पटना: देश और राज्य के अंदर आज कई ऐसी शख्सियत हैं, जो अध्यापन या शिक्षण के कार्य से राजनीति के क्षेत्र में आए हैं. बिहार में शिक्षक से राजनेता बने प्रोफेसर नवल किशोर यादव भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं. उन्होंने निजी प्रयासों से शिक्षा को ऊंचाई देने की कोशिश की और कई ऐसे स्कूलों को गोद लिया, जो झोपड़ी में चलते थे. उस वक्त स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति न के बराबर हुआ करती थी लेकिन आज शानदार भवनों में ये स्कूल चलते हैं.
स्कूल-कॉलेज पर 50 करोड़ से अधिक खर्च: प्रोफेसर नवल किशोर यादव पटना स्थित गुरु गोविंद सिंह महाविद्यालय में मनोविज्ञान विषय के व्याख्याता हैं. 1988-89 में नवल किशोर यादव नौकरी में आए थे. कुछ ही वर्षों के बाद अर्थात 1996 में वह शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से विधान पार्षद चुन लिए गए. विधान पार्षद बनने के बाद उन्होंने कई स्कूलों और कॉलेज का कायाकल्प किया. अपने सरकारी फंड का उपयोग सिर्फ शिक्षा के स्तर को सुधारने में किया. अब तक 50 करोड़ से अधिक खर्चकर उन्होंने कई स्कूल और कॉलेज को संवारा है.
178 स्कूलों और कॉलेज का हुआ कायाकल्प: नवल किशोर यादव पिछले 28 साल से विधान पार्षद हैं. वह लगातार शिक्षकों के हक की लड़ाई लड़ते हैं. स्कूल और कॉलेज के विकास में वह अपने विधान पार्षद फंड का 40 करोड़ से अधिक खर्च कर चुके हैं. इससे कई छात्रों का भविष्य संवर रहा है. पटना, नालंदा और नवादा जिले के कई स्कूल कॉलेज नजीर बन चुके हैं.
केबी सहाय स्कूल को दिया अलग रूप: राजधानी पटना के बीचों-बीच केबी सहाय विद्यालय था. जिसका संचालन झोपड़ी में हुआ करता था. लोग झोपड़िया स्कूल के नाम से भी जानते थे लेकिन आज की तारीख में केबी सहाय विद्यालय के अपने भवन और तमाम तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर है. पहले जहां 20-25 बच्चे स्कूल में पढ़ाई करने आते थे. आज की तारीख में वह संख्या बढ़कर 1000 से लेकर 1500 तक पहुंच गई है और प्लस टू तक की पढ़ाई होती है. नवल किशोर यादव ने अपने फंड से स्कूल को विकसित करने के लिए 20 लाख से अधिक खर्च किया है.
राम लखन सिंह विद्यालय का बदला स्वरूप: पटना के बीचों-बीच राम लखन सिंह यादव स्कूल हुआ करता था, जिसका संचालन भी झोपड़ी में होता था. राम लखन सिंह यादव स्कूल में भी 20-25 बच्चे हर रोज आते थे. उन्होंने विधान पार्षद फंड से स्कूल का भवन बनवाया और घेराबंदी की. आज स्कूल में प्लस टू तक की पढ़ाई होती है और 1500 बच्चे पढ़ाई करते हैं. स्कूल में स्मार्ट क्लासेस और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था नवल किशोर यादव के फंड से की गई. आज पूरे इलाके के बच्चे राम लखन सिंह यादव स्कूल में पढ़ाई करने जाते हैं.
इन स्कूल-स्कूल को भी संवारा: इसके अलावा बीएन कॉलेज गेट स्कूल भी भवनहीन था और नवल किशोर यादव ने अपने फंड से 40 लख रुपए दिए. जिससे भवन का निर्माण हुआ और हजारों बच्चे यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. राजधानी पटना का पीएन एंग्लो स्कूल भी भवनहीन था. 50 लाख के लागत से पीएन एंग्लो स्कूल का कायाकल्प हुआ और आज हजारों बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. नवल किशोर यादव ने अपने फंड से बीएन कॉलेज को सुसज्जित किया और तकरीबन 50 लख रुपये का फंड दिया. इसके अलावा आरआर कॉलेज मेरगामा मसौढ़ी भवनहीन हुआ करता था लेकिन 50 लाख से अधिक की लागत से वहां कॉलेज का भवन निर्मित हुआ और इलाके के छात्र अब वहां अच्छे से पढ़ाई कर रहे हैं.
"जब से नवल किशोर यादव विधान पार्षद बने, तब से स्कूल कैसे विकसित हो, इसकी चिंता करते रहे हैं. हमारे स्कूल में पहले कुछ भी नहीं था. झोपड़ी में संचालन होता था लेकिन आज की तारीख में हमारा स्कूल मॉडल बन चुका है और हजार से ज्यादा बच्चे वहां पढ़ाई करते हैं."- सुधीर कुमार, प्रधानाचार्य, राम लखन सिंह यादव, पटना
क्या बोले नवल किशोर यादव?: विधान पार्षद नवल किशोर यादव कहते हैं कि समाज का निर्माण करना है तो शिक्षित करना जरूरी है. बच्चे अगर शिक्षित हो गए तो समाज और देश का निर्माण हो जाएगा. इसी सोच के साथ मैंने यह फैसला लिया कि अपना पूरा प्रयास में स्कूल और कॉलेज को विकसित करने में लगाऊंगा. मेरे पास कई लोग नाली-गली और सड़क के लिए आते थे लेकिन मैं उनसे हाथ जोड़ लेता था. उनकी मुझे नाराजगी भी झेलनी पड़ती थी अब लोग भी समझ गए हैं.
"178 स्कूल कॉलेज मेरे प्रयासों से विकसित हो चुके हैं तो मुझे एक तरीके से आत्म संतुष्टि होती है और लगता है कि एक सभी समाज के निर्माण में हमने अपनी भूमिका निभाई है. बच्चे अगर शिक्षित हो गए तो समाज और देश का निर्माण हो जाएगा. इसी सोच के साथ मैंने यह फैसला लिया कि अपना पूरा प्रयास में स्कूल और कॉलेज को विकसित करने में लगाऊंगा."- नवल किशोर यादव, विधान पार्षद, बीजेपी
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