटेंगे और जो नेता तथा कार्यकर्ता रूठ गए हैं, उन्हें वह कैसे मनाएंगे.
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