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फेस ऑफ शिक्षा निदेशालय के पुरस्कार से शिक्षक प्रेम कुमार सम्मानित, जानिए किस तरह बच्चों को करियर बनाने में करते हैं मदद - Teachers Day 2024

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 5, 2024, 10:19 PM IST

शिक्षक दिवस पर दिल्ली सरकार ने 118 शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार दिए. पुरस्कार प्राप्त करने वालों में सबसे प्रमुख चेहरा रहे फेस ऑफ शिक्षा निदेशालय प्रेम कुमार ने ETV Bharat से खास बातचीत की.

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पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक से बातचीत (ETV Bharat)
पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक से बातचीत (ETV Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शिक्षक दिवस पर 118 शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार दिया. पुरस्कार प्राप्त करने वालों में से सबसे प्रमुख चेहरा रहे फेस ऑफ शिक्षा निदेशालय प्रेम कुमार ने ETV Bharat के साथ बातचीत की. वह राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय सेक्टर-10 द्वारका में कार्यरत हैं. साथ ही एनसीसी के भी ऑफिसर हैं. उन्हें शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए 35 साल हो चुके हैं. उन्हें वर्ष 2010 में पहली बार दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा राज्य शिक्षक पुरस्कार दिया गया था. इसके बाद अब सरकार ने एक बार फिर उन्हें फेस ऑफ शिक्षा निदेशालय के पुरस्कार लिए चुना.

प्रेम कुमार ने बताया कि मेरा स्पेशल स्कूल है. मैं पॉलिटिकल साइंस का लेक्चरर हूं. पॉलिटिकल साइंस में मेरे पांच-पांच बच्चों के कई साल से 100 में 100 नंबर आए हैं. हमारा स्कूल देश भर में पिछले 10 साल से अकादमिक स्तर पर नंबर वन बना हुआ है. मैं एनसीसी में चीफ ऑफिसर मेजर रैंक के बराबर रहा. हमारे स्कूल के जो छात्र-छात्राएं रहे हैं वे आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और भारतीय सेना व नौ सेना में कमीशंड ऑफिसर हैं. हमारे यहां का एक छात्र वायुसेना में पायलट हैं, जो अभी खड़गवासला में पोस्टेड हैं. इसके अलावा देश भर में आईईएस में दूसरी रैंक लाने वाली ईशा बराक इस समय केंद्र सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव के पद पर हैं.

स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों के लिए मिशन: जबसे हमारा स्कूल डॉक्टर बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस बना है तबसे हमने मेहनत और ज्यादा बढ़ा दी है. हम स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों को एक मिशन देते हैं. अभी से हमने 11वीं के बच्चों को मिशन 2026 दे दिया है कि उन्हें दो साल बाद बोर्ड की परीक्षा देनी है और अच्छे नंबर लाने हैं. इसके बाद हम उन्हें अगले तीन साल का मिशन दे देते हैं. अगले तीन साल में उन्हें आईआईटी, आईएएस या नीट का मिशन लगाकर चलते हैं और उसी के हिसाब से उनकी तैयारी कराते हैं. इस तरह से बच्चे किसी न किसी फील्ड में अपनी रुचि के अनुसार करियर बना लेते हैं. इससे स्कूल भी निरंतर शीर्ष पर बना रहता है.

गरीब वर्ग के बच्चों को अलग से कराते हैं तैयारी: प्रेम कुमार ने बताया कि हमारे स्कूल में एक रिक्शे वाले से लेकर बैंक मैनेजर तक के बच्चे पढ़ते हैं. हम उन्हें उसी तरह से डील करते हैं. हम बच्चे को उसके फैमिली बैकग्राउंड के हिसाब से लेकर चलते हैं. हम ऐसे बच्चों को एक्सट्रा क्लास देकर उनके रिजल्ट को इम्प्रूव करने की कोशिश करते हैं. बोर्ड परीक्षा वाले बच्चों के लिए हमारे प्रधानाचार्य ने किराए पर उन्हें कमरा दिलाकर उनके खाने पीने और पढ़ने की व्यवस्था की और उनके रिजल्ट में सुधार हुआ. प्रेम कुमार ने कहा कि स्कूल का अच्छा रिजल्ट लाने के लिए हर शिक्षक को अपने विषय में मास्टर होना जरूरी है. क्लास रूम में जाने से पहले उसे अपनी तैयारी जरूर करनी चाहिए.

ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह की पढ़ाई: ऑफलाइन के साथ अब ऑनलाइन पढ़ाई का भी चलन बढ़ा है. आपातकालीन स्थिति कभी आ सकती है. जैसे कोरोना काल में हम सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ा. बच्चे स्कूल से दूर हो गए. उस दौरान ऑनलाइन पढा़ई का चलन शुरू हुआ. हम रात में तीन-तीन बजे तक ऑनलाइन पढ़ाने की तैयारी करते थे. इसके बाद सुबह 8.20 से क्लास लेते थे, तब बहुत से बच्चे कुछ समझ नहीं पाते थे, क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई चलन एकदम नया था. ऐसे में हम बच्चों को ज्यादा समय देकर मेहनत करते थे. अब बच्चों ने फिर से ऑफलाइन पढऩा शुरू कर दिया है. ऑनलाइन पढ़ाई भी अपनी जगह ठीक है. ऐसा नहीं है कि उसकी कोई जरूरत नहीं है. आज के समय में ऑनलाइन पढ़ाई भी समय की जरूरत है.

ये भी पढ़ें: IAS अफसरों से अधिक होनी चाहिए शिक्षकों की सैलरी, टीचर्स डे पर बोले मनीष सिसोदिया

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पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक से बातचीत (ETV Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शिक्षक दिवस पर 118 शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार दिया. पुरस्कार प्राप्त करने वालों में से सबसे प्रमुख चेहरा रहे फेस ऑफ शिक्षा निदेशालय प्रेम कुमार ने ETV Bharat के साथ बातचीत की. वह राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय सेक्टर-10 द्वारका में कार्यरत हैं. साथ ही एनसीसी के भी ऑफिसर हैं. उन्हें शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए 35 साल हो चुके हैं. उन्हें वर्ष 2010 में पहली बार दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा राज्य शिक्षक पुरस्कार दिया गया था. इसके बाद अब सरकार ने एक बार फिर उन्हें फेस ऑफ शिक्षा निदेशालय के पुरस्कार लिए चुना.

प्रेम कुमार ने बताया कि मेरा स्पेशल स्कूल है. मैं पॉलिटिकल साइंस का लेक्चरर हूं. पॉलिटिकल साइंस में मेरे पांच-पांच बच्चों के कई साल से 100 में 100 नंबर आए हैं. हमारा स्कूल देश भर में पिछले 10 साल से अकादमिक स्तर पर नंबर वन बना हुआ है. मैं एनसीसी में चीफ ऑफिसर मेजर रैंक के बराबर रहा. हमारे स्कूल के जो छात्र-छात्राएं रहे हैं वे आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और भारतीय सेना व नौ सेना में कमीशंड ऑफिसर हैं. हमारे यहां का एक छात्र वायुसेना में पायलट हैं, जो अभी खड़गवासला में पोस्टेड हैं. इसके अलावा देश भर में आईईएस में दूसरी रैंक लाने वाली ईशा बराक इस समय केंद्र सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव के पद पर हैं.

स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों के लिए मिशन: जबसे हमारा स्कूल डॉक्टर बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस बना है तबसे हमने मेहनत और ज्यादा बढ़ा दी है. हम स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों को एक मिशन देते हैं. अभी से हमने 11वीं के बच्चों को मिशन 2026 दे दिया है कि उन्हें दो साल बाद बोर्ड की परीक्षा देनी है और अच्छे नंबर लाने हैं. इसके बाद हम उन्हें अगले तीन साल का मिशन दे देते हैं. अगले तीन साल में उन्हें आईआईटी, आईएएस या नीट का मिशन लगाकर चलते हैं और उसी के हिसाब से उनकी तैयारी कराते हैं. इस तरह से बच्चे किसी न किसी फील्ड में अपनी रुचि के अनुसार करियर बना लेते हैं. इससे स्कूल भी निरंतर शीर्ष पर बना रहता है.

गरीब वर्ग के बच्चों को अलग से कराते हैं तैयारी: प्रेम कुमार ने बताया कि हमारे स्कूल में एक रिक्शे वाले से लेकर बैंक मैनेजर तक के बच्चे पढ़ते हैं. हम उन्हें उसी तरह से डील करते हैं. हम बच्चे को उसके फैमिली बैकग्राउंड के हिसाब से लेकर चलते हैं. हम ऐसे बच्चों को एक्सट्रा क्लास देकर उनके रिजल्ट को इम्प्रूव करने की कोशिश करते हैं. बोर्ड परीक्षा वाले बच्चों के लिए हमारे प्रधानाचार्य ने किराए पर उन्हें कमरा दिलाकर उनके खाने पीने और पढ़ने की व्यवस्था की और उनके रिजल्ट में सुधार हुआ. प्रेम कुमार ने कहा कि स्कूल का अच्छा रिजल्ट लाने के लिए हर शिक्षक को अपने विषय में मास्टर होना जरूरी है. क्लास रूम में जाने से पहले उसे अपनी तैयारी जरूर करनी चाहिए.

ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह की पढ़ाई: ऑफलाइन के साथ अब ऑनलाइन पढ़ाई का भी चलन बढ़ा है. आपातकालीन स्थिति कभी आ सकती है. जैसे कोरोना काल में हम सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ा. बच्चे स्कूल से दूर हो गए. उस दौरान ऑनलाइन पढा़ई का चलन शुरू हुआ. हम रात में तीन-तीन बजे तक ऑनलाइन पढ़ाने की तैयारी करते थे. इसके बाद सुबह 8.20 से क्लास लेते थे, तब बहुत से बच्चे कुछ समझ नहीं पाते थे, क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई चलन एकदम नया था. ऐसे में हम बच्चों को ज्यादा समय देकर मेहनत करते थे. अब बच्चों ने फिर से ऑफलाइन पढऩा शुरू कर दिया है. ऑनलाइन पढ़ाई भी अपनी जगह ठीक है. ऐसा नहीं है कि उसकी कोई जरूरत नहीं है. आज के समय में ऑनलाइन पढ़ाई भी समय की जरूरत है.

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