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ट्रांसफर के लिए नजदीक के स्कूल का विकल्प सुझा सकते हैं शिक्षक, शिक्षा निदेशालय ने समस्याओं के निवारण के लिए गठित की समिति - Directorate of Education Delhi

दिल्ली सरकार के स्कूलों में पिछले 10 साल से कार्यरत शिक्षकों के ट्रांसफर के मामलों के निवारण के लिए शिक्षा निदेशालय ने एक शिकायत निवारण समिति का गठन किया है.

शिक्षा निदेशालय दिल्ली
शिक्षा निदेशालय दिल्ली (Etv bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 7, 2024, 8:24 PM IST

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्री आतिशी के सख्त रुख के बाद शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में पिछले 10 साल से कार्यरत शिक्षकों के ट्रांसफर के मामले में थोड़ी नरमी दिखाई है. दरअसल, निदेशालय ने एक सर्कुलर जारी कर ट्रांसफर होने वाले शिक्षकों की स्कूल की दूरी एवं अन्य समस्याओं को लेकर एक शिकायत निवारण समिति का गठन किया है. चार सदस्यीय इस समिति में उप शिक्षा निदेशक (विजिलेंस) पवन कुमार को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.

शिक्षकों को अपने ट्रांसफर को लेकर अगर स्कूल की दूरी ज्यादा लगती है तो उसको लेकर या अन्य किसी समस्या को लेकर के नजदीक के स्कूल का विकल्प देने या अपनी कोई शिकायत दर्ज कराने के लिए 15 जुलाई तक का समय दिया गया है. 15 जुलाई तक जो शिक्षक अपने ट्रांसफर को लेकर शिकायत दर्ज करेंगे उनकी शिकायतों पर यह समिति विचार करेगी और उनको दूर करने का प्रयास करेगी.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में पांच हजार शिक्षकों का तबादला, पहली बार शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों की बिना मर्जी के किया ट्रांसफर

इस समिति का गठन करके शिक्षा निदेशालय ने यह साफ किया है कि शिक्षकों का ट्रांसफर तो होगा ही होगा, इसमें फेरबदल की कोई गुंजाइश नहीं है. बस अब शिक्षकों को इतनी राहत दी जा रही है कि अगर उनका ट्रांसफर ऐसे स्कूलों में हुआ है, जिसकी दूरी उनके घर से ज्यादा है तो वह नजदीक के किसी अन्य स्कूल का विकल्प सुझा सकते हैं. लेकिन, फिलहाल शिक्षा निदेशालय शिक्षकों के ट्रांसफर को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है.

वहीं, शिक्षकों कहना है कि अधिकारियों पर शिक्षा मंत्री के आदेश और कारण बताओ नोटिस का कोई असर नहीं है. अधिकारी अपनी मनमानी पर अड़े हुए हैं. एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह शिकायत निवारण समिति बनाने का भी कोई खास फायदा नहीं होगा. क्योंकि सिर्फ उन शिक्षकों के स्कूल को बदलने का विकल्प दिया गया है, जिनका ट्रांसफर उनके पहले के स्कूल से 15 किलोमीटर की दूरी से ज्यादा दूरी पर होगा. इसके अलावा जो दिव्यांग हैं उनको भी नजदीक के स्कूल का विकल्प दिया गया है.

शिक्षक ने बताया कि ऐसे बहुत ही कम टीचर हैं, जिनका ट्रांसफर 15 किलोमीटर से ज्यादा दूरी के स्कूल में किया गया हो. सभी के ट्रांसफर आसपास के स्कूल में ही किया गया है. इस क्राइटेरिया में आने वाले टीचरों की संख्या बहुत ही कम रहने वाली है. इसलिए इस समिति से भी ट्रांसफर होने वाले शिक्षकों को कोई ज्यादा राहत नहीं मिलने वाली है. शिक्षकों का स्कूल बदलने से शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ना तय है.

ये भी पढ़ें: शिक्षकों के ऑनलाइन ट्रांसफर ऑर्डर तुरंत वापस लें, 7 दिनों में सौंपें रिपोर्ट, शिक्षा मंत्री ने सचिव को दिए निर्देश

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्री आतिशी के सख्त रुख के बाद शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में पिछले 10 साल से कार्यरत शिक्षकों के ट्रांसफर के मामले में थोड़ी नरमी दिखाई है. दरअसल, निदेशालय ने एक सर्कुलर जारी कर ट्रांसफर होने वाले शिक्षकों की स्कूल की दूरी एवं अन्य समस्याओं को लेकर एक शिकायत निवारण समिति का गठन किया है. चार सदस्यीय इस समिति में उप शिक्षा निदेशक (विजिलेंस) पवन कुमार को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.

शिक्षकों को अपने ट्रांसफर को लेकर अगर स्कूल की दूरी ज्यादा लगती है तो उसको लेकर या अन्य किसी समस्या को लेकर के नजदीक के स्कूल का विकल्प देने या अपनी कोई शिकायत दर्ज कराने के लिए 15 जुलाई तक का समय दिया गया है. 15 जुलाई तक जो शिक्षक अपने ट्रांसफर को लेकर शिकायत दर्ज करेंगे उनकी शिकायतों पर यह समिति विचार करेगी और उनको दूर करने का प्रयास करेगी.

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इस समिति का गठन करके शिक्षा निदेशालय ने यह साफ किया है कि शिक्षकों का ट्रांसफर तो होगा ही होगा, इसमें फेरबदल की कोई गुंजाइश नहीं है. बस अब शिक्षकों को इतनी राहत दी जा रही है कि अगर उनका ट्रांसफर ऐसे स्कूलों में हुआ है, जिसकी दूरी उनके घर से ज्यादा है तो वह नजदीक के किसी अन्य स्कूल का विकल्प सुझा सकते हैं. लेकिन, फिलहाल शिक्षा निदेशालय शिक्षकों के ट्रांसफर को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है.

वहीं, शिक्षकों कहना है कि अधिकारियों पर शिक्षा मंत्री के आदेश और कारण बताओ नोटिस का कोई असर नहीं है. अधिकारी अपनी मनमानी पर अड़े हुए हैं. एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह शिकायत निवारण समिति बनाने का भी कोई खास फायदा नहीं होगा. क्योंकि सिर्फ उन शिक्षकों के स्कूल को बदलने का विकल्प दिया गया है, जिनका ट्रांसफर उनके पहले के स्कूल से 15 किलोमीटर की दूरी से ज्यादा दूरी पर होगा. इसके अलावा जो दिव्यांग हैं उनको भी नजदीक के स्कूल का विकल्प दिया गया है.

शिक्षक ने बताया कि ऐसे बहुत ही कम टीचर हैं, जिनका ट्रांसफर 15 किलोमीटर से ज्यादा दूरी के स्कूल में किया गया हो. सभी के ट्रांसफर आसपास के स्कूल में ही किया गया है. इस क्राइटेरिया में आने वाले टीचरों की संख्या बहुत ही कम रहने वाली है. इसलिए इस समिति से भी ट्रांसफर होने वाले शिक्षकों को कोई ज्यादा राहत नहीं मिलने वाली है. शिक्षकों का स्कूल बदलने से शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ना तय है.

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