जयपुर: प्रदेश के चर्चित एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हाईकोर्ट के उन आदेशों को रद्द कर दिया है, जिसके तहत हाईकोर्ट ने तत्कालीन यूडीएच मंत्री धारीवाल के खिलाफ प्रकरण को रद्द कर दिया था. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस जीएस संधू सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन वापस लेने की भी स्वीकृति दे दी.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने यह आदेश अशोक पाठक की एसएलपी में राज्य सरकार की ओर से पेश प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए दिए. खंडपीठ ने हाईकोर्ट को प्रकरण की पुनः सुनवाई करने को कहा है और इस दौरान राज्य सरकार को अदालत में अपना पक्ष रखने को कहा है.
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सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखने वाले अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने बताया कि गत अप्रैल में राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश शपथ पत्र में प्रकरण में कोई आपराधिक मामला नहीं बनने की बात कही थी, लेकिन इस दौरान उनसे सलाह नहीं ली गई. वहीं, अब नया शपथ पत्र पेश कर हाईकोर्ट के आदेशों को रद्द करने की गुहार की गई थी. इसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.
एएजी शर्मा ने बताया कि मामले में एसीबी ने तीन क्लोजर रिपोर्ट अदालत में पेश की थी, वे धारीवाल सहित अन्य अधिकारियों से प्रभावित थी. इन रिपोर्ट में सभी तथ्यों को शामिल नहीं किया गया था. ऐसे में एसीबी कोर्ट ने दो क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और तीसरी पर कोई निर्णय नहीं हुआ था. इस दौरान मामला हाईकोर्ट चला गया. हाईकोर्ट ने गत जनवरी माह में पूर्व आईएएस जीएस संधू, निष्काम दिवाकर और ओंकार मल सैनी के खिलाफ मुकदमा वापस लेने को सही माना और धारीवाल के खिलाफ प्रकरण खारिज कर दिया. ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर प्रकरण को फिर से ट्रायल कोर्ट भेजना चाहिए. हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता अशोक पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी, जिसमें कहा था कि शिकायतकर्ता से राजीनामे के आधार पर केस को रद्द नहीं किया जा सकता.
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यह था मामला: साल 2014 में रामशरण सिंह की ओर से गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में धांधली का आरोप लगाते हुए एसीबी में शिकायत दी गई थी. एसीबी ने यूडीएच के तत्कालीन सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी और निष्काम दिवाकर सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. हाईकोर्ट ने 15 नवंबर, 2022 को आदेश जारी कर एसीबी में दर्ज एफआईआर और एसीबी कोर्ट में चल रही कार्रवाई को रद्द कर दिया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने संधू सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ लंबित मुकदमा वापस लेने को हरी झंडी दे दी थी. इन दोनों आदेशों को अशोक पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.