दमोह। प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले बहुचर्चित देवेंद्र चौरासिया हत्याकांड मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार, पुलिस महानिदेशक और दमोह एसपी को जमकर फटकर लगाई है. मामला सोमेश चौरासिया द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका के सन्दर्भ का है. दरअसल 2019 में हटा के कद्दावर नेता देवेंद्र चौरासिया की पथरिया की तत्कालीन विधायक रामबाई परिहार के पति गोविंद परिहार, उनके देवर कौशलेंद्र परिहार व 17 अन्य लोगों ने मिलकर सामूहिक रूप से हत्या कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
वहीं उनके पुत्र सोमेश चौरासिया पर भी प्राण घातक हमला किया था. इसके बाद सोमेश चौरासिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचाराधीन में लिया था. इसी ममले में अभी सोमेश चौरासिया द्वारा एक अन्य याचिका दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत व केवी विश्वनाथन की बेंच ने सोमेश एवं उसके परिजनों को पुलिस सुरक्षा मुहैया न कराए जाने की बात को लेकर मध्यप्रदेश पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए आश्चर्य जताया है. कोर्ट ने कहा है कि मध्य प्रदेश पुलिस राजनीतिक गुंडों व राजनीतिक डकैतों को तो सुरक्षा देने का काम कर रही है, लेकिन हत्याकांड के पीड़ित परिवार को बाहुबलियों से सुरक्षा दिलाने सक्रिय नहीं दिख रही है.
विधायक व परिवार से जान को खतरा
दरसल विगत लगभग एक वर्ष से देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड के पीड़ित परिवार की पुलिस सुरक्षा सरकार ने हटा दी थी. जिसके चलते इस याचिका को पीड़ित पक्ष की ओर से दाखिल किया गया था. याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में उनके अधिवक्ता वरुण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पूर्व विधायक के पति व उनसे पीड़ित परिवार को जान का खतरा है. साथ ही बाहुबली विधायक (अब तत्कालीन) दमोह कलेक्टर को खुलेआम धमकाकर भय का माहौल बनाए है. जिससे कलेक्टर को तबादला लेना पड़ा. पूर्व विधायक के परिजनों पर कई गंभीर आपराधिक मामलों में वे सजायाफ्ता हैं.
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मामले में चौरसिया परिवार के स्थानीय मामले में रहे अधिवक्ता मनीष नगाइच ने बताया के सारी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगले 24 घंटों में चौरसिया परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश के साथ अगली सुनवाई पर पुलिस अधीक्षक दमोह को व्यक्तिगत न्यायालय में हाजिर होकर कंप्लायंस रिपोर्ट और हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं.