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सड़क चौड़ी करने के लिए घर पर चला दिया बुलडोजर; सुप्रीम कोर्ट की योगी सरकार को कड़ी फटकार, 5 अफसरों के खिलाफ जांच के आदेश - SUPREME COURT ON BULLDOZER ACTION

Supreme Court Strict on Yogi Government: सपा कार्यकाल में मंत्री रहे सुनील टिबड़ेवाल के बेटे मनोज टिबड़ेवाल आकाश के मकान पर चला था बुलडोजर.

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सुप्रीम कोर्ट की योगी सरकार को कड़ी फटकार. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 6, 2024, 10:01 PM IST

Updated : Nov 6, 2024, 10:52 PM IST

महाराजगंज: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूपी के महाराजगंज में 5 साल पहले 2019 में हुई बुलडोजर कार्रवाई पर आज बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यूपी के 5 अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश देने के साथ-साथ पीड़ित व्यक्ति मनोज टिबड़ेवाल आकाश को 25 लाख रुपए मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाने के दौरान यूपी की योगी सरकार को फटकार भी लगाई. अधिकारियों से कहा कि आप बुलडोजर लेकर रातों-रात किसी का घर नहीं गिरा सकते. बिना किसी नोटिस के किसी के घर में घुसकर उसे ध्वस्त कर देना अराजकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना नोटिस या समय दिए किसी का मकान सिर्फ मुनादी करावकर गिराने की प्रक्रिया सरकार और अफसरों की हिटलरशाही है. जहां कहीं भी ऐसा हो, वहां कानून का राज नहीं हो सकता.

यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की पीठ के समक्ष आया और इसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. पीठ ने राज्य के अधिकारियों की उनके ज्यादती भरे रवैये की आलोचना की.

"सीजेआई ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देते हुए कहा, "यह पूरी तरह से मनमानी है. उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया, आप केवल मौके पर गए और लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को सूचित किया."

इस पर न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, ने कहा, "यह मनमानी है. आप बुलडोजर लेकर नहीं आ सकते और रातों-रात घर नहीं तोड़ सकते. आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते. घरेलू सामानों का क्या? उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए. आप केवल ढोलकी कराकर लोगों से घर खाली करने और उन्हें ध्वस्त करने के लिए नहीं कह सकते. उचित नोटिस दिया जाना चाहिए."

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पीड़ित महराजगंज निवासी मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने स्वागत किया है. बता दें कि मनोज सपा सरकार में मंत्री रहे सुनील टिबड़ेवाल के बेटे हैं. मनोज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया है. कहा कि इस आदेश के बाद महराजगंज में जिन-जिन लोगों को दहशत फैलाकर खुद मकान तोड़ने को मजबूर किया गया, उन सभी को मुआवजा मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महराजगंज में गैरकानूनी ढंग से मनोज टिबड़ेवाल आकाश का मकान गिराया गया है. इसके लिए अफसर दोषी हैं. मुख्य सचिव तत्काल याचिकाकर्ता मनोज टिबड़ेवाल आकाश को 25 लाख का मुआवजा दें. साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि एक महीने के अंदर जांच कराकर समस्त दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल और विभागीय दंडात्मक कार्रवाई कर सुप्रीम कोर्ट को सूचित करें.

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि जहां कहीं भी बुलडोजर कार्रवाई होगी वहां पर इस आदेश का सख्ती से पालन करना होगा. मनमानी कर किसी का मकान नहीं गिराया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को सड़क या किसी तरह के सार्वजनिक निर्माण या अतिक्रमण हटाने के दौरान किसी मकान को गिराने से पहले सभी कानूनी प्रकियाओं का पालन करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में डिमार्केशन करने के साथ ही मकान मालिक को नोटिस और अन्य जानकारी भी समय पर देनी जरूरी है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल पहले 13 सितंबर 2019 को यूपी के महराजगंज जिले में मनोज टिबड़ेवाल आकाश के पैतृक मकान को बुलडोजरों से बिना विधिक प्रक्रिया के गिराए जाने की शिकायत का स्वतः संज्ञान लिया था.

ये भी पढ़ेंः BHU में स्नातक अब 4 साल का; नॉन JRF को भी मिलेगी फेलोशिप, कॉलेज के प्रोफेसर भी रख सकेंगे एक-एक पीएचडी स्कॉलर

महाराजगंज: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूपी के महाराजगंज में 5 साल पहले 2019 में हुई बुलडोजर कार्रवाई पर आज बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यूपी के 5 अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश देने के साथ-साथ पीड़ित व्यक्ति मनोज टिबड़ेवाल आकाश को 25 लाख रुपए मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाने के दौरान यूपी की योगी सरकार को फटकार भी लगाई. अधिकारियों से कहा कि आप बुलडोजर लेकर रातों-रात किसी का घर नहीं गिरा सकते. बिना किसी नोटिस के किसी के घर में घुसकर उसे ध्वस्त कर देना अराजकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना नोटिस या समय दिए किसी का मकान सिर्फ मुनादी करावकर गिराने की प्रक्रिया सरकार और अफसरों की हिटलरशाही है. जहां कहीं भी ऐसा हो, वहां कानून का राज नहीं हो सकता.

यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की पीठ के समक्ष आया और इसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. पीठ ने राज्य के अधिकारियों की उनके ज्यादती भरे रवैये की आलोचना की.

"सीजेआई ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देते हुए कहा, "यह पूरी तरह से मनमानी है. उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया, आप केवल मौके पर गए और लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को सूचित किया."

इस पर न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, ने कहा, "यह मनमानी है. आप बुलडोजर लेकर नहीं आ सकते और रातों-रात घर नहीं तोड़ सकते. आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते. घरेलू सामानों का क्या? उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए. आप केवल ढोलकी कराकर लोगों से घर खाली करने और उन्हें ध्वस्त करने के लिए नहीं कह सकते. उचित नोटिस दिया जाना चाहिए."

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पीड़ित महराजगंज निवासी मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने स्वागत किया है. बता दें कि मनोज सपा सरकार में मंत्री रहे सुनील टिबड़ेवाल के बेटे हैं. मनोज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया है. कहा कि इस आदेश के बाद महराजगंज में जिन-जिन लोगों को दहशत फैलाकर खुद मकान तोड़ने को मजबूर किया गया, उन सभी को मुआवजा मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महराजगंज में गैरकानूनी ढंग से मनोज टिबड़ेवाल आकाश का मकान गिराया गया है. इसके लिए अफसर दोषी हैं. मुख्य सचिव तत्काल याचिकाकर्ता मनोज टिबड़ेवाल आकाश को 25 लाख का मुआवजा दें. साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि एक महीने के अंदर जांच कराकर समस्त दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल और विभागीय दंडात्मक कार्रवाई कर सुप्रीम कोर्ट को सूचित करें.

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि जहां कहीं भी बुलडोजर कार्रवाई होगी वहां पर इस आदेश का सख्ती से पालन करना होगा. मनमानी कर किसी का मकान नहीं गिराया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को सड़क या किसी तरह के सार्वजनिक निर्माण या अतिक्रमण हटाने के दौरान किसी मकान को गिराने से पहले सभी कानूनी प्रकियाओं का पालन करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में डिमार्केशन करने के साथ ही मकान मालिक को नोटिस और अन्य जानकारी भी समय पर देनी जरूरी है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल पहले 13 सितंबर 2019 को यूपी के महराजगंज जिले में मनोज टिबड़ेवाल आकाश के पैतृक मकान को बुलडोजरों से बिना विधिक प्रक्रिया के गिराए जाने की शिकायत का स्वतः संज्ञान लिया था.

ये भी पढ़ेंः BHU में स्नातक अब 4 साल का; नॉन JRF को भी मिलेगी फेलोशिप, कॉलेज के प्रोफेसर भी रख सकेंगे एक-एक पीएचडी स्कॉलर

Last Updated : Nov 6, 2024, 10:52 PM IST
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