शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने तेरह साल पहले हिमाचल प्रदेश के हक में एक फैसला दिया था. तेरह साल से हिमाचल की अलग-अलग सरकारें उस फैसले के तहत अपने हक के लिए लड़ रही हैं लेकिन अब तक वो हक नहीं मिल पाया है. अब सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने 6500 करोड़ रुपए के एरियर के लिए नए सिरे से प्रयास तेज कर दिए हैं. हिमाचल सरकार के ये प्रयास सिरे चढ़े तो खजाने में 6500 करोड़ रुपए आएंगे. इस समय सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए ये रकम बड़ी राहत होगी. यही कारण है कि सरकार ने इस एरियर के हक के लिए जी-जान लगाया है.
ये एरियर बीबीएमबी (भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) के तहत आने वाली विद्युत परियोजनाओं से जुड़ा हुआ है. ये परियोजनाएं हिमाचल की जमीन पर बनी हैं. कायदे से हिमाचल को इसका लाभ मिलना है. सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2011 में हिमाचल के हक में फैसला दिया है. हिमाचल का इस मामले में पंजाब व हरियाणा सरकार के साथ विवाद है. कानूनी रूप से हिमाचल का पक्ष मजबूत है. वहीं, सितंबर महीने में इससे जुड़े एक मामले की सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है.
पूरे मामले से वाकिफ हैं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर
चूंकि बीबीएमबी परियोजनाओं के विवाद से हरियाणा भी जुड़ा हुआ है और इस समय केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं, लिहाजा उन्हें पूरे मामले की समझ है. मनोहर लाल खट्टर के हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर रहते हुए हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उनसे इस विवाद पर कई मर्तबा बातचीत की हुई है. जुलाई महीने में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात कर इस विषय को उठाया था. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने इस मामले में हिमाचल को मदद का भरोसा दिलाया है. खट्टर की पहल पर ही देश के अटॉर्नी जनरल के साथ तीनों संबंधित राज्यों यानी पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के अफसरों की मीटिंग तय की जाएगी. इस मीटिंग में एरियर आदि से जुड़े मसलों पर चर्चा की जाएगी.
कैसे होगा एरियर की भुगतान, निकाला जाएगा रास्ता
हिमाचल को मिलने वाला एरियर किस रूप में खजाने में आएगा, इसका रास्ता निकालने के लिए बैठक होगी. भुगतान का फार्मूला क्या हो, इसके लिए हिमाचल सरकार के अफसर भी अपने हक के लिए अकाट्य तर्क तैयार करने में जुटे हैं. राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग के अफसर व इस मामले में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सलाहकार रामसुभग सिंह सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. एरियर का मसला देखा जाए तो बीबीएमबी परियोजनाओं में हिमाचल के हक में करीब 1300 करोड़ यूनिट बिजली बन रही है. पहले हिमाचल सरकार ने एरियर का भुगतान धन के रूप में करने की मांग उठाई थी. इस मांग पर पंजाब एवं हरियाणा सरकारों ने सहमति नहीं दिखाई. दोनों पड़ोसी राज्य धन के रूप में एरियर के भुगतान पर राजी नहीं हैं. यही कारण है कि भुगतान के अन्य माध्यमों पर बातचीत चल रही है.
6500 करोड़ रुपए है 1300 करोड़ यूनिट बिजली की कीमत
हिमाचल को बीबीएमबी की परियोजनाओं से एरियर के रूप में जो हक मिलना है, उसकी कीमत 6500 करोड़ रुपए बन रही है. ये कीमत 1300 करोड़ यूनिट बिजली की है. चूंकि पंजाब एवं हरियाणा ने धन के रूप में भुगतान पर ना-नुकर की है, लिहाजा एरियर की कैलकुलेशन बिजली की यूनिट्स के रूप में की गई तो ये 1300 करोड़ यूनिट बनती है. अब इसका भुगतान किस रूप में होगा, ये आपस में तय होगा. भुगतान के फॉर्मूले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. ये सुनवाई अगले महीने यानी सितंबर में प्रस्तावित है. उस सुनवाई में अटार्नी जनरल को अपनी रिपोर्ट अदालत में सौंपनी है. लिहाजा केंद्र सरकार भी तीनों राज्यों के विवाद को सुलझाना चाहती है.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने एरियर के भुगतान के फार्मूले पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने एक रिपोर्ट तलब की है. इस रिपोर्ट में सभी राज्यों की सहमति से किसी फार्मूले पर पहुंचने को कहा है. यही कारण है कि कुछ समय पहले दिल्ली में अटॉर्नी जनरल ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव सहित पंजाब, हरियाणा व हिमाचल के अफसरों के साथ मीटिंग भी की है. इस संबंध में एक और बैठक इसी महीने हो सकती है.
क्या चाहता है हिमाचल ?
हिमाचल प्रदेश बीबीएमबी के तहत डैहर पावर प्रोजेक्ट, भाखड़ा पावर प्रोजेक्ट व पौंग डैम पावर प्रोजेक्ट में अपने हक का एरियर चाहता है. बीबीएमबी परियोजनाओं में पहले हिमाचल का हिस्सा ढाई फीसदी थी. पंजाब पुनर्गठन के बाद ये हिस्सा 7.19 प्रतिशत तय हुआ. वीरभद्र सिंह सरकार के समय दो दशक पूर्व हिमाचल सरकार ने अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया. सुप्रीम कोर्ट से 2011 में हिमाचल के हक में फैसला आया तो राज्य में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा सरकार थी. उसके बाद फिर वीरभद्र सिंह सरकार आई. वर्ष 2017 में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में आई और अब सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार है, लेकिन हिमाचल को हक नहीं मिला है.
अब ताजा स्थिति ये है कि पंजाब और हरियाणा चाहते हैं कि हिमाचल प्रदेश प्रोजेक्ट निर्माण की लागत का अपने हिस्से का भुगतान वर्तमान दरों पर करे. हिमाचल का तर्क है कि वो निर्माण लागत में अपना हिस्सा देने को तैयार है, लेकिन ये हिस्सा उस समय की कीमत को दिया जाएगा, जब ये प्रोजेक्ट बने थे. हिमाचल का कहना है कि पड़ोसी राज्य उसका हक न देने के लिए बहाने बनाते हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी हक नहीं मिल रहा है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा "राज्य सरकार सभी मंचों पर अपना पक्ष मजबूती के साथ रख रही है. बीबीएमबी परियोजनाओं में अपने हक के लिए सरकार ने विगत कुछ समय में कई स्टेप उठाए हैं. इसके अलावा शानन बिजलीघर को वापस लेने के लिए भी सारी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. बीबीएमबी परियोजनाओं में हिमाचल के हक के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी".
हिमाचल अपने हक की लड़ाई बीते कई सालों से लड़ रहा है. हिमाचल प्रदेश के हक में देश की सबसे बड़ी अदालत भी फैसला सुना चुकी है. जिसे एक दशक से अधिक का समय बीत चुका है. इस बीच केंद्र से लेकर तीनों राज्यों में सरकारें बदल चुकी हैं लेकिन हक के लिए हिमाचल की जद्दोजहद लगातार जारी है.
पंजाब को 60 और हरियाणा को करना है 40 फीसदी भुगतान
बीबीएमबी परियोजनाओं का लाभ पंजाब और हरियाणा जमकर उठा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2011 में फैसला दिया था कि बीबीएमबी की तीन परियोजनाओं में हिमाचल को उसका हक मिलना चाहिए. भाखड़ा पावर प्रोजेक्ट से हिमाचल को 1966 से लेकर वर्ष 2011 तक के एरियर का भुगतान करने के निर्देश हैं. इसी प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने डैहर पावर प्रोजेक्ट में से 1977 से 2011 तक और पौंग डैम परियोजनाओं से वर्ष 1978 से लेकर 2011 तक के एरियर का भुगतान करने को कहा है.
इसमें से पंजाब सरकार ने 60 प्रतिशत व हरियाणा सरकार ने 40 प्रतिशत का भुगतान करना है. इन परियोजनाओं में पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत हिमाचल को 7.19 प्रतिशत हिस्सा मिलना है. अब देखना है कि अटार्नी जनरल सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट में क्या पक्ष रखते हैं. हिमाचल सरकार ने तो इस बार आर-पार की लड़ाई के लिए तैयारी की हुई है.