सरगुजा: आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको ऐसे नर्स से रू-ब-रू कराने जा रहा है, जो ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रही हैं. ये नर्स पीवीटीजी बाहुल्य गांव में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं. इस नर्स का नाम है संगीत रवि्, जो सरगुजा के उदयपुर विकासखंड के मरेया सब हेल्थ सेंटर की नर्स हैं. इस सब हेल्थ सेंटर में ये एक मात्र स्टाफ हैं. अम्बिकापुर मुख्यालय से इस गांव की दूरी करीब 82 किलोमीटर है. साधन विहीन दूरस्थ गांव में सेवा देते हुए संगीता ने बेहतर प्रदर्शन किया है. 3687 की जनसंख्या वाले क्षेत्र में ये महिला अकेले सेवा दे रही हैं.
पहुंच विहीन बस्तियों में दे रही है सेवा: खास बात यह है कि इस क्षेत्र में 3687 लोग रहते हैं, जिनमें से मरेया में 89 पहाड़ी कोरवा (PVTG) और बगल के गांव सितकालो में 287 पहाड़ी कोरवा परिवार रहते हैं. इन सबकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जिम्मा संगीता के कंधों पर है. इस सब हेल्थ सेंटर के अंतर्गत 3 ऐसी बस्तियां पड़ती है, जो पहाड़ी कोरवा बाहुल्य बस्तिया हैं. वहीं, धवईपानी, पनगोती और खमनखूट जैसी बस्तियां पहुंच विहीन हैं.
"लोगो के पास जानकारी का अभाव है. ऐसे में पहुंच विहीन क्षेत्र होने के कारण ये लोग अस्पताल तक आ भी नहीं पाते हैं. ऐसे में इन बस्तियों में जाकर जागरुकता के साथ दवाईयां और मैं वैक्सीनेशन और उपचार का काम करती हूं. लोग इंतजार करते हैं कि नर्स दीदी आएंगी. मुझे भी काफी अच्छा लगता है. जब मैं इन लोगों की मदद करती हूं.- संगीता रवि, नर्स
गर्भवती महिला और शिशुओं को दे रही सेवा: ऐसे क्षेत्र में रहकर नर्स संगीता ने बीते सालों में सफलता पूर्वक 104 महिलाओं का प्रसव से पहले जांच किया है. इसके साथ ही 100 महिलाओं के प्रसव के काम को देखा है. नवजात शिशुओं के टीकारण में BCG के 100 टीके, MR 1st के 94 टीके और MR 2nd के 101 टीके लगाए हैं. इस क्षेत्र में 0 से 1 वर्ष की उम्र के 88 बच्चे और 1 से 5 वर्ष की उम्र वाले 387 बच्चे हैं.
"स्वास्थ्य विभाग की नर्सेस तो जहां भी काम करती हैं, उनका काम ही सेवा भाव से जुड़ा हुआ है, लेकिन संगीता जैसी कुछ नर्स हैं, जो दूरस्थ और पहुंच विहीन क्षेत्र में कठिनाइयों के बीच सेवा दे रही हैं. जब वो इस तरह का बेहतर काम करती हैं, तो निश्चित ही लोगों तक बेहतर सुविधा पहुंचती है. - डॉ पुष्पेंद्र राम, डीपीएम, सरगुजा
बता दें कि नर्स संगीता रवि दूरस्त क्षेत्रों में लगातार सेवा दे रही हैं. खासकर आदिवासी समाज के बीच जाकर ये उनको हेल्थ संबंधी मदद करती हैं. साथ ही लोगों को स्वास्थ्य को लेकर जागरूक भी करने का काम करती हैं.