पटना: सुप्रीम कोर्ट की ओर से तांती-ततवा जाति को अनुसूचित जाति से हटाकर अति पिछड़ा में शामिल करने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के एक्शन के बाद मंगलवार को तांती-ततवा समाज के लोग सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया. इस दौरान समाज के लोगों जमकर नारेबाजी की. लोगों ने कहा कि पान समाज के लोग हैं और हम लोगों को अनुसूचित जाति में आरक्षण बहुत पहले से मिल रहा है. बीपीएससी ने हमलोगों के साथ गलत किया है.
पटना में तांती और ततवा समाज का प्रदर्शन: दरअसल, बीपीएससी ने तांती और ततवा समाज के लोगों को एससी-एसटी नहीं मानने को लेकर एक पत्र निकाला है. शिक्षक भर्ती बहाली के आवेदन जब लिए जा रहे थे. इस समाज के लोग अनुसूचित जाति के श्रेणी में आते थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद बीपी एससी अब तांती और ततवा जाति के लोगों को अनुसूचित जाति बिहार में नहीं मानती है.
"बीपीएससी ने जो पत्र निकाला है वह गलत है. हमारा समाज पहले से ही एससी-एसटी के श्रेणी में आता था. इस बार शिक्षक भर्ती को लेकर जिस तरह से आवेदन आमंत्रित किए गए थे. उस समय में भी हमारे समाज के लोगों ने एससी के कोटा में ही फॉर्म भरा था. अब जब रिजल्ट निकलने वाला है तो बीपीएससी तरह-तरह के फरमान जारी कर रहा है.सरकार हमारी मांग को नहीं मानती है तो पूरे बिहार में हम लोग आंदोलन करने का काम करेंगे." - आईपी गुप्ता, अध्यक्ष, पान महासंघ
टीआरई 3 परीक्षा का रिजल्ट लटका: बता दें कि बीपीएससी से इस फरमान से बिहार में टीआरई 3 परीक्षा का रिजल्ट लटक गया है. तांती-ततवा जाति से जुड़े पेंच को लेकर बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन यानी बीपीएससी ने फिलहाल रिजल्ट जारी करने की तैयारी ठंडे बस्ते में डाल दी है. इससे टीआरई 3 परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों की बेचैनी बढ़ गई है. इस फेरबदल का असर अब सड़कों पर दिखने लगा है
"बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन ने गलत किया है. हम लोग पान समाज के लोग हैं और हम लोगों को अनुसूचित जाति में आरक्षण बहुत पहले से मिलता आ रहा है. बीपीएससी ने हमारे समाज के साथ गलत किया है. उसके विरोध में ही हम लोग सड़क पर उतरे हुए हैं. निश्चित तौर पर सरकार को हमारे समाज पर ध्यान देना होगा." - रामदीन दास, प्रदर्शनकारी
तांती-ततवा जाति का क्या है मामला?: बिहार सरकार ने 2 जुलाई 2015 में तांती-ततवा जाति को अनुसूचित जाति यानी एससी का दर्जा दिया था. इसके बाद की सभी सरकारी नौकरियों में तांती-ततवा जाति के उम्मीदवारों को SC कोटि का फायदा मिला. पर उस समय राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ भीराम अंबेदडर विचार मंच ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. इस पर लंबी सुनवाई चली और सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई 2024 में आदेश सुनाया. इस फैसले में अदालत ने तांती-ततवा जाति को एससी कोटे से बाहर कर दिया था.
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