नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजस्थान सरकार से केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की रिपोर्ट पर जवाब मांगा, जिसमें सरिस्का टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में 22 किलोमीटर अंदर स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर में पर्यटक वाहनों की बे-रोकटोक आवाजाही का मुद्दा उठाया गया है. यह टाइगर रिजर्व राजस्थान के अलवर और जयपुर जिले में फैला हुआ है. इसके मुख्य क्षेत्र में कई तरह के वन्यजीव पाए जाते हैं, जिनमें कई बिल्ली की प्रजातियां, नेवले और दलदली मगरमच्छ शामिल हैं.
बाघ संरक्षण योजना भी समाप्त : मामले में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) एडवोकेट के. परमेश्वर ने न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष बताया कि सीईसी ने टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में स्थित प्राचीन मंदिर में निजी वाहनों के आने-जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. इसके बजाय श्रद्धालुओं को लाने-ले जाने के लिए इलेक्ट्रिक शटल बसों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत को बताया गया कि सीईसी ने कहा है कि रिजर्व के अंदर वाहनों की भारी आवाजाही बाघों के प्रजनन और अन्य वन्यजीवों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है. 1 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई बाघ संरक्षण योजना भी 31 मार्च, 2024 को बिना नवीनीकरण के समाप्त हो गई.
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के. परमेश्वर ने सीईसी के सुझावों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार वन्यजीवों और श्रद्धालुओं दोनों को लाभ पहुंचाने के लिए रोपवे, एलिवेटेड रोड, मोटरेबल ट्विन टनल या इलेक्ट्रिक ट्रामवे बनाने पर विचार कर सकती है. पीठ ने कहा कि राज्य वन्यजीवों को वाहनों की आवाजाही से बचाने के लिए असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की तरह एलिवेटेड रोड बनाने पर विचार कर सकता है. राज्य सरकार के वकील ने कहा कि संबंधित प्राधिकरण उठाए जा रहे कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल करेगा.
11 सितंबर तक जवाब मांगा : पीठ ने कहा कि अदालत इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का निर्देश दे सकती है और रिजर्व क्षेत्र में निजी वाहनों के चलने पर रोक लगा सकती है. न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की बेंच ने परमेश्वर की दलीलें सुनने के बाद राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया और 11 सितंबर तक जवाब मांगा है. पीठ ने कहा कि राज्य सरकार अदालत की ओर से नियुक्त सीईसी के अधिकांश सुझावों से सहमत है.