नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नई दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन में फैजयाब मस्जिद और मदरसा को गिराए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि धार्मिक समिति ने मस्जिद को गिराने की सिफारिश की है, क्योंकि यह व्यापक जनहित के लिए जरूरी है.
पीठ याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील से सहमत नहीं थी कि यह जमीन वक्फ की संपत्ति है. कोर्ट ने कहा कि यह ढांचा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है. हालांकि, पीठ ने कहा कि वह धार्मिक समिति के आदेश की जांच कर सकती है. पीठ ने स्पष्ट किया कि वह याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है और कहा कि वैकल्पिक पूजा स्थल आवंटित न किए जाने की स्थिति में याचिकाकर्ता अदालत का रुख कर सकता है.
जून में हाईकोर्ट से मिला झटकाः सर्वोच्च न्यायालय इस साल जून में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें केंद्र को संबंधित भूखंड के जितना संभव हो सके उतना करीब वैकल्पिक भूखंड आवंटित करने के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया गया था. सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने ढांचे को गिराने की अनुमति दी थी.
हाईकोर्ट ने फैजयाब मस्जिद और मदरसा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें संरचनाओं को गिराने के अधिकारियों के फैसले को चुनौती दी गई थी. मस्जिद के कार्यवाहक द्वारा एक महीने के भीतर परिसर खाली करने का वचन देने और यह आश्वासन देने के बाद कि विध्वंस में बाधा डालने के लिए कोई और प्रयास नहीं किया जाएगा, उच्च न्यायालय ने यह आदेश पारित किया.