ETV Bharat / state

हरियाणा में सफल स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट, हिमाचल और पंजाब के दो परिवारों ने बचाई एक दूसरे के मरीज की जान, लिवर देकर पति-पिता को बचाया

हरियाणा में हिमाचल और पंजाब के दो अनजान परिवारों ने एक दूसरे के मरीजों को लिवर दान करके बचाया.

Swap Liver Transplant in Faridabad
Swap Liver Transplant in Faridabad (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 23, 2024, 1:40 PM IST

Updated : Nov 23, 2024, 1:55 PM IST

फरीदाबाद: हरियाणा में हिमाचल और पंजाब के दो अनजान परिवारों ने एक-दूसरे के मरीजों को लिवर दान कर उनकी जान बचाई है. हिमाचल और पंजाब के इन दोनों परिवारों की मुलाकात हरियाणा के फरीदाबाद में हुई. दरअसल, ब्लड ग्रुप सेम होने पर दोनों ने एक दूसरे के मरीज को लिवर डोनेट करने की सहमति दे दी. जिसके बाद प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर दोनों मरीजों के सफल लिवर ट्रांसप्लांट किए.

फरीदाबाद में पहली बार सफल स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट: डॉ. पुनीत सिंगला ने बताया कि दोनों मरीजों के परिवार में सेम ब्लड ग्रुप के डोनर नहीं थे. एक मरीज का ब्लड ग्रुप ए था, तो दूसरे के पास बी ब्लड ग्रुप का डोनर था. दूसरे मरीज का ब्लड ग्रुप बी था और उनके पास ए ब्लड ग्रुप का डोनर था. अस्पताल में आने के बाद दोनों परिवारों को आपस में मिलाया. बातचीत करने के बाद दोनों परिवार एक दूसरे का डोनर बनने के लिए सहमत हो गए. डॉक्टरों की भाषा में इसे स्वैप ट्रांसप्लांट कहा था.

एक फैमिली के अंदर ब्लड ग्रुप मैचिंग नहीं है, तो एक फैमिली दूसरे को लिवर दे सकती है. फरीदाबाद में पहली बार सफल स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है. स्वैप ट्रांसप्लांट अपने आप में एक चैलेंज जैसा है. दोनों परिवारों को एक दूसरे से मिलना और इसके बाद मरीज की जान बचाने के लिए उन्हें सहमत करने के लिए विस्तार से बताया जाता है.

Swap Liver Transplant in Faridabad (Etv Bharat)

हिमाचल के मरीज को मिला नया जीवनदान: हिमाचल के कुल्लू जिले के रहने वाले 45 साल के शशिपाल को करीब 2 साल पहले लिवर की बिमारी का पता चला था. उन्होंने डॉक्टर के कहने पर टेस्ट करवाए थे. तब पता चला था कि उन्हें लिवर सिरोसिस की बीमारी है. कुछ समय में उनका वजन बढ़ गया था. उनकी हालत खराब होती चली गई. रिपोर्ट देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी थी.

वहीं, IAS अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी की तैयारी कर रही शशिपाल की 23 साल की बेटी सोनल पिता को लिवर देने के लिए तैयार हो गई. शशिपाल का ब्लड ग्रुप बी था, जबकि बेटी का ब्लड ग्रुप ए था. शशिपाल में उनकी बेटी के ब्लड ग्रुप के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर अधिक मिला. चिकित्सकों ने बताया कि ब्लड ग्रुप मिसमैच होने की वजह से सोनल शशिपाल को लिवर नहीं दे सकती.

पंजाब के मरीज को भी जीवनदान: वहीं, पंजाब के रहने वाले 32 वर्षीय अभिषेक शर्मा करीब डेढ़ साल पहले एक दिन अचानक बेहोश होकर गिर गए थे. उनका वजन कम हो गया था , जिससे वे काफी कमजोर हो गए थे. उन्हें पहले हेपेटाइटिस की शिकायत थी. बाद में डॉक्टरों के कहने पर जांच कराई तो पता चला कि उन्हें सिरोसिस है. इसलिए उनकी पत्नी उन्हें लिवर देने के लिए तैयार थी.

लेकिन उनका ब्लड ग्रुप बी था जबकि उनके पति यानी अभिषेक का ब्लड ग्रुप ए था. जिसके बाद इतेफाकिया दोनों ही परिवार फरीदाबाद में डॉ. पुनीत सिंगला से मिले. जहां उनकी समस्या का हल हो गया और दोनों ही परिवार एक दूसरे के लिए भाग्यशाली रहे. जहां एक पत्नी ने एक बेटी के पिता की जान बचाई और बेटी ने एक पत्नी के पति की जान बचा ली.'

'बेमिसाल उपलब्धि': डॉ. पुनीत ने बताया कि अस्पताल में आमतौर पर एक ही लिवर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने एक ही समय में समानांतर रूप से दो लिवर ट्रांसप्लांट कर बेमिसाल उपलब्धि हासिल कि डॉ. पुनीत सिंगला ने कहा कि यह विशेषज्ञों की एक टीम ने ट्रांसप्लांट सफलता किया. टीम सावधानीपूर्वक योजना बनाकर ट्रांसप्लांट सर्जरी को अंजाम दिया. यह चिकित्सा उपलब्धि हॉस्पिटल की अत्याधुनिक सुविधाओं, एडवांस तकनीक और मल्टीडिसीप्लिनरी सहयोग को प्रमुखता से दिखाती है.

ये भी पढ़ें: मां की ममता...32 साल के बेटे को बचाने के लिए दी अपनी किडनी, AIIMS Rishikesh में दूसरी बार हुआ Kidney Transplant

ये भी पढ़ें:अब फ्री में लिवर-किडनी का ट्रांसप्लांट, हरियाणा CM नायब सिंह सैनी का बड़ा ऐलान - Free Liver Kidney Transplant

फरीदाबाद: हरियाणा में हिमाचल और पंजाब के दो अनजान परिवारों ने एक-दूसरे के मरीजों को लिवर दान कर उनकी जान बचाई है. हिमाचल और पंजाब के इन दोनों परिवारों की मुलाकात हरियाणा के फरीदाबाद में हुई. दरअसल, ब्लड ग्रुप सेम होने पर दोनों ने एक दूसरे के मरीज को लिवर डोनेट करने की सहमति दे दी. जिसके बाद प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर दोनों मरीजों के सफल लिवर ट्रांसप्लांट किए.

फरीदाबाद में पहली बार सफल स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट: डॉ. पुनीत सिंगला ने बताया कि दोनों मरीजों के परिवार में सेम ब्लड ग्रुप के डोनर नहीं थे. एक मरीज का ब्लड ग्रुप ए था, तो दूसरे के पास बी ब्लड ग्रुप का डोनर था. दूसरे मरीज का ब्लड ग्रुप बी था और उनके पास ए ब्लड ग्रुप का डोनर था. अस्पताल में आने के बाद दोनों परिवारों को आपस में मिलाया. बातचीत करने के बाद दोनों परिवार एक दूसरे का डोनर बनने के लिए सहमत हो गए. डॉक्टरों की भाषा में इसे स्वैप ट्रांसप्लांट कहा था.

एक फैमिली के अंदर ब्लड ग्रुप मैचिंग नहीं है, तो एक फैमिली दूसरे को लिवर दे सकती है. फरीदाबाद में पहली बार सफल स्वैप लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है. स्वैप ट्रांसप्लांट अपने आप में एक चैलेंज जैसा है. दोनों परिवारों को एक दूसरे से मिलना और इसके बाद मरीज की जान बचाने के लिए उन्हें सहमत करने के लिए विस्तार से बताया जाता है.

Swap Liver Transplant in Faridabad (Etv Bharat)

हिमाचल के मरीज को मिला नया जीवनदान: हिमाचल के कुल्लू जिले के रहने वाले 45 साल के शशिपाल को करीब 2 साल पहले लिवर की बिमारी का पता चला था. उन्होंने डॉक्टर के कहने पर टेस्ट करवाए थे. तब पता चला था कि उन्हें लिवर सिरोसिस की बीमारी है. कुछ समय में उनका वजन बढ़ गया था. उनकी हालत खराब होती चली गई. रिपोर्ट देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी थी.

वहीं, IAS अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी की तैयारी कर रही शशिपाल की 23 साल की बेटी सोनल पिता को लिवर देने के लिए तैयार हो गई. शशिपाल का ब्लड ग्रुप बी था, जबकि बेटी का ब्लड ग्रुप ए था. शशिपाल में उनकी बेटी के ब्लड ग्रुप के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर अधिक मिला. चिकित्सकों ने बताया कि ब्लड ग्रुप मिसमैच होने की वजह से सोनल शशिपाल को लिवर नहीं दे सकती.

पंजाब के मरीज को भी जीवनदान: वहीं, पंजाब के रहने वाले 32 वर्षीय अभिषेक शर्मा करीब डेढ़ साल पहले एक दिन अचानक बेहोश होकर गिर गए थे. उनका वजन कम हो गया था , जिससे वे काफी कमजोर हो गए थे. उन्हें पहले हेपेटाइटिस की शिकायत थी. बाद में डॉक्टरों के कहने पर जांच कराई तो पता चला कि उन्हें सिरोसिस है. इसलिए उनकी पत्नी उन्हें लिवर देने के लिए तैयार थी.

लेकिन उनका ब्लड ग्रुप बी था जबकि उनके पति यानी अभिषेक का ब्लड ग्रुप ए था. जिसके बाद इतेफाकिया दोनों ही परिवार फरीदाबाद में डॉ. पुनीत सिंगला से मिले. जहां उनकी समस्या का हल हो गया और दोनों ही परिवार एक दूसरे के लिए भाग्यशाली रहे. जहां एक पत्नी ने एक बेटी के पिता की जान बचाई और बेटी ने एक पत्नी के पति की जान बचा ली.'

'बेमिसाल उपलब्धि': डॉ. पुनीत ने बताया कि अस्पताल में आमतौर पर एक ही लिवर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने एक ही समय में समानांतर रूप से दो लिवर ट्रांसप्लांट कर बेमिसाल उपलब्धि हासिल कि डॉ. पुनीत सिंगला ने कहा कि यह विशेषज्ञों की एक टीम ने ट्रांसप्लांट सफलता किया. टीम सावधानीपूर्वक योजना बनाकर ट्रांसप्लांट सर्जरी को अंजाम दिया. यह चिकित्सा उपलब्धि हॉस्पिटल की अत्याधुनिक सुविधाओं, एडवांस तकनीक और मल्टीडिसीप्लिनरी सहयोग को प्रमुखता से दिखाती है.

ये भी पढ़ें: मां की ममता...32 साल के बेटे को बचाने के लिए दी अपनी किडनी, AIIMS Rishikesh में दूसरी बार हुआ Kidney Transplant

ये भी पढ़ें:अब फ्री में लिवर-किडनी का ट्रांसप्लांट, हरियाणा CM नायब सिंह सैनी का बड़ा ऐलान - Free Liver Kidney Transplant

Last Updated : Nov 23, 2024, 1:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.