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न्याय सरल, सस्ता और सबके लिए सुलभ होना चाहिए:जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई - Supreme Court Justice

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 28, 2024, 10:55 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई बिलासपुर पहुंचे. जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि आम लोगों के लिए न्याय सरल, सस्ता और सुलभ होना चाहिए. न्याय व्यवस्था में सभी की आस्था बरकरार रहे ऐसा काम करने की जरुरत है.

Supreme Court Justice
न्याय सरल, सस्ता और सबके लिए सुलभ होना चाहिए (ETV Bharat)

बिलासपुर: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि ''आम लोगों के लिए न्याय सरल, सस्ता और सुलभ होना चाहिए. हम सबकी जिम्मेदारी है कि न्याय व्यवस्था में लोगों की आस्था बरकरार रहे. इसकी शुरूआत जिला कोर्ट से होती है इसलिए निचली अदालतों को अधिक गंभीर और जिम्मेदार होना होगा. निचली अदालतों में मूलभूत सुविधाओं के साथ ही काम करने का बेहतर माहौल भी होना चाहिए. जिला जजों के साथ ही वहां काम करने वाले ज्यूडिशियरी के कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ती है.''

'न्याय सरल, सस्ता और सुलभ होना चाहिए': जस्टिस गवई हाईकोर्ट में आयोजित राज्य स्तरीय कांफ्रेस में शामिल होने पहुंचे थे. बिलासपुर हाईकोर्ट परिसर में रविवार को न्यायिक अधिकारियों की राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था. आयोजन में सुप्रीम कोर्ट के तीन माननीय जज शामिल हुए. सुबह दस बजे राज्य विधिक सेवा प्राधिकारण और हाईकोर्ट की ओर से आयोजित इस कांफ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बी आर गवई विशेष रूप से आयोजन में मौजूद रहे. कांफ्रेंस मे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा समेत अन्य जज और बड़ी संख्या में न्यायिक अधिकारी शामिल हुए.

छत्तीसगढ़ की तारीफ: कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जस्टिस श्री गवई ने अपने स्पीच में कहा कि ''फैसला देने वाले एक जज को जानकार, जागरूक, सजग, गंभीर और संवेदनशील होना भी जरूरी है''. छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और यहां के विकास की तारीफ करते हुए कहा कि ''तमाम चुनौतियों के बाद भी राज्य बनने के 24 सालों में ही यह प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है. छत्तीसगढ़ एक माडल के रूप में अपने आप को पेश कर रहा है''. बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात और बस्तर आर्ट के विश्व पटल पर पहुंचने की भी तारीफ की.

'न्याय का माहौल बनना चाहिए': जस्टिस गवई ने कहा कि ''छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत से अधिक आबादी ट्राइबल्स की है इसे ध्यान में रखते हुए भी यहां का विकास सराहनीय है''. जस्टिस ने कहा कि ''वतर्मान समय में जिला कोर्ट और वहां के न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों के समक्ष कई चुनौतियां हैं. इसे ध्यान में रखते हुए बेहतर न्यायिक माहौल बनाना होगा.'' जस्टिस ने कहा कि ''कोई सब ऑर्डिनेट नहीं होता सभी अपनी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. इसमें जिला से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक शामिल हैं''

'जनता का भरोसा ट्रायल कोर्ट पर बहुत ज्यादा है': जस्टिस गवई ने कहा कि ''जिला कोर्ट और निचली अदालतें, उनके मजिस्ट्रेट, न्याय पालिका के आधार हैं. जनता का भरोसा ट्रायल कोर्ट पर बहुत ज्यादा है इसलिए उनकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है. आज भी सैकड़ों की संख्या में कोर्ट केस दाखिल हो रहे हैं क्योंकि देशवासियों को भरोसा है कि पुलिस और प्रशासन से ना सही लेकिन न्यायिक व्यवस्था से न्याय जरूर मिलेगा. हम सभी संविधान से बंधे हैं. हमें उसी के दायरे में रहकर काम करना होगा. संविधान कहता है कि न्याय सभी के लिए सरल, सस्ता और सुलभ हो. जिला न्यायालयों में भी इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने की बहुत जरूरत है.''

बीते दिनों की यादों को किया ताजा: अपने अध्यक्षीय भाषण में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सिन्हा के साथ बिताए पुराने दिनों को याद करते हुए उन्हें रमेश बाबू के नाम से संबोधित किया. जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि ''इलाहाबाद हाईकोर्ट में काम करने के दौरान श्री सिन्हा का काफी सहयोग मिला. श्री सिन्हा सिर्फ काम से मतलब रखने वाले संकोची और सावधान जस्टिस हैं.''

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'न्याय सरल, सस्ता और सुलभ होना चाहिए': जस्टिस गवई हाईकोर्ट में आयोजित राज्य स्तरीय कांफ्रेस में शामिल होने पहुंचे थे. बिलासपुर हाईकोर्ट परिसर में रविवार को न्यायिक अधिकारियों की राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था. आयोजन में सुप्रीम कोर्ट के तीन माननीय जज शामिल हुए. सुबह दस बजे राज्य विधिक सेवा प्राधिकारण और हाईकोर्ट की ओर से आयोजित इस कांफ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बी आर गवई विशेष रूप से आयोजन में मौजूद रहे. कांफ्रेंस मे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा समेत अन्य जज और बड़ी संख्या में न्यायिक अधिकारी शामिल हुए.

छत्तीसगढ़ की तारीफ: कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जस्टिस श्री गवई ने अपने स्पीच में कहा कि ''फैसला देने वाले एक जज को जानकार, जागरूक, सजग, गंभीर और संवेदनशील होना भी जरूरी है''. छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्धि और यहां के विकास की तारीफ करते हुए कहा कि ''तमाम चुनौतियों के बाद भी राज्य बनने के 24 सालों में ही यह प्रदेश तेजी से आगे बढ़ा है. छत्तीसगढ़ एक माडल के रूप में अपने आप को पेश कर रहा है''. बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात और बस्तर आर्ट के विश्व पटल पर पहुंचने की भी तारीफ की.

'न्याय का माहौल बनना चाहिए': जस्टिस गवई ने कहा कि ''छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत से अधिक आबादी ट्राइबल्स की है इसे ध्यान में रखते हुए भी यहां का विकास सराहनीय है''. जस्टिस ने कहा कि ''वतर्मान समय में जिला कोर्ट और वहां के न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों के समक्ष कई चुनौतियां हैं. इसे ध्यान में रखते हुए बेहतर न्यायिक माहौल बनाना होगा.'' जस्टिस ने कहा कि ''कोई सब ऑर्डिनेट नहीं होता सभी अपनी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. इसमें जिला से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक शामिल हैं''

'जनता का भरोसा ट्रायल कोर्ट पर बहुत ज्यादा है': जस्टिस गवई ने कहा कि ''जिला कोर्ट और निचली अदालतें, उनके मजिस्ट्रेट, न्याय पालिका के आधार हैं. जनता का भरोसा ट्रायल कोर्ट पर बहुत ज्यादा है इसलिए उनकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है. आज भी सैकड़ों की संख्या में कोर्ट केस दाखिल हो रहे हैं क्योंकि देशवासियों को भरोसा है कि पुलिस और प्रशासन से ना सही लेकिन न्यायिक व्यवस्था से न्याय जरूर मिलेगा. हम सभी संविधान से बंधे हैं. हमें उसी के दायरे में रहकर काम करना होगा. संविधान कहता है कि न्याय सभी के लिए सरल, सस्ता और सुलभ हो. जिला न्यायालयों में भी इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने की बहुत जरूरत है.''

बीते दिनों की यादों को किया ताजा: अपने अध्यक्षीय भाषण में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सिन्हा के साथ बिताए पुराने दिनों को याद करते हुए उन्हें रमेश बाबू के नाम से संबोधित किया. जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि ''इलाहाबाद हाईकोर्ट में काम करने के दौरान श्री सिन्हा का काफी सहयोग मिला. श्री सिन्हा सिर्फ काम से मतलब रखने वाले संकोची और सावधान जस्टिस हैं.''

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