पटना: सिवान के सांसद रहे राजद के दिवंगत नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन का परिवार फिर से राजद के साथ जुड़ गया है. इसको लेकर बिहार का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. पटना में राजद सुप्रीमो लालू यादव ने तेजस्वी यादव समेत आरजेडी के कई प्रमुख नेताओं की उपस्थिति में हेना शहाब और ओसामा शहाब को को पार्टी में शामिल किया. इसके बाद से पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि दोनों के राजद में आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी.
हम सबको मिलकर साथ चलने की जरूरत है: तेजस्वी यादव ने बताया कि दोनों के आरजेडी में आने से पार्टी को क्या फायदा है. मीडिया से बातचीत में तेजस्वी यादव ने बताया कि मोहम्मद शहाबुद्दीन आरजेडी के फाउंडर मेंबर रहे. लंबे अरसे तक विधायक और सांसद रहे. पार्टी के बड़े नेता रहे. उन्होंने कहा है कि भाई ओसामा और उनकी माता हेना शहाब कद्दावर नेता रह चुकी है. उनके साथ आए बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने भी पार्टी की सदस्यता ली है. जिसकी मुझे खुशी है. अब हम सबको मिलकर साथ चलने की जरूरत है.
"दोनों के पार्टी में आने से सिवान के साथ ही पूरे बिहार में आरजेडी को मजबूती मिलेगी. हमलोगों की विचारधारा धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय है. इस विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाएंगे. जिस तरह फिरकापरस्त शक्तियां आरएसएस और बीजेपी को नीतीश कुमार के राज में फलने-फूलने दिया गया. जहां केवल अभी नफरत की बात कही जा रही है. उस दौर में जरूरी है कि हम एकजुट होकर सांप्रदायिक शक्तियों का सामना करें. ये बांटने की साजिश कर रहे हैं उस समय जरूरी है कि हम एकजुट रहें." -तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
जीत रहे है हम
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 27, 2024
जीत रहा है बिहार। pic.twitter.com/FxFyXNE9dI
हेना के नहीं रहने से राजद को हुआ नुकसान: वहीं हरिशंकर यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हेना शहाब के नहीं रहने से राजद को बहुत नुकसान हुआ है. अगर हिना शहाब राजद में होती तो लोकसभा का 15 से 20 सीट और बढ़ जाता, लेकिन देर सही दुरुस्त हुआ है. हम लोग शुरू से चाहते थे कि हिना शहाब राजद में ही रहे अब हम लोग बहुत खुश हैं.
हेना ने निर्दलीय लड़ा था लोकसभा चुनाव: लालू परिवार से नाराजगी के कारण हेना शहाब ने सिवान सीट से 2024 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर लड़ा था. हालांकि वह जेडीयू उम्मीदवार विजयलक्ष्मी कुशवाहा से शिकस्त खा गईं, जबकि आरजेडी प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी तीसरे स्थान पर रहे. इससे पहले भी वह शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद 2009, 2014 और 2019 का चुनाव आरजेडी के सिंबल पर लड़ा था लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा था.
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