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शरीर में दिखे ये लक्षण तो हो सकती है टीबी, समय पर कराएं जांच, घर-घर खोजे जा रहे रोगी - TB disease dastak campaign

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 21, 2024, 7:20 AM IST

काशी में टीबी के मरीजों के उपचार के लिए दस्तक अभियान चलाया जा रहा है. कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से बीमारी के लक्षण आदि के बारे में जानकारी दे रहे हैं.

दस्तक अभियान के तहत लोगों को किया जा रहा जागरूक.
दस्तक अभियान के तहत लोगों को किया जा रहा जागरूक. (Photo Credit; ETV Bharat)

वाराणसी : यदि आपको दो हफ्तों से ज्यादा समय से खांसी आ रही है, थकावट व कमजोरी महसूस हो रही है, भूख नहीं लग रही या वजन में लगातार कमी आ रही है, रात में बुखार के साथ–साथ पसीना भी आता है, खांसते समय बलगम में खून आता है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे ही लक्षण वाले संभावित रोगियों को खोजने के लिए वाराणसी में 31 जुलाई तक दस्तक अभियान चलाया जा रहा है.

बता दें कि इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर रहीं हैं. टीबी के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार कर रहीं हैं. यदि आपको भी टीबी के लक्षण दिखाई दें तो आशा को इसकी जानकारी जरूर दें. अब तक इस अभियान में 12 संभावित रोगी पाए गए हैं.

पोस्टर-बैनर से लोगों को किया जा रहा जागरूक.
पोस्टर-बैनर से लोगों को किया जा रहा जागरूक. (Photo Credit; ETV Bharat)

इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि दस्तक अभियान के दौरान बुखार, खांसी, किसी प्रकार की एलर्जी, कुष्ठ रोग, टीबी आदि रोगों के लक्षण वाले व्यक्तियों की जानकारी लें. सभी संभावित रोगियों को सूचीबद्ध कर उन्हें बचाव के उपाय बताएं.

ये लक्षण दिखने पर हो जाएं सावधान : वहीं जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. पीयूष राय ने बताया कि टीबी का उपचार और जांच पूरी तरह से मुफ्त है. किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी आ रही है तो वह टीबी का मरीज भी हो सकता है. ध्यान रखना है कि खांसी का ऐसा हर मरीज टीबी का रोगी नहीं होता है, लेकिन अगर यह लक्षण है तो टीबी की जांच जरूर कराई जानी चाहिए. इसके अलावा बलगम में खून, सांस फूलना, तेजी के साथ वजन गिरना, भूख न लगना, रात में पसीने के साथ बुखार आना जैसे लक्षण भी टीबी में नजर आते हैं. अगर ऐसे लोगों की समय से जांच हो जाए और इलाज हो तो वह न केवल वह ठीक हो जाते हैं, बल्कि दूसरे लोग भी टीबी संक्रमित होने से बच जाते हैं.

घर-घर जाकर खोजे जा रहे मरीज.
घर-घर जाकर खोजे जा रहे मरीज. (Photo Credit; ETV Bharat)

समय से इलाज न हो तो रोगी वर्ष में 10 से 12 लोगों को टीबी से संक्रमित कर सकता है, लेकिन यदि ऐसे मरीज को खोजकर तुरंत दवा आरंभ कर दी जाए तो वह तीन हफ्ते बाद किसी को भी संक्रमित नहीं कर पाएगा. मरीजों को इलाज के साथ सही पोषण देने के लिए पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से उनके खाते में भी दिए जाते हैं.

यह भी पढ़ें : प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव के सामने खुली हर घर जल योजना की पोल, लोग बोले- कई जगह लीकेज, नहीं आता पानी

वाराणसी : यदि आपको दो हफ्तों से ज्यादा समय से खांसी आ रही है, थकावट व कमजोरी महसूस हो रही है, भूख नहीं लग रही या वजन में लगातार कमी आ रही है, रात में बुखार के साथ–साथ पसीना भी आता है, खांसते समय बलगम में खून आता है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे ही लक्षण वाले संभावित रोगियों को खोजने के लिए वाराणसी में 31 जुलाई तक दस्तक अभियान चलाया जा रहा है.

बता दें कि इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर रहीं हैं. टीबी के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार कर रहीं हैं. यदि आपको भी टीबी के लक्षण दिखाई दें तो आशा को इसकी जानकारी जरूर दें. अब तक इस अभियान में 12 संभावित रोगी पाए गए हैं.

पोस्टर-बैनर से लोगों को किया जा रहा जागरूक.
पोस्टर-बैनर से लोगों को किया जा रहा जागरूक. (Photo Credit; ETV Bharat)

इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि दस्तक अभियान के दौरान बुखार, खांसी, किसी प्रकार की एलर्जी, कुष्ठ रोग, टीबी आदि रोगों के लक्षण वाले व्यक्तियों की जानकारी लें. सभी संभावित रोगियों को सूचीबद्ध कर उन्हें बचाव के उपाय बताएं.

ये लक्षण दिखने पर हो जाएं सावधान : वहीं जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. पीयूष राय ने बताया कि टीबी का उपचार और जांच पूरी तरह से मुफ्त है. किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी आ रही है तो वह टीबी का मरीज भी हो सकता है. ध्यान रखना है कि खांसी का ऐसा हर मरीज टीबी का रोगी नहीं होता है, लेकिन अगर यह लक्षण है तो टीबी की जांच जरूर कराई जानी चाहिए. इसके अलावा बलगम में खून, सांस फूलना, तेजी के साथ वजन गिरना, भूख न लगना, रात में पसीने के साथ बुखार आना जैसे लक्षण भी टीबी में नजर आते हैं. अगर ऐसे लोगों की समय से जांच हो जाए और इलाज हो तो वह न केवल वह ठीक हो जाते हैं, बल्कि दूसरे लोग भी टीबी संक्रमित होने से बच जाते हैं.

घर-घर जाकर खोजे जा रहे मरीज.
घर-घर जाकर खोजे जा रहे मरीज. (Photo Credit; ETV Bharat)

समय से इलाज न हो तो रोगी वर्ष में 10 से 12 लोगों को टीबी से संक्रमित कर सकता है, लेकिन यदि ऐसे मरीज को खोजकर तुरंत दवा आरंभ कर दी जाए तो वह तीन हफ्ते बाद किसी को भी संक्रमित नहीं कर पाएगा. मरीजों को इलाज के साथ सही पोषण देने के लिए पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से उनके खाते में भी दिए जाते हैं.

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