करनाल: 6 अप्रैल को स्वर्गीय चौधरी देवी लाल की पुण्यतिथि है. देवीलाल हरियाणा में "ताऊ देवीलाल" के नाम से भी प्रसिद्ध हैं. ताऊ देवीलाल हरियाणा के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और भारत के उप-प्रधानमंत्री रहे. फिलहाल ताऊ देवी लाल की विरासत पर हरियाणा में दो पार्टी हक जताती है. एक इंडियन नेशनल लोकदल और दूसरी जननायक जनता पार्टी.
सिरसा में हुआ जन्म: ताऊ देवीलाल का जन्म एक साधारण किसान परिवार में 25 सितंबर 1914 को गांव तेजा खेड़ा (ब्रिटिश काल समय में पंजाब) में हुआ था. भारत आजाद होने के बाद पंजाब से अलग हरियाणा राज्य बनाया गया. अब सिरसा जिले में ये तेजा खेड़ा गांव आता है. 86 वर्ष की आयु में 6 अप्रैल 2001 में उनका स्वर्गवास हो गया. भारत के एक बड़े राजनेता होने के चलते उनकी समाधि संघर्ष घाट दिल्ली में बनाई गई. जहां पर उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर भारत के बड़े-बड़े राजनेता उनको श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचते हैं.
ताऊ देवीलाल का राजनीतिक सफर: चौधरी देवीलाल दो बार 1977 से लेकर 1979 और 1987 से लेकर 1989 तक हरियाणा मुख्यमंत्री रहे. उस समय हरियाणा समेत भारत की राजनीति में वो एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे. जिसके चलते वो 1989 से लेकर 1991 तक भारत के उप प्रधानमंत्री रहे. कहा जाता है कि उनको प्रधानमंत्री बनाया जाना था, लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री पद ये कहकर ठुकरा दिया "मैं यहां सबसे बुजुर्ग हूं. जिसके चलते मुझे सभी ताऊ कहते हैं. इसलिए मैं चाहता हूं कि मैं ताऊ ही बना रहूं". उन्होंने प्रधानमंत्री के पद पर विश्वनाथ प्रताप सिंह को बैठाया था.
1987 में की थी इनेलो की स्थापना: अपनी पार्टी बनाने से पहले वो देश की कई पार्टियों में रहे. 1971 तक वो कांग्रेस पार्टी में रहे. उसके बाद वो जनता पार्टी में शामिल हुए. 1987 में ही उन्होंने इनेलो की स्थापना की, लेकिन पार्टी को उनका अपना वर्तमान नाम 1998 में मिला था. ताऊ देवीलाल का निधन 2001 में हो गया. उसके बाद उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली, उनकी बनाई पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख बने.
किसानों का मसीहा थे ताऊ देवीलाल: ताऊ देवीलाल को साधारण व्यक्तित्व का इंसान माना जाता था. वो कहीं भी आम लोगों में बीच में जाकर बैठ जाते थे. उनकी समस्या जाकर सुनते थे. कई बार तो अधिकारियों को मौके पर ही उनकी समस्या का समाधान करने को बोलते थे. उन्होंने किसानों के लिए भी बहुत काम किया. जिसके चलते उन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता है.
दो पार्टी संभाल रही विरासत: ताऊ देवीलाल की मौत होने के बाद उनकी पार्टी को उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला संभाल रहे थे, लेकिन जेबीटी भर्ती के मामले में ओम प्रकाश चौटाला और उनका बड़ा बेटा अजय चौटाला जेल में चले गए. इसके बाद ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला राजनीतिक भार आ गया, लेकिन उनका सहयोग अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला ने भी किया. पार्टी ने दुष्यंत चौटाला को हिसार लोकसभा से प्रत्याशी बनाया. जिसके बाद उन्होंने वहां से जीत हासिल की थी. 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले इस परिवार में दूरियों का दौर शुरू हो गया.
इनेलो से टूटकर बनी जेजेपी: 2018 में गोहाना में इनेलो के द्वारा एक रैली का आयोजन किया गया था. जहां अभय चौटाला जैसे ही मंच से भाषण देने लगे, तो दुष्यंत चौटाला के समर्थकों ने दुष्यंत के पक्ष में नारे लगाने शुरू कर दिए और उनको बोलते नहीं दिया गया. वहीं से ताऊ देवीलाल की विरासत के दो टुकड़े होने की नींव रखी गई. 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले अजय चौटाला और उनके बेटों के ने इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया.
अजय चौटाला ने इनेलो से अलग होकर नई पार्टी जननायक जनता पार्टी का गठन किया. वहीं से देवीलाल की राजनीतिक विरासत के दो टुकड़े हो गए, लेकिन आज भी उनके द्वारा बनाई गई इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी को ओमप्रकाश चौटाला और अभय चौटाला चला रहे हैं. देवीलाल के नाम पर दोनों पार्टियां वोट मांगती हैं. इनेलो और जेजेपी दोनों पार्टी ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत पर अपना हक जताती है.