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प्रदेश की 23 हजार खानों को बड़ी राहत, जारी रहेगा खनन, सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश की समय सीमा बढ़ाई

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की 23 हजार खानों के संचालन मामले में बड़ी राहत दी है.

OPERATION OF 23 THOUSAND MINES,  23 THOUSAND MINES OF RAJASTHAN
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश की समय सीमा बढ़ाई. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जयपुरः सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की 23000 खानों के संचालन के मामले में एनजीटी के आदेश की समय सीमा को एसएलपी की सुनवाई तक बढ़ा दिया है. सीजे डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 12 नवंबर को करने के लिए प्रकरण सीजेआई के पास भेजा है.

यह दिया था एनजीटी ने आदेशः राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि एनजीटी ने गत 8 अगस्त को आदेश दिया था कि जिला स्तरीय पर्यावरण प्राधिकरण से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त खनन लाइसेंसों का 7 नवंबर तक राज्य स्तरीय प्राधिकरण से भी पुनः परीक्षण कराया जाए. ऐसा नहीं करने पर एनजीटी ने खनन कार्य बंद करने को कहा था. इस पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनजीटी में प्रार्थना पत्र पेश कर पुनः परीक्षण के लिए समय बढ़ाने की गुहार की थी, जिसे एनजीटी ने गत दिनों खारिज कर दिया था.

पढ़ेंः अरावली के पहाड़ पर खनन को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों से मांगा जवाब - Rajasthan High Court

सरकार ने दायर की याचिकाः इस पर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई. एसएलपी में कहा गया कि एनजीटी के आदेश की पालना के लिए 12 माह के समय की जरूरत है. इस बीच यदि प्रदेश की करीब 23 हजार खान बंद हुई तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और करीब 15 लाख लोगों की नौकरियां संकट में आ जाएंगी. वहीं, प्रदेश में निर्माण गतिविधियां भी रुकेंगी और निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. इन खनन लाइसेंसों में से आधे से ज्यादा लोग कमजोर वर्ग, शहीदों के परिवार और आरक्षित वर्ग के लोग हैं. ऐसे में खनन कार्य नहीं होने से इन परिवारों और खनन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप जुडे़ लाखों लोग प्रभावित होंगे. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश की समय सीमा को एसएलपी की सुनवाई तक बढ़ा दिया है.

जयपुरः सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की 23000 खानों के संचालन के मामले में एनजीटी के आदेश की समय सीमा को एसएलपी की सुनवाई तक बढ़ा दिया है. सीजे डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 12 नवंबर को करने के लिए प्रकरण सीजेआई के पास भेजा है.

यह दिया था एनजीटी ने आदेशः राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि एनजीटी ने गत 8 अगस्त को आदेश दिया था कि जिला स्तरीय पर्यावरण प्राधिकरण से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त खनन लाइसेंसों का 7 नवंबर तक राज्य स्तरीय प्राधिकरण से भी पुनः परीक्षण कराया जाए. ऐसा नहीं करने पर एनजीटी ने खनन कार्य बंद करने को कहा था. इस पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनजीटी में प्रार्थना पत्र पेश कर पुनः परीक्षण के लिए समय बढ़ाने की गुहार की थी, जिसे एनजीटी ने गत दिनों खारिज कर दिया था.

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सरकार ने दायर की याचिकाः इस पर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई. एसएलपी में कहा गया कि एनजीटी के आदेश की पालना के लिए 12 माह के समय की जरूरत है. इस बीच यदि प्रदेश की करीब 23 हजार खान बंद हुई तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और करीब 15 लाख लोगों की नौकरियां संकट में आ जाएंगी. वहीं, प्रदेश में निर्माण गतिविधियां भी रुकेंगी और निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. इन खनन लाइसेंसों में से आधे से ज्यादा लोग कमजोर वर्ग, शहीदों के परिवार और आरक्षित वर्ग के लोग हैं. ऐसे में खनन कार्य नहीं होने से इन परिवारों और खनन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप जुडे़ लाखों लोग प्रभावित होंगे. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश की समय सीमा को एसएलपी की सुनवाई तक बढ़ा दिया है.

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