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साल 2024 में UP से खत्म हो गया माफियाराज, भाजपा विधायक की हत्या कराने वाले मुख्तार का भी अंत - UP MAFIA RULE

कई दशकों तक पूर्वांचल में जुर्म का सिक्का चलाने वाले माफिया मुख्तार अंसारी ने अस्पताल में तोड़ा था दम.

साल 2024 में यूपी से खत्म हो गया माफियाराज.
साल 2024 में यूपी से खत्म हो गया माफियाराज. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 6 hours ago

लखनऊ : यूपी में साल 2024 में कई माफिया और अपराधियों का खात्मा हुआ. हॉस्पिटल के आईसीयू में एक ऐसे माफिया का अंत हुआ जिसने तीन दशक तक पूर्वी यूपी में आतंक मचाया. राजनीति में एंट्री लेने पर वह जीत की गारंटी बन गया. माफिया मुख्तार अंसारी 28 अगस्त 2024 को जेल में बीमार हुआ. इसके बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया. इससे यूपी में बचा एक मात्र माफिया भी खत्म हो गया. आइए जानते हैं मुख्तार से जुड़े रोचक किस्से...

65 से अधिक मुकदमे, एक विधायक को सरेराह 500 से अधिक गोलियां मरवाना, बड़े से बड़े व्यापारियों का अपहरण करवाना. इसके बावजूद जुर्म साबित नहीं हो सका. साल 2017 में यूपी में योगी सरकार बनी. इसके बाद माफिया पर कार्रवाई का दौर शुरू हो गया. वर्षों से पंजाब जेल में पनाह लिए बैठे मुख्तार को यूपी की जेल तक लाया गया. एक-एक कर उसके गुर्गों की गिरफ्तारी हुई. आखिर में मुख्तार अंसारी को एक-एक मामले में सजा मिलनी शुरू हो गई.

मुख्तार अंसारी यूपी आने के बाद दो वर्ष एक माह जेल में बंद रहा. इस दौरान उसके पूरे अपराधिक साम्राज्य को योगी सरकार ने ध्वस्त किया. उसकी पत्नी, दोनों बेटों और यहां तक कि उसकी बहू के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए. गुर्गे एनकाउंटर में मारे गए. सैकड़ो को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. मुख्तार ने अपनी राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंपी यह सोचकर कि कम से कम विधायक बनने के बाद वह सुरक्षित तो रहेगा, लेकिन अब्बास और उसकी पत्नी निखहत भी जेल भेज दिए गए.

मुख्तार के परिवार पर भी कई मुकदमे.
मुख्तार के परिवार पर भी कई मुकदमे. (Photo Credit; ETV Bharat)

अपने काले साम्राज्य और परिवार को ध्वस्त होते देख मुख्तार बीमार पड़ गया. वर्ष 2023 में मुख्तारअंसारी के बेटे उमर ने मुख्तारकी जान को खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका में उमर कहा था कि मुख्तार अंसारी को उनके विश्वासपात्र से जानकारी मिली है कि उनकी जान को भारी खतरा है और उन्हें बांदा जेल में मारने की साजिश रची जा रही है. हालांकि 28 अगस्त 2024 को मुख्तार को दिल का दौड़ा पड़ा, उसे जिला अस्पताल ले जाया गया. यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इसी के साथ कई वर्ष का काला साम्राज्य 2024 के कुछ माह में एकदम से खत्म हो गया.

ऐसे हुई मुख्तार के साम्राज्य के अंत की शुरुआत : यूपी में 2017 में योगी सरकार बनी. दहशत में मुख्तार ने सांठगांठ कर 2019 को यूपी से पंजाब की जेल में बंद हो गया. योगी सरकार ने उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू करवाई. कोर्ट में विचाराधीन मुकदमों की पैरवी में तेजी लाने का काम किया. मुख्तार अंसारी के खिलाफ 58 मुकदमे उस समय दर्ज थे. 20 से अधिक मुकदमे कोर्ट में विचाराधीन थे.

कोर्ट ट्रायल के लिए मुख्तार अंसारी को यूपी लाने की कवायद हुई, लेकिन हर बार वो किसी न किसी जुगाड़ से यूपी पुलिस की कोशिशों को नाकाम कर रहा था. योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिर 6 अप्रैल 2021 को उसे यूपी लाने में पुलिस कामयाब रही. मुख्तार को बांदा जेल में दाखिल कर दिया गया. उसे हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया. 24 घंटे कैमरे से उस पर नजर रखी जा रही थी.

32 साल में पहली बार सुनाई गई सजा : यूपी लाने के बाद मुख्तार अंसारी पर चल रहे आपराधिक मुकदमो की पैरवी में तेजी आई. 23 सितम्बर 2022, ये वो तारीख थी, जब मुख्तार अंसारी को पहली बार किसी मामले में सजा सुनाई गयी थी. 2003 में जेलर को धमकाने के मामले में हाईकोर्ट ने उसे 7 वर्ष की कठोर सजा सुनाई. इसके बाद तो 7 मामलो में उसे सजा सुनाई जा चुकी थी, जिसमे उम्रकैद की भी सजा शामिल थी.

क्या है मुख्तार के परिवार का इतिहास : मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ था. उसके पिता का नाम सुब्हानल्लाह और मां राबिया थी. मुख्तार अंसारी के परिवार का इतिहास शौर्य से भरा है. उसके दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का साथ दिया था. वर्ष 1926-27 में मुख्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के अध्यक्ष थे. इतना ही नहीं मुख्तारअंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को वर्ष 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. पिता सुभानअल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट विचारधार के थे. वे स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे. मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगने वाले हामिद अंसारी भारत के उप राष्ट्रपति रह चुके हैं.

कई दशकों तक रहा मुख्तार का दबदबा.
कई दशकों तक रहा मुख्तार का दबदबा. (Photo Credit; ETV Bharat)

मुख्तार के बड़े भाई हैं सांसद : अफजाल अंसारी मुख्तार के बड़ा भाई हैं. वह गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक रहे. साल 2004, 2019 और 2024 में सांसद भी बने. मुख्तार के दूसरे भाई सिबकतुल्लाह वर्ष 2007 व 2012 के चुनाव में मोहम्मदाबाद से ही विधायक रह चुके हैं. मुख्तार अंसारी ने 1996 में बसपा के टिकट पर जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचा. इसके बाद वर्ष 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी मऊ सीट से विधानसभा पहुंच. साल 2007, 2012 और 2017 का चुनाव मुख्तार ने जेल में रहते लड़ा था और जीत भी हासिल की.

मुख्तार अंसारी के चर्चित हत्याकांड : यूपी में वर्ष 2005 में 29 नवंबर को मऊ के उसरी चट्टी में AK 47 से जितनी गोलियां निकली थी, शायद ही उससे पहले या उसके बाद निकली हो. दरअसल, इस दिन अंसारी परिवार से मोहम्मदाबाद की सीट छीनने वाले बीजेपी के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी. राय के ऊपर AK 47 से 500 राउंड फायरिंग हुई थी. इस गोलीकाण्ड में कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की मौत हुई थी.

इस घटना से 8 साल पहले मुख्तार ने एक ऐसा अपहरण किया था जिसका खुलासा कभी हो ही नही सका. दरअसल, कोयला व्यवसायी और विश्व हिन्दू परिषद के कोषाध्यक्ष नंद किशोर रूंगटा 22 जनवरी 1997 को अचानक लापता हो गए. उनके भाई ने उनके अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया. इस अपहरण कांड की जांच पुलिस, सीबीसीआईडी और सीबीआई ने की. सीबीआई ने मुख्तार अंसारी समेत पांच लोगो के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.

खुली जीप में बंदूक लेकर घूमता था मुख्तार : पूर्वांचल में कई वर्षों तक कार्यरत रहे वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि, अक्टूबर 2005 का वो दिन मैं नहीं भूल सकता हूं, जब मुख्तार अंसारी खुली जिप्सी में बंदूक लेकर दंगा प्रभावित इलाके में घूम रहा था. कृष्णानद राय की हत्या उसने जेल के अंदर रहकर करवाया. वह इस हत्याकांड से बरी तक हो गया. वह सिर्फ मऊ और गाजीपुर ही नहीं पूर्वांचल के हर एक जिले में अपनी पकड़ रखे हुआ था. ठेका उठाना हो या फिर कोई अपराध करना हो, उसकी इजाजत के बिना संभव ही नही था.

बीजेपी सरकार में शुरू हुई दुर्गति : 1986 से लेकर 2017 तक उसकी हर वक्त दहशत बनी रहती थी. हालांकि बीजेपी सरकार में उसकी दुर्गति शुरू तो हुई लेकिन यह किसी ने सपने में भी नही सोचा होगा कि वर्ष 2024 में दुर्गति इस कदर होगी कि वह यूपी की जेल में ऐसी स्थिति में बंद होगा कि उसमें शौचालय तक जाने की हिम्मत बची हो.

पूर्व आईपीएस अफसर राजेश पांडेय कहते हैं कि हर एक अपराधी का अंत निश्चित है. अब ये कब होगा यह उसकी नियति ही तय करती है. मुख्तार अंसारी ने जो कर्म किए उसके अनुसार उसे सजा मिली. उसने न जाने कितनों के घर उजाड़ दिए, पुलिस कर्मियों की हत्या की. 2024 में उसका अध्याय खत्म हो गया.

यह भी पढ़ें : माफिया बृजेश सिंह को बचाने के लिए मुख्तार अंसारी की सरकार ने कराई हत्या; सांसद अफजाल अंसारी

लखनऊ : यूपी में साल 2024 में कई माफिया और अपराधियों का खात्मा हुआ. हॉस्पिटल के आईसीयू में एक ऐसे माफिया का अंत हुआ जिसने तीन दशक तक पूर्वी यूपी में आतंक मचाया. राजनीति में एंट्री लेने पर वह जीत की गारंटी बन गया. माफिया मुख्तार अंसारी 28 अगस्त 2024 को जेल में बीमार हुआ. इसके बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया. इससे यूपी में बचा एक मात्र माफिया भी खत्म हो गया. आइए जानते हैं मुख्तार से जुड़े रोचक किस्से...

65 से अधिक मुकदमे, एक विधायक को सरेराह 500 से अधिक गोलियां मरवाना, बड़े से बड़े व्यापारियों का अपहरण करवाना. इसके बावजूद जुर्म साबित नहीं हो सका. साल 2017 में यूपी में योगी सरकार बनी. इसके बाद माफिया पर कार्रवाई का दौर शुरू हो गया. वर्षों से पंजाब जेल में पनाह लिए बैठे मुख्तार को यूपी की जेल तक लाया गया. एक-एक कर उसके गुर्गों की गिरफ्तारी हुई. आखिर में मुख्तार अंसारी को एक-एक मामले में सजा मिलनी शुरू हो गई.

मुख्तार अंसारी यूपी आने के बाद दो वर्ष एक माह जेल में बंद रहा. इस दौरान उसके पूरे अपराधिक साम्राज्य को योगी सरकार ने ध्वस्त किया. उसकी पत्नी, दोनों बेटों और यहां तक कि उसकी बहू के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए. गुर्गे एनकाउंटर में मारे गए. सैकड़ो को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. मुख्तार ने अपनी राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंपी यह सोचकर कि कम से कम विधायक बनने के बाद वह सुरक्षित तो रहेगा, लेकिन अब्बास और उसकी पत्नी निखहत भी जेल भेज दिए गए.

मुख्तार के परिवार पर भी कई मुकदमे.
मुख्तार के परिवार पर भी कई मुकदमे. (Photo Credit; ETV Bharat)

अपने काले साम्राज्य और परिवार को ध्वस्त होते देख मुख्तार बीमार पड़ गया. वर्ष 2023 में मुख्तारअंसारी के बेटे उमर ने मुख्तारकी जान को खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका में उमर कहा था कि मुख्तार अंसारी को उनके विश्वासपात्र से जानकारी मिली है कि उनकी जान को भारी खतरा है और उन्हें बांदा जेल में मारने की साजिश रची जा रही है. हालांकि 28 अगस्त 2024 को मुख्तार को दिल का दौड़ा पड़ा, उसे जिला अस्पताल ले जाया गया. यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इसी के साथ कई वर्ष का काला साम्राज्य 2024 के कुछ माह में एकदम से खत्म हो गया.

ऐसे हुई मुख्तार के साम्राज्य के अंत की शुरुआत : यूपी में 2017 में योगी सरकार बनी. दहशत में मुख्तार ने सांठगांठ कर 2019 को यूपी से पंजाब की जेल में बंद हो गया. योगी सरकार ने उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू करवाई. कोर्ट में विचाराधीन मुकदमों की पैरवी में तेजी लाने का काम किया. मुख्तार अंसारी के खिलाफ 58 मुकदमे उस समय दर्ज थे. 20 से अधिक मुकदमे कोर्ट में विचाराधीन थे.

कोर्ट ट्रायल के लिए मुख्तार अंसारी को यूपी लाने की कवायद हुई, लेकिन हर बार वो किसी न किसी जुगाड़ से यूपी पुलिस की कोशिशों को नाकाम कर रहा था. योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फिर 6 अप्रैल 2021 को उसे यूपी लाने में पुलिस कामयाब रही. मुख्तार को बांदा जेल में दाखिल कर दिया गया. उसे हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया. 24 घंटे कैमरे से उस पर नजर रखी जा रही थी.

32 साल में पहली बार सुनाई गई सजा : यूपी लाने के बाद मुख्तार अंसारी पर चल रहे आपराधिक मुकदमो की पैरवी में तेजी आई. 23 सितम्बर 2022, ये वो तारीख थी, जब मुख्तार अंसारी को पहली बार किसी मामले में सजा सुनाई गयी थी. 2003 में जेलर को धमकाने के मामले में हाईकोर्ट ने उसे 7 वर्ष की कठोर सजा सुनाई. इसके बाद तो 7 मामलो में उसे सजा सुनाई जा चुकी थी, जिसमे उम्रकैद की भी सजा शामिल थी.

क्या है मुख्तार के परिवार का इतिहास : मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ था. उसके पिता का नाम सुब्हानल्लाह और मां राबिया थी. मुख्तार अंसारी के परिवार का इतिहास शौर्य से भरा है. उसके दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का साथ दिया था. वर्ष 1926-27 में मुख्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के अध्यक्ष थे. इतना ही नहीं मुख्तारअंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को वर्ष 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. पिता सुभानअल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट विचारधार के थे. वे स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे. मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगने वाले हामिद अंसारी भारत के उप राष्ट्रपति रह चुके हैं.

कई दशकों तक रहा मुख्तार का दबदबा.
कई दशकों तक रहा मुख्तार का दबदबा. (Photo Credit; ETV Bharat)

मुख्तार के बड़े भाई हैं सांसद : अफजाल अंसारी मुख्तार के बड़ा भाई हैं. वह गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक रहे. साल 2004, 2019 और 2024 में सांसद भी बने. मुख्तार के दूसरे भाई सिबकतुल्लाह वर्ष 2007 व 2012 के चुनाव में मोहम्मदाबाद से ही विधायक रह चुके हैं. मुख्तार अंसारी ने 1996 में बसपा के टिकट पर जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचा. इसके बाद वर्ष 2002, 2007, 2012 और 2017 में भी मऊ सीट से विधानसभा पहुंच. साल 2007, 2012 और 2017 का चुनाव मुख्तार ने जेल में रहते लड़ा था और जीत भी हासिल की.

मुख्तार अंसारी के चर्चित हत्याकांड : यूपी में वर्ष 2005 में 29 नवंबर को मऊ के उसरी चट्टी में AK 47 से जितनी गोलियां निकली थी, शायद ही उससे पहले या उसके बाद निकली हो. दरअसल, इस दिन अंसारी परिवार से मोहम्मदाबाद की सीट छीनने वाले बीजेपी के तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी. राय के ऊपर AK 47 से 500 राउंड फायरिंग हुई थी. इस गोलीकाण्ड में कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की मौत हुई थी.

इस घटना से 8 साल पहले मुख्तार ने एक ऐसा अपहरण किया था जिसका खुलासा कभी हो ही नही सका. दरअसल, कोयला व्यवसायी और विश्व हिन्दू परिषद के कोषाध्यक्ष नंद किशोर रूंगटा 22 जनवरी 1997 को अचानक लापता हो गए. उनके भाई ने उनके अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया. इस अपहरण कांड की जांच पुलिस, सीबीसीआईडी और सीबीआई ने की. सीबीआई ने मुख्तार अंसारी समेत पांच लोगो के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.

खुली जीप में बंदूक लेकर घूमता था मुख्तार : पूर्वांचल में कई वर्षों तक कार्यरत रहे वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि, अक्टूबर 2005 का वो दिन मैं नहीं भूल सकता हूं, जब मुख्तार अंसारी खुली जिप्सी में बंदूक लेकर दंगा प्रभावित इलाके में घूम रहा था. कृष्णानद राय की हत्या उसने जेल के अंदर रहकर करवाया. वह इस हत्याकांड से बरी तक हो गया. वह सिर्फ मऊ और गाजीपुर ही नहीं पूर्वांचल के हर एक जिले में अपनी पकड़ रखे हुआ था. ठेका उठाना हो या फिर कोई अपराध करना हो, उसकी इजाजत के बिना संभव ही नही था.

बीजेपी सरकार में शुरू हुई दुर्गति : 1986 से लेकर 2017 तक उसकी हर वक्त दहशत बनी रहती थी. हालांकि बीजेपी सरकार में उसकी दुर्गति शुरू तो हुई लेकिन यह किसी ने सपने में भी नही सोचा होगा कि वर्ष 2024 में दुर्गति इस कदर होगी कि वह यूपी की जेल में ऐसी स्थिति में बंद होगा कि उसमें शौचालय तक जाने की हिम्मत बची हो.

पूर्व आईपीएस अफसर राजेश पांडेय कहते हैं कि हर एक अपराधी का अंत निश्चित है. अब ये कब होगा यह उसकी नियति ही तय करती है. मुख्तार अंसारी ने जो कर्म किए उसके अनुसार उसे सजा मिली. उसने न जाने कितनों के घर उजाड़ दिए, पुलिस कर्मियों की हत्या की. 2024 में उसका अध्याय खत्म हो गया.

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