ETV Bharat / state

पिता के सपने को पूरा करने का जूनून, अब सिल्क नगरी से विदेशों तक पहुंची इनके बागान की लीची, इस देश को भेजी गई पहली खेप - Bihar Shahi Litchi Dubai Export - BIHAR SHAHI LITCHI DUBAI EXPORT

बिहार के सिल्क नगर के बागवानी में तैयार लीची की विदेशों में डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. इसकी सप्लाई भी शुरू हो चुकी है. हाल ही में यहां की लीची दुबई पहुंची है. इसके अलावा खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात से ऑर्डर भी मिला है. जल्द ही वहां लीची पहुंच जाएगी. इससे किसानों को भी अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है. पढ़ें पूरी खबर.

Etv Bharat
दुबई पहुंची भागलपुर की लीची (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 14, 2024, 2:45 PM IST

भागलपुर की मनराजी लीची दुबई पहुंची (न)

भागलपरः बिहार के भागलपुरी सिल्क, जर्दालु आम, कतरनी चावल और चूरा देश-विदेशों में पहचान बना चुका है. अब भागलपुर की मनराजी लीची की भी मिठास विदेश पहुंचनी शुरू हो गयी है. इसकी पहली खेप एक्सपोर्ट कर दिया गया है. अन्य देशों से भी लीची के ऑर्डर आ रहे हैं.

पिता के सपना को पूरा कर रहे दो भाईः दरअसल, ऐसा करने वाले भागलपुर के दो किसान हैं जिन्होंने बिहार से लीची को दुबई भेजने का काम किया. भागलपुर के किसान चंदन कुमार सिंह ने बताया कि उनके पिता का सपना था कि भागलपुर की लीची को विदेशों तक पहुंचायी जाए. उन्हीं के सपना को साकार कर रहे हैं. भागलपुर की लीची अब दुबई तक पहुंची चुकी है. दुबई के शेख अब बिहार की लीची का स्वाद लेंगे.

"मेरे पिता जी का सपना था कि बिहार की लीची देश के बाहर जाए. इसके लिए 2022 में FPO बनाया गया. सरस वसुधा फार्मर प्रोडूसर लिमिटेड के नाम से कंपनी बनायी. साल 2023 में APEDA से लाइसेंस लिए. इसमें भागलुर की संस्था आत्मा और डीएम साहब का अहम योगदान रहा. आज बाबू जी का जो सपना था उसे हमदोनों भाई कर रहे हैं." -चंदन कुमार सिंह, किसान

जीआई टैग की मांगः किसान चंदन सिंह बताते हैं कि पहली खेप में 571 किलो लीची दुबई भेजी गयी है. संयुक्त अरब अमीरात के अन्य शहर से 500 किलो का ऑर्डर आय़ा है जिसे भेजने की तैयारी की जा रही है. बता दें कि भागलपुर के जर्दालु आम और चूरा को जीआई टैग मिल चुका है. मनराजी लीची को भी जीआई टैग देने की मांग की जा रही है. इसमें भागलपुर की संस्था आत्मा का बहुत बड़ा योगदान है.

मनराजी लीची का स्वाद चखेंगे शेखः किसान चंदन सिंह मूल रूप से गोपालपुर प्रखंड के लत्तीपाकर धरहरा के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि बेंगलुरु के रास्ते लीची दुबई भेजी गयी और कई ऑर्डर भी मिल रहे हैं. अब भागलपुर की मनराजी लीची का स्वाद दुबई के शेख भी चख रहे हैं. चंदन सिंह बताते हैं कि लीची दुबई भेजने के लिए उन्होंने FPO बनवाया जिसमें भागलपुर की संस्था आत्म का अहम सहयोग है.

एक लीची की कीमत 2 रुपएः भागलपुर की मनराजी लीची की बात करें तो बेंगलुरु में इसकी की कीमत 200 रुपये किलो तक पहुंच गयी है. बाद में ग्रेडिंग के आधार पर और कीमत मिलेगी. चंदन सिंह ने बताया कि आत्मा भागलपुर के सहयोग से निर्यातक का लाइसेंस मिल चुका है. ऐसे में देश विदेशों में लीची सप्लाई में कोई समस्या नहीं होगी.

बेंगलुरु से हो रही ब्रांडिंगः चंदन सिंह ने बताया कि शुरुआत में काफी दिक्कत हुई लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो गया. पिछले साल पिता की जा निधन हो गया इस कारण परेशानी हुई. उन्होंने बताया कि इसबार बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई गया है. बेंगलुरु से उसे ब्रांडिंग करने के बाद दुबई भेजा गया.

एयरपोर्ट नहीं होने से समस्याः चंदन सिंह ने कहा कि यहां के किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या एयरपोर्ट नहीं होना है. यहां से पटना एयरपोर्ट की दूरी बहुत ज्यादा है. अगर भागलपुर में एयरपोर्ट रहता तो किसानों को अपनी उपज विदेशों तक भेजने में कोई समस्या नहीं होती.

APEDA और FPO क्या हैः एपीडा(APEDA) से लाइसेंस लेने के बाद ही खाद्य उत्पादों का निर्यात किया जा सकता है. इसलिए एपीडा पंजीकरण अनिवार्य है. FPO यानि किसान उत्पादक संगठन होता है जो किसानों को व्यवसायी में मदद करने करता है. किसानों को आर्थिक मदद भी की जाती है. इस संगठन में 11 किसानों को शामिल किया जाता है जो अपना कृषि उद्यमी स्थापित करते हैं.

यह भी पढ़ेंः

भागलपुर की मनराजी लीची दुबई पहुंची (न)

भागलपरः बिहार के भागलपुरी सिल्क, जर्दालु आम, कतरनी चावल और चूरा देश-विदेशों में पहचान बना चुका है. अब भागलपुर की मनराजी लीची की भी मिठास विदेश पहुंचनी शुरू हो गयी है. इसकी पहली खेप एक्सपोर्ट कर दिया गया है. अन्य देशों से भी लीची के ऑर्डर आ रहे हैं.

पिता के सपना को पूरा कर रहे दो भाईः दरअसल, ऐसा करने वाले भागलपुर के दो किसान हैं जिन्होंने बिहार से लीची को दुबई भेजने का काम किया. भागलपुर के किसान चंदन कुमार सिंह ने बताया कि उनके पिता का सपना था कि भागलपुर की लीची को विदेशों तक पहुंचायी जाए. उन्हीं के सपना को साकार कर रहे हैं. भागलपुर की लीची अब दुबई तक पहुंची चुकी है. दुबई के शेख अब बिहार की लीची का स्वाद लेंगे.

"मेरे पिता जी का सपना था कि बिहार की लीची देश के बाहर जाए. इसके लिए 2022 में FPO बनाया गया. सरस वसुधा फार्मर प्रोडूसर लिमिटेड के नाम से कंपनी बनायी. साल 2023 में APEDA से लाइसेंस लिए. इसमें भागलुर की संस्था आत्मा और डीएम साहब का अहम योगदान रहा. आज बाबू जी का जो सपना था उसे हमदोनों भाई कर रहे हैं." -चंदन कुमार सिंह, किसान

जीआई टैग की मांगः किसान चंदन सिंह बताते हैं कि पहली खेप में 571 किलो लीची दुबई भेजी गयी है. संयुक्त अरब अमीरात के अन्य शहर से 500 किलो का ऑर्डर आय़ा है जिसे भेजने की तैयारी की जा रही है. बता दें कि भागलपुर के जर्दालु आम और चूरा को जीआई टैग मिल चुका है. मनराजी लीची को भी जीआई टैग देने की मांग की जा रही है. इसमें भागलपुर की संस्था आत्मा का बहुत बड़ा योगदान है.

मनराजी लीची का स्वाद चखेंगे शेखः किसान चंदन सिंह मूल रूप से गोपालपुर प्रखंड के लत्तीपाकर धरहरा के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि बेंगलुरु के रास्ते लीची दुबई भेजी गयी और कई ऑर्डर भी मिल रहे हैं. अब भागलपुर की मनराजी लीची का स्वाद दुबई के शेख भी चख रहे हैं. चंदन सिंह बताते हैं कि लीची दुबई भेजने के लिए उन्होंने FPO बनवाया जिसमें भागलपुर की संस्था आत्म का अहम सहयोग है.

एक लीची की कीमत 2 रुपएः भागलपुर की मनराजी लीची की बात करें तो बेंगलुरु में इसकी की कीमत 200 रुपये किलो तक पहुंच गयी है. बाद में ग्रेडिंग के आधार पर और कीमत मिलेगी. चंदन सिंह ने बताया कि आत्मा भागलपुर के सहयोग से निर्यातक का लाइसेंस मिल चुका है. ऐसे में देश विदेशों में लीची सप्लाई में कोई समस्या नहीं होगी.

बेंगलुरु से हो रही ब्रांडिंगः चंदन सिंह ने बताया कि शुरुआत में काफी दिक्कत हुई लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो गया. पिछले साल पिता की जा निधन हो गया इस कारण परेशानी हुई. उन्होंने बताया कि इसबार बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई गया है. बेंगलुरु से उसे ब्रांडिंग करने के बाद दुबई भेजा गया.

एयरपोर्ट नहीं होने से समस्याः चंदन सिंह ने कहा कि यहां के किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या एयरपोर्ट नहीं होना है. यहां से पटना एयरपोर्ट की दूरी बहुत ज्यादा है. अगर भागलपुर में एयरपोर्ट रहता तो किसानों को अपनी उपज विदेशों तक भेजने में कोई समस्या नहीं होती.

APEDA और FPO क्या हैः एपीडा(APEDA) से लाइसेंस लेने के बाद ही खाद्य उत्पादों का निर्यात किया जा सकता है. इसलिए एपीडा पंजीकरण अनिवार्य है. FPO यानि किसान उत्पादक संगठन होता है जो किसानों को व्यवसायी में मदद करने करता है. किसानों को आर्थिक मदद भी की जाती है. इस संगठन में 11 किसानों को शामिल किया जाता है जो अपना कृषि उद्यमी स्थापित करते हैं.

यह भी पढ़ेंः

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.