सहारनपुर: सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमें धार्मिक स्थल के विवादों को दोनों समाज के विद्वानों की कमेटी बनाकर प्रमाण के आधार पर बैठकर सुलझाना चाहिए. ऐसे मामलों का राजनीतीकरण सही नहीं है. यदि किसी के धार्मिक स्थल पर बलपूर्वक कब्जा किया गया है और धार्मिक कारण से ये सब हो तो ठीक है लेकिन, राजनीतिक कारण से ऐसा हो तो हम उसे ठीक नहीं मानते. क्योंकि, इससे केवल वर्ग विद्वेष ही फैलेगा.
उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सोमवार की देर शाम 51 सिद्धपीठ में से एक मां शाकंभरी देवी मंदिर परिसर में स्थित शंकराचार्य आश्रम पहुंचे थे. संभल में हुई घटना के बारे में मंगलवार को मीडिया से कहा कि दोनों वर्गों को आपस में बैठकर समाधान निकालना चाहिए लेकिन, दूसरा वर्ग तैयार नहीं है. इसलिए न्यायालय ही इसका एकमात्र रास्ता है. वहीं से इसका समाधान निकलेगा.
उन्होंने कहा कि मुसलमानों को भी पत्थर फेंककर या बल दिखाकर इसका विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके पास अगर प्रमाण है तो न्यायालय में रखने चाहिए. वहीं से उन्हें राहत मिलेगी या नहीं मिलेगी. पत्थर फेंकने से व मारपीट करने से और समस्या में पड़ेंगे क्योंकि, भारत में अब वो समय नहीं है जब कब्जा कर लिया था.
उन्होंने कहा कि हिन्दू और मुसलमानों के विद्वानों का एक बोर्ड (कमेटी) बनाई जाए जिसमें दोनों समाज के लोग अपने प्रमाण रखें और विचार करके निर्णय कर लें और आपस में मान लें. इसका समाधान निकालने का यह सबसे अच्छा रास्ता है. साथ में खाने से प्रेम नहीं बनता बल्कि एक दूसरे के सुख-दुख में साथ देने से प्रेम बनता है. मुसलमान एक ही दस्तरखान पर एक ही थाली में खाते हैं, क्या उनमें एकता हो गई, क्या पूरी दुनिया में मुसलमान कत्लेआम नहीं करते.
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