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आगरा में नगर निगम की ऐतिहासिक विरासत पर तालाबंदी, जानें क्यों खास है ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम - Taj City Municipal Museum

यूपी के आगरा जिले में सन् 2007-2008 में ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम (Taj City Municipal Museum in agra) की नींव रखी गई थी. करीब 30 लाख रुपये की लागत में ये म्यूजियम बनकर तैयार हुआ था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 24, 2024, 1:44 PM IST

आगरा : प्राचीन काल से देश और दुनिया में अपनी विविधता के साथ ही वैभवशाली इतिहास के लिए आगरा प्रख्यात रहा है. आज भी आगरा में बुद्ध, जैन, सूफी, राजपूत, मुगल, ब्रिटिश की एक झलक दिखती है. शहर की विरासत और वैभवशाली इतिहास के तमाम साक्ष्यों से अब आमजन और नौनिहाल रूबरू नहीं हो सकेंगे. जी हां, हम बात रहे हैं पालीवाल पार्क स्थित ताज सिटी म्यूनिसिपल म्यूजियम की है. इस पर नगर निगम ने ताला लगा दिया है. यह चौंकाने वाला खुलासा आगरा नगर निगम की ओर से आरटीआई में जानकारी में हुआ है. जबकि, ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में 11वीं शताब्दी के देवालय द्वार के एक टुकड़े, 15वीं शताब्दी की लाल पत्थर से निर्मित देवी प्रतिमा, आजादी के आंदोलन, ब्रिटिश हुकूमत से जुड़े अनगिनत साक्ष्यों की श्रृंखला, ताजमहल को सातवें अजूबे में शुमार किए गए जाने वाला ताम्रपत्र भी म्यूजियम में रखा है. इस बारे में आगरा के वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' कहते हैं कि, नगर निगम का ये कदम सही नहीं है. इससे जनता और युवा पीढ़ी अपनी विरासत के बारे में नहीं जान सकेंगे.


बता दें कि, शहर के बीचों बीच ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम है. जिसमें न सिर्फ दशकों, बल्कि सदियों और हजार साल पुराने अवशेष और मूर्तियां रखी हैं. यहां पर आगरा प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने जिस चरखे से सूत काता था, वो भी यहां पर रखा है. आगरा की जनता की लंबे समय से चल रही म्यूजियम की मांग पर सन् 2007-2008 में इसकी स्थापना की नींव रखी गई थी. 12 मार्च 2011 में ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम का तत्कालीन नगर विकास मंत्री नकुल दुबे ने उद्घाटन किया था. तब करीब 30 लाख रुपये की लागत में ये म्यूजियम बनकर तैयार हुआ था.


आरटीआई में मिली जानकारी : आवास विकास कॉलोनी की नारायण विहार निवासी सुधारानी ने सूचना के अधिकार के ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम को लेकर नगर निगम से तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी. उन्होंने बताया कि, नगर निगम की जनसूचना अधिकारी व संयुक्त नगर आयुक्त ने जानकारी दी कि, ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में किसी इतिहास के विशेषज्ञ की नियुक्त नहीं की गई है. इसके साथ ही अब आमजन के लिए ये म्यूजियम बंद है. ऐसे में कैसे इस म्यूजियम में मौजूद अभिलेख और पुरातत्व महत्व की देखभाल के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. इसलिए, इस सूचना को लेकर वरिष्ठ अधिकारी को अपील करूंगी.


यहां पर मिलीं थी पांच मूर्तियां : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, ताज सिटी म्यूनिसिपल म्यूजियम की शुरुआत बल्का बस्ती से निकली अति प्राचीन पांच मूर्तियों से हुई थी. जब अंजनी माता और अन्य चार खंडित मूर्तियां मिली थीं. जिन्हें क्षेत्रीय लोग यमुना में विसर्जित करने ले जा रहे थे. मगर, उन्हें समझाकर ये मूर्तियां म्यूजियम में रखवाई गईं. जो म्यूजियम की पहली मूर्तियां थीं. पार्षद रवि माथुर ने 160 प्राचीन मूर्तियों को मथुरा से ट्रक में रखवाकर यहां स्थापित कराने में सहयोग किया था.

इस म्यूजियम में ये सब कुछ : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, वैसे तो म्यूजियम में सैकड़ों मूर्तियां, लेख, प्राचीन सरकारी दस्तावेज, सिक्के, लिपियां मौजूद हैं. लेकिन, कुछ संग्रहित वस्तुएं ऐसी हैं, जो सिर्फ यहीं देखने को मिलती थीं. जिसमें गार्डन ऑफ आगरा का नक्शा, रेलवे आने से पहले आगरा का नक्शा, अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में स्थित आगरा शहर की जानकारी भी यहां पर प्रदर्शित थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सन् 1939 में शहर के छात्र नेता ओमप्रकाश शर्मा को लिखे पत्र की छायाप्रति, महात्मा गांधी के पत्र, गांधी जी का आगरा प्रवास में प्रयोग किया चरखा, कुषाण कालीन खंडित मानव प्रतिमा, बौद्ध, मुगल, शाक्य कालीन मूर्तियों के साथ यमुना जी की प्रतिमा के साथ ही मोहब्बत की निशानी ताजमहल को सेवन वंडर्स में शामिल करने वाली शील्ड ताम्रपत्र यहां प्रदर्शित है. जो तत्कालीन मेयर अंजुला सिंह माहौर ने प्रदान किया था.

विक्टोरिया की अष्टधातु की मूर्ति : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, म्यूजियम के बाहर खुले आसमान के नीचे महारानी विक्टोरिया की ब्रिटिश कालीन अति बेशकीमती अष्टधातु की मूर्ति भी रखी है. जो विक्टोरिया पार्क में विरोध के बाद अग्निशमन विभाग परिसर में रखी गई. जहां से इन्हें ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में शिफ्ट कर दिया गया. जिसकी कीमत करीब 71 करोड़ बताई जाती है. इसके साथ ही दो अन्य मूर्तियां, दो सील की मूर्तियां भी अष्टधातु की है. इन सबकी कीमक करीब 100 करोड़ से ज्यादा है.

यह भी पढ़ें : काला ताजमहल सिर्फ कपोल कल्पना, जानें ताजमहल का नक्शा

यह भी पढ़ें : इस 'रकाबी' में मुगल बादशाह शाहजहां का खाना होता था टेस्ट

आगरा : प्राचीन काल से देश और दुनिया में अपनी विविधता के साथ ही वैभवशाली इतिहास के लिए आगरा प्रख्यात रहा है. आज भी आगरा में बुद्ध, जैन, सूफी, राजपूत, मुगल, ब्रिटिश की एक झलक दिखती है. शहर की विरासत और वैभवशाली इतिहास के तमाम साक्ष्यों से अब आमजन और नौनिहाल रूबरू नहीं हो सकेंगे. जी हां, हम बात रहे हैं पालीवाल पार्क स्थित ताज सिटी म्यूनिसिपल म्यूजियम की है. इस पर नगर निगम ने ताला लगा दिया है. यह चौंकाने वाला खुलासा आगरा नगर निगम की ओर से आरटीआई में जानकारी में हुआ है. जबकि, ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में 11वीं शताब्दी के देवालय द्वार के एक टुकड़े, 15वीं शताब्दी की लाल पत्थर से निर्मित देवी प्रतिमा, आजादी के आंदोलन, ब्रिटिश हुकूमत से जुड़े अनगिनत साक्ष्यों की श्रृंखला, ताजमहल को सातवें अजूबे में शुमार किए गए जाने वाला ताम्रपत्र भी म्यूजियम में रखा है. इस बारे में आगरा के वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' कहते हैं कि, नगर निगम का ये कदम सही नहीं है. इससे जनता और युवा पीढ़ी अपनी विरासत के बारे में नहीं जान सकेंगे.


बता दें कि, शहर के बीचों बीच ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम है. जिसमें न सिर्फ दशकों, बल्कि सदियों और हजार साल पुराने अवशेष और मूर्तियां रखी हैं. यहां पर आगरा प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने जिस चरखे से सूत काता था, वो भी यहां पर रखा है. आगरा की जनता की लंबे समय से चल रही म्यूजियम की मांग पर सन् 2007-2008 में इसकी स्थापना की नींव रखी गई थी. 12 मार्च 2011 में ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम का तत्कालीन नगर विकास मंत्री नकुल दुबे ने उद्घाटन किया था. तब करीब 30 लाख रुपये की लागत में ये म्यूजियम बनकर तैयार हुआ था.


आरटीआई में मिली जानकारी : आवास विकास कॉलोनी की नारायण विहार निवासी सुधारानी ने सूचना के अधिकार के ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम को लेकर नगर निगम से तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी. उन्होंने बताया कि, नगर निगम की जनसूचना अधिकारी व संयुक्त नगर आयुक्त ने जानकारी दी कि, ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में किसी इतिहास के विशेषज्ञ की नियुक्त नहीं की गई है. इसके साथ ही अब आमजन के लिए ये म्यूजियम बंद है. ऐसे में कैसे इस म्यूजियम में मौजूद अभिलेख और पुरातत्व महत्व की देखभाल के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. इसलिए, इस सूचना को लेकर वरिष्ठ अधिकारी को अपील करूंगी.


यहां पर मिलीं थी पांच मूर्तियां : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, ताज सिटी म्यूनिसिपल म्यूजियम की शुरुआत बल्का बस्ती से निकली अति प्राचीन पांच मूर्तियों से हुई थी. जब अंजनी माता और अन्य चार खंडित मूर्तियां मिली थीं. जिन्हें क्षेत्रीय लोग यमुना में विसर्जित करने ले जा रहे थे. मगर, उन्हें समझाकर ये मूर्तियां म्यूजियम में रखवाई गईं. जो म्यूजियम की पहली मूर्तियां थीं. पार्षद रवि माथुर ने 160 प्राचीन मूर्तियों को मथुरा से ट्रक में रखवाकर यहां स्थापित कराने में सहयोग किया था.

इस म्यूजियम में ये सब कुछ : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, वैसे तो म्यूजियम में सैकड़ों मूर्तियां, लेख, प्राचीन सरकारी दस्तावेज, सिक्के, लिपियां मौजूद हैं. लेकिन, कुछ संग्रहित वस्तुएं ऐसी हैं, जो सिर्फ यहीं देखने को मिलती थीं. जिसमें गार्डन ऑफ आगरा का नक्शा, रेलवे आने से पहले आगरा का नक्शा, अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में स्थित आगरा शहर की जानकारी भी यहां पर प्रदर्शित थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सन् 1939 में शहर के छात्र नेता ओमप्रकाश शर्मा को लिखे पत्र की छायाप्रति, महात्मा गांधी के पत्र, गांधी जी का आगरा प्रवास में प्रयोग किया चरखा, कुषाण कालीन खंडित मानव प्रतिमा, बौद्ध, मुगल, शाक्य कालीन मूर्तियों के साथ यमुना जी की प्रतिमा के साथ ही मोहब्बत की निशानी ताजमहल को सेवन वंडर्स में शामिल करने वाली शील्ड ताम्रपत्र यहां प्रदर्शित है. जो तत्कालीन मेयर अंजुला सिंह माहौर ने प्रदान किया था.

विक्टोरिया की अष्टधातु की मूर्ति : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, म्यूजियम के बाहर खुले आसमान के नीचे महारानी विक्टोरिया की ब्रिटिश कालीन अति बेशकीमती अष्टधातु की मूर्ति भी रखी है. जो विक्टोरिया पार्क में विरोध के बाद अग्निशमन विभाग परिसर में रखी गई. जहां से इन्हें ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में शिफ्ट कर दिया गया. जिसकी कीमत करीब 71 करोड़ बताई जाती है. इसके साथ ही दो अन्य मूर्तियां, दो सील की मूर्तियां भी अष्टधातु की है. इन सबकी कीमक करीब 100 करोड़ से ज्यादा है.

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