लखनऊ: भ्रष्टाचार के मामलों में योगी सरकार की सख्ती का असर फिर देखने को मिला. पावर कारपोरेशन में हुए भ्रष्टाचार के आरोप में मेरठ और आजमगढ़ जिलों में तैनात बिजली विभाग के दो बड़े अफसर को प्रबंधन ने सस्पेंड कर दिया है. बिजली विभाग के दो अफसर पर भ्रष्टाचार के मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद सरकार के निर्देश पर ये कार्रवाई की गई है. अधीक्षण अभियंता पर ठेकेदारों से रिश्वत लेने की शिकायत थी. तो वहीं मुख्य अभियंता पर मानको के अनुरूप उपकरण उपलब्ध नहीं करने के मामले में दोषी पाए गए हैं.
बता दें कि, मेरठ में तैनात अधीक्षण अभियंता वेद प्रकाश कौशल के खिलाफ ठेकेदार से रिश्वत लेने की शिकायत मिली थी, उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने उपकेंद्रों की मरम्मत, पार्कों के सौंदरीकरण के लिए 41 करोड़ के टेंडर जारी करने के लिए ठेकेदार से 6 फीसदी राशि रिश्वत के तौर पर ली है. इसके अलावा उन पर भ्रष्टाचार के कई और शिकायतें पहले से चली आ रही थी. पिछले दिनों अधिशासी अभियंता के तबादले के बाद पीवीवीएनएल में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. इसके बाद अधिशासी अभियंता ने अधीक्षण अभियंता निदेशक पीवीवीएनएल और एमडी पर आरोप लगाते हुए शासन से पूरे मामले की शिकायत की थी. जिसके बाद यह पूरा मामला तूल पकड़ा था.
वहीं दूसरे मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे आजमगढ़ के मुख्य अभियंता राघवेंद्र पर भी निलंबन की गाज गिरी है. पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष ने सस्पेंड कर, उन्हें प्रबंध निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. मुख्य अभियंता राघवेंद्र साल 2022-23 में अलीगढ़ में विद्युत वितरण मंडल द्वितीय के अधीक्षण अभियंता के रूप में तैनात थे. इस दौरान वहां पर कार्रवाई संस्था गणेश इंटरप्राइजेज की ओर से मानक के अनुसार सामान उपलब्ध न करने का मामला सामने आया था. जांच रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष गोयल ने उन्हें दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया है.
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