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ताजमहल या तेजोमहालय; जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक की मांग मामले में मुस्लिम पक्ष ने वादी बनने का दिया प्रार्थना पत्र - Taj Mahal Tejomahalaya

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 7 अक्टूबर तय की है. इस मामले में वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र एवं साक्ष्यों की नकल सैयद इब्राहिम हुसैन ने मुहैया कराई. वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाने के लिए संशोधित प्रार्थना पत्र दाखिल किया. जिसे न्यायालय ने आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया है.

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आगरा का ताजमहल. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

आगरा: ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद एक बार फिर चर्चा में है. लघुवाद न्यायालय में मंगलवार को ताजमहल जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग के वाद की सुनवाई हुई. सुनवाई में अब नया मोड़ आ गया है, जिसमें मुस्लिम पक्ष से सैयद इब्राहिम हुसैन ने अपने अधिवक्ता के जरिए न्यायालय में वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है. जिस पर वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने न्यायालय से आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा है.

इस पर कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 7 अक्टूबर तय की है. इस मामले में वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र एवं साक्ष्यों की नकल सैयद इब्राहिम हुसैन ने मुहैया कराई. वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाने के लिए संशोधित प्रार्थना पत्र दाखिल किया. जिसे न्यायालय ने आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया है.

बता दें कि योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने सावन माह में अदालत में एक वाद दायर किया था. जिससे ही एक बार फिर ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमाया. वादी ने कोर्ट में तेजोमहालय में भगवान महादेव के जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की गई थी. इस मामले की कोर्ट में सुनवाई हुई. लगातार तारीख पर कोर्ट में सुनवाई हुई.

जिसमें 13 सितंबर 2024 यानी शुक्रवार की सुनवाई के बाद न्यायधीश ने फैसला सुरक्षित त रख लिया था. इस मामले में न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने सोमवार को आदेश जारी किया. जिसमें प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ राजकुमार पटेल के अधिवक्ता की ओर से अपील खारिज कर दी. क्योंकि, वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर को केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय के सचिव को पक्षकार बनाने का आदेश दिया है.

ताजमहल की छवि हो रही खराब: इस मामले में वादी बनने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल करने वाले सैययद इब्राहिम हुसैन जैदी ने बताया कि कुछ लोग सुर्खियों में रहने के लिए ताजमहल को लेकर करते रहते हैं. जिससे ताजमहल की छवि खराब हो रही है. ताजमहल के आए दिन वीडियो वायरल हो रहे हैं. ये आगरा और ताजमहल के लिए सही नहीं है. एएसआई कुछ भी नहीं कर पा रहा है. इसलिए मैंने कोर्ट में वादी बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है.

एएसआई ने क्या की थी अपील: बता दें कि 13 सितंबर की सुनवाई में कोर्ट में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. जिसमें कहा कि एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी है. जिन पर मुकदमा नहीं चल सकता है. इसलिए, ये खारिज किया जाए.

इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जिस पर वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने कहा कि धारा 80 सीपीसी का नोटिस देकर सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इसमें भारत सरकार को प्रतिवादी बनाने पर सहमति जताई है. कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस हुई थी. अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा. केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय को पक्षकार बनाने के लिए बुधवार को न्यायालय के समक्ष प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा.

वाद में वादी का दावा: वादी कुंवर अजय तोमर ने अपने वाद दावा किया है कि सन 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. जिसका ही नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया. मगर, राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा.

राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. जिस पर ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र एक सफेद झूठ हैं. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया था.

मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह: वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. जिनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद: वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है. फिर, सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकते हैं. न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सके.

ये भी पढ़ेंः शेख सलीम चिश्ती दरगाह, कामाख्या मंदिर विवाद; सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के आदेश

आगरा: ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद एक बार फिर चर्चा में है. लघुवाद न्यायालय में मंगलवार को ताजमहल जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग के वाद की सुनवाई हुई. सुनवाई में अब नया मोड़ आ गया है, जिसमें मुस्लिम पक्ष से सैयद इब्राहिम हुसैन ने अपने अधिवक्ता के जरिए न्यायालय में वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है. जिस पर वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने न्यायालय से आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा है.

इस पर कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 7 अक्टूबर तय की है. इस मामले में वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र एवं साक्ष्यों की नकल सैयद इब्राहिम हुसैन ने मुहैया कराई. वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाने के लिए संशोधित प्रार्थना पत्र दाखिल किया. जिसे न्यायालय ने आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया है.

बता दें कि योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने सावन माह में अदालत में एक वाद दायर किया था. जिससे ही एक बार फिर ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमाया. वादी ने कोर्ट में तेजोमहालय में भगवान महादेव के जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की गई थी. इस मामले की कोर्ट में सुनवाई हुई. लगातार तारीख पर कोर्ट में सुनवाई हुई.

जिसमें 13 सितंबर 2024 यानी शुक्रवार की सुनवाई के बाद न्यायधीश ने फैसला सुरक्षित त रख लिया था. इस मामले में न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने सोमवार को आदेश जारी किया. जिसमें प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ राजकुमार पटेल के अधिवक्ता की ओर से अपील खारिज कर दी. क्योंकि, वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर को केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय के सचिव को पक्षकार बनाने का आदेश दिया है.

ताजमहल की छवि हो रही खराब: इस मामले में वादी बनने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल करने वाले सैययद इब्राहिम हुसैन जैदी ने बताया कि कुछ लोग सुर्खियों में रहने के लिए ताजमहल को लेकर करते रहते हैं. जिससे ताजमहल की छवि खराब हो रही है. ताजमहल के आए दिन वीडियो वायरल हो रहे हैं. ये आगरा और ताजमहल के लिए सही नहीं है. एएसआई कुछ भी नहीं कर पा रहा है. इसलिए मैंने कोर्ट में वादी बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है.

एएसआई ने क्या की थी अपील: बता दें कि 13 सितंबर की सुनवाई में कोर्ट में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. जिसमें कहा कि एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी है. जिन पर मुकदमा नहीं चल सकता है. इसलिए, ये खारिज किया जाए.

इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जिस पर वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने कहा कि धारा 80 सीपीसी का नोटिस देकर सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इसमें भारत सरकार को प्रतिवादी बनाने पर सहमति जताई है. कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस हुई थी. अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा. केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय को पक्षकार बनाने के लिए बुधवार को न्यायालय के समक्ष प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा.

वाद में वादी का दावा: वादी कुंवर अजय तोमर ने अपने वाद दावा किया है कि सन 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. जिसका ही नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया. मगर, राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा.

राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. जिस पर ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र एक सफेद झूठ हैं. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया था.

मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह: वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. जिनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद: वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है. फिर, सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकते हैं. न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सके.

ये भी पढ़ेंः शेख सलीम चिश्ती दरगाह, कामाख्या मंदिर विवाद; सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के आदेश

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