गोरखपुर : सिंथेटिक ट्रैक नहीं होने से पूर्वांचल के खिलाड़ी, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा में पीछे होते जा रहे हैं. जबकि, उनके अंदर प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. हॉकी और कुश्ती में अपना दबदबा कायम करने वाले इस क्षेत्र के खिलाड़ियों में एथलीट के खिलाड़ी भी बेहद ही ऊर्जावान हैं. लेकिन, वह इस सुविधा से वंचित होने की वजह से पीछे होते जा रहे हैं. यही वजह है कि गोरखपुर एथलेटिक्स संघ और खेल संघ के पदाधिकारी, एथलेटिक्स खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए लखनऊ और हरियाणा भेज रहे हैं. इस समस्या को अब सरकार ने भी महसूस कर लिया है. अब गोरखपुर में बहुत जल्द 42 करोड़ रुपए की लागत से एथलेटिक्स ट्रैक बनाने की राह आसान होगी. इसके लिए राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को कार्य करने की जिम्मेदारी सौंपी है. टीम ने यहां आकर रीजनल स्टेडियम का निरीक्षण और प्रोजेक्ट पर काम किया है, जिससे अब तीन से चार महीने बाद इस पर काम शुरू होने की पूरी संभावना दिखाई दे रही है.
तीन मार्च को प्रदेश स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता : जिला खेल अधिकारी आले हैदर ने ईटीवी भारत को बताया कि देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स की जो भी प्रतियोगिताएं होती हैं, वह सिंथेटिक ट्रैक पर होती हैं. हमारे देश के कुछ खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं. लेकिन, इस खेल में पूर्वांचल में भी बड़े स्तर पर प्रतिभाओं को मेहनत करते देखा जा रहा है. यही वजह है कि अगर उन्हें सिंथेटिक ट्रैक उपलब्ध करा दिया गया तो निश्चित रूप से वह गोरखपुर समेत न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश का भी नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करेंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह के सिंथेटिक ट्रैक को बनाए जाने का प्रपोजल तैयार हुआ है. उम्मीद है कि खिलाड़ी बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे. विपरीत मौसम चाहे वह बारिश हो या ठंड उसमें भी उन्हें अपनी तैयारी करने में मदद मिलेगी. तेज धूप की वजह से वह रात में फ्लड लाइट की रोशनी में ट्रैक पर प्रशिक्षण लेते हुए खुद को बेहतर सिद्ध करने में सफल हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि अभी यहां ग्रास रूट का एथलेटिक्स ट्रैक है. जिस पर भी खिलाड़ी अपना पसीना बहाते हैं. आगामी दो और तीन मार्च को प्रदेश स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता, यहां होने जा रही है. जिसमें प्रदेश की कुल 10 बड़ी टीम हिस्सा ले रही हैं. ऐसे में जब यह ट्रैक बन जाएगा तो यह एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं के आयोजन का भी केंद्र बनेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता से मेडल भी लाने का खिलाडियों में जज्बा पैदा होगा.
सुविधा न होने से पिछड़ते जा रहे हैं खिलाड़ी : उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के खिलाड़ी तमाम स्पर्धा में अपने आप को सिद्ध करते हैं. लेकिन, एथलीट के खिलाड़ी सिंथेटिक्स ट्रैक, रीजनल स्टेडियम से लेकर स्पोर्ट्स काॅलेज में नहीं होने से कई मायने में हरियाणा और देश स्तरीय खिलाड़ियों से पिछड़ते जा रहे हैं. अभी तक इस तरह के ट्रैक की व्यवस्था इन दोनों खेल स्टेडियम में नहीं हो पाई है. जबकि, सरकार खिलाड़ियों को व्यवस्था देने के दावे खूब करती है. यही वजह है कि उन्हें लखनऊ, हरियाणा और अन्य दूसरे शहरों में अपने भविष्य की बेहतरी के लिए प्रशिक्षण लेना पड़ रहा है. इसके कुछ खिलाड़ी बड़े उदाहरण बन रहे हैं, जिसमें अंडर-18 के सुकेश मिश्रा और रवि राय हैं, जो 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. एथलेटिक संघ को इन दोनों खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए लखनऊ भेजना पड़ा है. वहीं, महिला वर्ग में 400 मीटर दौड़ में सोनी वर्मा और पांच हजार मीटर दौड़ में प्रज्ञा वर्मा में भी काफी संभावना यहां के एथलेटिक संघ और प्रशिक्षक को देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि ऐसे खिलाड़ी अपने भविष्य को संवारने के लिए लखनऊ में प्रशिक्षण ले रहे हैं. लेकिन, जब सुविधा गोरखपुर में विकसित हो जाएगी तो पूर्वांचल, एथलेटिक्स के भी बड़े खिलाड़ी देने में कामयाब हो सकेगा.
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