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सुप्रीम कोर्ट ने दी प्रदेश की 23 हजार खानों को राहत, कहा- तीन सप्ताह में राज्य प्राधिकरण में मंजूरी के लिए करें आवेदन - SUPREME COURT GIVES RELIEF

प्रदेश के 23 हजार खान संचालकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है.

COURT GIVES RELIEF MINES,  23 THOUSAND MINES OF RAJASTHAN
सुप्रीम कोर्ट ने दी प्रदेश की 23 हजार खानों को राहत. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 12, 2024, 7:49 PM IST

जयपुरः सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की 23 हजार खान संचालकों को बड़ी राहत दी है. अदालत ने इनकी खनन वैधता को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है. वहीं, अदालत ने कहा है कि जो खनन पट्टा धारक जिला स्तरीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्राधिकरण से मंजूरी लेकर चल रहे हैं, वे तीन सप्ताह के भीतर राज्य स्तरीय प्राधिकरण में पर्यावरणीय मंजूरी के लिए आवेदन करें. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिकाः राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि एनजीटी ने गत 8 अगस्त को आदेश दिया था कि जिला स्तरीय पर्यावरण प्राधिकरण से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त खनन लाइसेंस का 7 नवंबर तक राज्य स्तरीय प्राधिकरण से भी पुनः परीक्षण कराया जाए. ऐसा नहीं करने पर एनजीटी ने खनन कार्य बंद करने को कहा था. इस पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनजीटी में प्रार्थना पत्र पेश कर पुनः परीक्षण के लिए समय बढ़ाने की गुहार की थी. जिसे एनजीटी ने गत दिनों खारिज कर दिया था. इस पर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई.

पढ़ेंः प्रदेश की 23 हजार खानों को बड़ी राहत, जारी रहेगा खनन, सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश की समय सीमा बढ़ाई

याचिका में यह दिया तर्कः एसएलपी में कहा गया कि एनजीटी के आदेश की पालना के लिए 12 माह के समय की जरूरत है. इस बीच यदि प्रदेश की करीब 23 हजार खान बंद हुई तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और करीब 15 लाख लोगों की नौकरियां संकट में आ जाएगी. वहीं, प्रदेश में निर्माण गतिविधियां भी रुकेगी और निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. इन खनन लाइसेंस में से आधे से ज्यादा लोग कमजोर वर्ग, शहीदों के परिवार और आरक्षित वर्ग के लोग हैं. ऐसे में खनन कार्य नहीं होने से इन परिवारों और खनन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जुडे़ लाखों लोग प्रभावित होंगे. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश में तय की गई समय सीमा को एसएलपी की सुनवाई तक बढ़ा दिया है. वहीं अब अदालत ने खनन वैधता को 31 मार्च, 2025 तक बढाते हुए कहा कि तीन सप्ताह में राज्य प्राधिकरण में मंजूरी के लिए आवेदन करें.

जयपुरः सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की 23 हजार खान संचालकों को बड़ी राहत दी है. अदालत ने इनकी खनन वैधता को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है. वहीं, अदालत ने कहा है कि जो खनन पट्टा धारक जिला स्तरीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्राधिकरण से मंजूरी लेकर चल रहे हैं, वे तीन सप्ताह के भीतर राज्य स्तरीय प्राधिकरण में पर्यावरणीय मंजूरी के लिए आवेदन करें. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिकाः राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि एनजीटी ने गत 8 अगस्त को आदेश दिया था कि जिला स्तरीय पर्यावरण प्राधिकरण से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त खनन लाइसेंस का 7 नवंबर तक राज्य स्तरीय प्राधिकरण से भी पुनः परीक्षण कराया जाए. ऐसा नहीं करने पर एनजीटी ने खनन कार्य बंद करने को कहा था. इस पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनजीटी में प्रार्थना पत्र पेश कर पुनः परीक्षण के लिए समय बढ़ाने की गुहार की थी. जिसे एनजीटी ने गत दिनों खारिज कर दिया था. इस पर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई.

पढ़ेंः प्रदेश की 23 हजार खानों को बड़ी राहत, जारी रहेगा खनन, सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश की समय सीमा बढ़ाई

याचिका में यह दिया तर्कः एसएलपी में कहा गया कि एनजीटी के आदेश की पालना के लिए 12 माह के समय की जरूरत है. इस बीच यदि प्रदेश की करीब 23 हजार खान बंद हुई तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और करीब 15 लाख लोगों की नौकरियां संकट में आ जाएगी. वहीं, प्रदेश में निर्माण गतिविधियां भी रुकेगी और निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. इन खनन लाइसेंस में से आधे से ज्यादा लोग कमजोर वर्ग, शहीदों के परिवार और आरक्षित वर्ग के लोग हैं. ऐसे में खनन कार्य नहीं होने से इन परिवारों और खनन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जुडे़ लाखों लोग प्रभावित होंगे. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश में तय की गई समय सीमा को एसएलपी की सुनवाई तक बढ़ा दिया है. वहीं अब अदालत ने खनन वैधता को 31 मार्च, 2025 तक बढाते हुए कहा कि तीन सप्ताह में राज्य प्राधिकरण में मंजूरी के लिए आवेदन करें.

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