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टैक्सी वाहनों की हड़ताल से थमीं पहाड़ों की लाइफ लाइन, बसों का इंतजार करते दिखे लोग

Haldwani Taxi Union मांगों को लेकर टैक्सी चालक हड़ताल पर चले गए हैं. जिस कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी पर्वतीय क्षेत्रों में जाने वाले यात्रियों को हो रही है. टैक्सी चालकों की हड़ताल के बाद लोग बसों का इंतजार करते दिखाई दिए.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 27, 2024, 2:27 PM IST

टैक्सी वाहनों की हड़ताल से लोगों को हो रही परेशान

हल्द्वानी: पहाड़ की लाइफ लाइन कहे जाने वाली टैक्सी चालक हड़ताल पर चले गए हैं. टैक्सी चालकों की हड़ताल से पर्वतीय क्षेत्रों में जाने और आने वाले लोगों को फजीहतों का सामना करना पड़ रहा है. मजबूरन लोगों को बसों का सहारा लेना पड़ रहा है. टैक्सी चालकों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी.

टैक्सी यूनियन हल्द्वानी के बैनर तले सभी टैक्सी चालकों ने वाहनों को खड़ा कर दिया. टैक्सी चालकों का कहना है कि फिटनेस सेंटर को निजी हाथों में देने के बाद से टैक्सी स्वामियों के सामने संकट खड़ा हो गया है. हल्द्वानी के भोटिया पड़ाव टैक्सी स्टैंड पर भारी संख्या में टैक्सी चालकों ने अपनी टैक्सी को खड़ा कर प्रदर्शन किया. साथ ही प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि निजी फिटनेस सेंटर द्वारा टैक्स स्वामियों का उत्पीड़न किया जा रहा है. टैक्सी स्वामियों का कहना है कि पहले आरटीओ कार्यालय से उनके टैक्सियों का फिटनेस करीब ₹700 में हुआ करता था. लेकिन वर्तमान समय में निजी फिटनेस सेंटर में गाड़ियों का फिटनेस शुरू हो गया है जहां अनफिट के नाम पर उनके गाड़ियों को बाहर कर टैक्सी स्वामियों से मोटा पैसा वसूला जा रहा है.
पढ़ें-मसूरी: उत्तराखंड टैक्सी मैक्सी महासंघ ने CM और परिवहन मंत्री का जताया आभार

टैक्सी स्वामियों का आरोप है कि उनके टैक्सियों को जब फिटनेस सेंटर में ले जाया जा रहा है तो उनको अनफिट बताते हुए फिटनेस करने के नाम पर करीब हजार रुपए मांगे जा रहे हैं. जिसे टैक्सी चालक देने की स्थिति में नहीं हैं. टैक्सी चालक संगठनों का कहना है कि अपनी मांगों को लेकर जिला प्रशासन और परिवहन विभाग को अवगत करा चुके थे. लेकिन उनके द्वारा किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद मजबूरन अब सभी टैक्सी स्वामियों ने हड़ताल शुरू कर दी है.टैक्सी स्वामियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को मान नहीं लिया जाता और परिवहन विभाग या जिला प्रशासन बैठकर वार्ता नहीं करता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी. टैक्सी चालकों के हड़ताल के चलते पहाड़ों पर जाने वाली यात्रियों को परेशानी हो रही है. मजबूरन लोगों को बसों का सहारा लेना पड़ रहा है.

टैक्सी वाहनों की हड़ताल से लोगों को हो रही परेशान

हल्द्वानी: पहाड़ की लाइफ लाइन कहे जाने वाली टैक्सी चालक हड़ताल पर चले गए हैं. टैक्सी चालकों की हड़ताल से पर्वतीय क्षेत्रों में जाने और आने वाले लोगों को फजीहतों का सामना करना पड़ रहा है. मजबूरन लोगों को बसों का सहारा लेना पड़ रहा है. टैक्सी चालकों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी.

टैक्सी यूनियन हल्द्वानी के बैनर तले सभी टैक्सी चालकों ने वाहनों को खड़ा कर दिया. टैक्सी चालकों का कहना है कि फिटनेस सेंटर को निजी हाथों में देने के बाद से टैक्सी स्वामियों के सामने संकट खड़ा हो गया है. हल्द्वानी के भोटिया पड़ाव टैक्सी स्टैंड पर भारी संख्या में टैक्सी चालकों ने अपनी टैक्सी को खड़ा कर प्रदर्शन किया. साथ ही प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि निजी फिटनेस सेंटर द्वारा टैक्स स्वामियों का उत्पीड़न किया जा रहा है. टैक्सी स्वामियों का कहना है कि पहले आरटीओ कार्यालय से उनके टैक्सियों का फिटनेस करीब ₹700 में हुआ करता था. लेकिन वर्तमान समय में निजी फिटनेस सेंटर में गाड़ियों का फिटनेस शुरू हो गया है जहां अनफिट के नाम पर उनके गाड़ियों को बाहर कर टैक्सी स्वामियों से मोटा पैसा वसूला जा रहा है.
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टैक्सी स्वामियों का आरोप है कि उनके टैक्सियों को जब फिटनेस सेंटर में ले जाया जा रहा है तो उनको अनफिट बताते हुए फिटनेस करने के नाम पर करीब हजार रुपए मांगे जा रहे हैं. जिसे टैक्सी चालक देने की स्थिति में नहीं हैं. टैक्सी चालक संगठनों का कहना है कि अपनी मांगों को लेकर जिला प्रशासन और परिवहन विभाग को अवगत करा चुके थे. लेकिन उनके द्वारा किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद मजबूरन अब सभी टैक्सी स्वामियों ने हड़ताल शुरू कर दी है.टैक्सी स्वामियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को मान नहीं लिया जाता और परिवहन विभाग या जिला प्रशासन बैठकर वार्ता नहीं करता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी. टैक्सी चालकों के हड़ताल के चलते पहाड़ों पर जाने वाली यात्रियों को परेशानी हो रही है. मजबूरन लोगों को बसों का सहारा लेना पड़ रहा है.

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