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डिस्कॉम को पीपीपी मॉडल पर दिए जाने का विरोध, पावर काॅरपोरेशन के सामने पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने जताई आपत्ति

Electricity Department : यूपी पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन व यूपी पावर काॅरपोरेशन के बीच मंगलवार को दो पक्षीय वार्ता संपन्न.

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन व उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के बीच वार्ता
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन व उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के बीच वार्ता (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 26, 2024, 9:23 PM IST

लखनऊ : आगरा और बनारस डिस्कॉम को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर दिए जाने की तैयारी के विरोध में बिजली संगठन उतर गए हैं. उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन व उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के बीच मंगलवार को दो पक्षीय वार्ता संपन्न हुई. पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल की उपस्थिति में पावर कॉरपोरेशन के सभी निदेशक मौजूद थे. निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग ने बिजली कंपनियों की खराब स्थिति के बारे में बताया.




पावर कॉरपोरेशन की तरफ से अपना पक्ष रखे जाने के बाद पावर ऑफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने अपनी बात रखी. पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन से पूछा कि इस ट्रिपल पी मॉडल में संविधान में दिए गए आरक्षण का क्या होगा? यह तो निजीकरण का प्रयोग है. इससे दलितों व पिछड़े वर्ग के कार्मिकों के आरक्षण पर बडा कुठाराघात हो रहा है और आज संविधान दिवस पर चिंता का विषय है कि हम सभी पावर काॅरपोरेशन के बोर्ड रूम में निजीकरण पर चर्चा कर रहे हैं. दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिकों के लिए आरक्षण उनका संवैधानिक अधिकार है. निजीकरण करके उसे समाप्त करने की साजिश नहीं होने देंगे. संगठन आखिरी स्तर तक संवैधानिक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है. प्रबंधन इस पर विचार करे.


पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने कहा कि सपा सरकार में 2013 में चार से पांच शहरों को पीपीपी मॉडल पर लागू करने की तैयारी की गई थी, जिसे भारी विरोध के बाद वापस लिया गया था. कल को मुख्यमंत्री के संज्ञान में जब आएगा कि सपा सरकार का फ्लाप मॉडल लागू किया जा रहा है तो आप क्या जवाब देंगे? संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि घाटे का कारण क्या है वह हम बताते हैं. सबसे पहले बिजली कंपनियों को अलग-अलग समय पर सरकारों ने गलत एमओयू रूट के प्रोजेक्ट लगे. उदाहरण के तौर पर वर्तमान में स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना जो लगभग 18000 करोड़ में तय थी, लेकिन टेंडर 27000 करोड़ के ऊपर पास किया गया तो जो इसमें 9000 करोड़ का गैप पाया, यह घाटे में बदलेगा. इसी प्रकार उदय और पावर फॉर आल में जो केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के चलते नुकसान हुआ वह घाटे में बदलेगा. राजस्व बढ़ोतरी से घाटा नहीं दूर होने वाला.

संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि उद्योगपतियों के सामने पावर कॉरपोरेशन कैसे नतमस्तक था, यह आपको पता ही होगा. 7000 से 8000 करोड़ में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर लेने वाली कंपनियों का इसी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने 10 प्रतिशत बैंक गारंटी को तीन प्रतिशत कर दिया है, इसको कौन देखेगा. आने वाले समय में बिजली कंपनियों को बेचने की बात हो रही है, लेकिन उद्योगपति केवल लाभ कमाने के लिए यहां आएंगे और अपने हित मे प्रस्ताव तैयार कर लाभ कमाएंगे. पावर काॅरपोरेशन के साथ दो पक्षीय वार्ता में पावर ऑफ रिसर्च एसोसिएशन की तरफ से पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार, विनय कुमार, प्रभाकर सिंह रहे. पावर कॉरपोरेशन की तरफ से पावर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल, निदेशक वित्त वितरण व कार्मिक प्रबंधन सहित मध्यांचल के निदेशक वाणिज्य व अन्य क्षेत्रों के मुख्य अभियंता उपस्थित थे.

लखनऊ : आगरा और बनारस डिस्कॉम को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर दिए जाने की तैयारी के विरोध में बिजली संगठन उतर गए हैं. उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन व उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के बीच मंगलवार को दो पक्षीय वार्ता संपन्न हुई. पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल की उपस्थिति में पावर कॉरपोरेशन के सभी निदेशक मौजूद थे. निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग ने बिजली कंपनियों की खराब स्थिति के बारे में बताया.




पावर कॉरपोरेशन की तरफ से अपना पक्ष रखे जाने के बाद पावर ऑफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने अपनी बात रखी. पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन से पूछा कि इस ट्रिपल पी मॉडल में संविधान में दिए गए आरक्षण का क्या होगा? यह तो निजीकरण का प्रयोग है. इससे दलितों व पिछड़े वर्ग के कार्मिकों के आरक्षण पर बडा कुठाराघात हो रहा है और आज संविधान दिवस पर चिंता का विषय है कि हम सभी पावर काॅरपोरेशन के बोर्ड रूम में निजीकरण पर चर्चा कर रहे हैं. दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिकों के लिए आरक्षण उनका संवैधानिक अधिकार है. निजीकरण करके उसे समाप्त करने की साजिश नहीं होने देंगे. संगठन आखिरी स्तर तक संवैधानिक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है. प्रबंधन इस पर विचार करे.


पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने कहा कि सपा सरकार में 2013 में चार से पांच शहरों को पीपीपी मॉडल पर लागू करने की तैयारी की गई थी, जिसे भारी विरोध के बाद वापस लिया गया था. कल को मुख्यमंत्री के संज्ञान में जब आएगा कि सपा सरकार का फ्लाप मॉडल लागू किया जा रहा है तो आप क्या जवाब देंगे? संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि घाटे का कारण क्या है वह हम बताते हैं. सबसे पहले बिजली कंपनियों को अलग-अलग समय पर सरकारों ने गलत एमओयू रूट के प्रोजेक्ट लगे. उदाहरण के तौर पर वर्तमान में स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना जो लगभग 18000 करोड़ में तय थी, लेकिन टेंडर 27000 करोड़ के ऊपर पास किया गया तो जो इसमें 9000 करोड़ का गैप पाया, यह घाटे में बदलेगा. इसी प्रकार उदय और पावर फॉर आल में जो केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के चलते नुकसान हुआ वह घाटे में बदलेगा. राजस्व बढ़ोतरी से घाटा नहीं दूर होने वाला.

संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि उद्योगपतियों के सामने पावर कॉरपोरेशन कैसे नतमस्तक था, यह आपको पता ही होगा. 7000 से 8000 करोड़ में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर लेने वाली कंपनियों का इसी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने 10 प्रतिशत बैंक गारंटी को तीन प्रतिशत कर दिया है, इसको कौन देखेगा. आने वाले समय में बिजली कंपनियों को बेचने की बात हो रही है, लेकिन उद्योगपति केवल लाभ कमाने के लिए यहां आएंगे और अपने हित मे प्रस्ताव तैयार कर लाभ कमाएंगे. पावर काॅरपोरेशन के साथ दो पक्षीय वार्ता में पावर ऑफ रिसर्च एसोसिएशन की तरफ से पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार, विनय कुमार, प्रभाकर सिंह रहे. पावर कॉरपोरेशन की तरफ से पावर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल, निदेशक वित्त वितरण व कार्मिक प्रबंधन सहित मध्यांचल के निदेशक वाणिज्य व अन्य क्षेत्रों के मुख्य अभियंता उपस्थित थे.

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