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मर्डर केस में महिला को मिली थी उम्रकैद की सजा, 21 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 29, 2024, 7:24 PM IST

Supreme Court acquitted Balrampur woman: बलरामपुर में हत्या मामले में एक महिला को उम्रकैद की सजा मिली थी. 21 साल बाद अब उस (लड़की) यानी महिला को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली/रायपुर: साल 2000 में हुए एक मर्डर मामले में हत्या की आरोपी (लड़की) महिला को 21 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है. महिला पहले ही 8 साल जेल में बीता चुकी है. साल 2003 में निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराया था. अब 21 साल बाद महिला को बरी कर दिया गया है.

ये है पूरा मामला: दरअसल, साल 2000 में एक मर्डर मामले में बलरामपुर जिले की रहने वाली प्रमिला पर हत्या का आरोप लगा था. साल 2003 में निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराया था. दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के 21 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की इस महिला की सजा को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने महिला को बरी करते हुए कहा है कि अपराध के समय वह नाबालिग थी.

साल 2010 में हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका: महिला ने अपनी सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी. हाई कोर्ट ने साल 2010 में उसकी याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद भी महिला ने हिम्मत नहीं हारी. उसने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. पहली बार 2023 में उसके वकील की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में ये मुद्दा उठाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 13 सितंबर को सेशन कोर्ट को किशोरवय के मुद्दे में जांच करने के निर्देश दिए थे. मामले में हाल ही में हुई सुनवाई में महिला को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया.

बता दें घटना के समय यह महिला नाबालिग थी. उस वक्त उसकी उम्र 17 साल 9 माह 14 दिन थे. इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने महिला के सजा को रद्द कर दिया.

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नई दिल्ली/रायपुर: साल 2000 में हुए एक मर्डर मामले में हत्या की आरोपी (लड़की) महिला को 21 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है. महिला पहले ही 8 साल जेल में बीता चुकी है. साल 2003 में निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराया था. अब 21 साल बाद महिला को बरी कर दिया गया है.

ये है पूरा मामला: दरअसल, साल 2000 में एक मर्डर मामले में बलरामपुर जिले की रहने वाली प्रमिला पर हत्या का आरोप लगा था. साल 2003 में निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराया था. दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के 21 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की इस महिला की सजा को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने महिला को बरी करते हुए कहा है कि अपराध के समय वह नाबालिग थी.

साल 2010 में हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका: महिला ने अपनी सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी. हाई कोर्ट ने साल 2010 में उसकी याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद भी महिला ने हिम्मत नहीं हारी. उसने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. पहली बार 2023 में उसके वकील की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में ये मुद्दा उठाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 13 सितंबर को सेशन कोर्ट को किशोरवय के मुद्दे में जांच करने के निर्देश दिए थे. मामले में हाल ही में हुई सुनवाई में महिला को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया.

बता दें घटना के समय यह महिला नाबालिग थी. उस वक्त उसकी उम्र 17 साल 9 माह 14 दिन थे. इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने महिला के सजा को रद्द कर दिया.

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