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राधास्वामी सत्संग ब्यास के भोटा अस्पताल के मामले ने फिर छेड़ा लैंड सीलिंग एक्ट का राग, क्या सुक्खू सरकार सिरे चढ़ा पाएगी मामला?

राधास्वामी सत्संग डेरा ब्यास से जुड़े भोटा अस्पताल के बहाने हिमाचल में एक बार फिर लैंड सीलिंग एक्ट चर्चा में है. जानिए पूरा मामला.

हिमाचल लैंड सीलिंग एक्ट
हिमाचल लैंड सीलिंग एक्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 17 hours ago

Updated : 17 hours ago

शिमला: राधास्वामी सत्संग ब्यास यानी डेरा बाबा जैमल सिंह ब्यास पंजाब का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह महाराज के साथ आशीर्वाद लेने के लिए कद्दावर नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. इसी डेरा ब्यास के पास हिमाचल में सैकड़ों बीघा जमीन है. हमीरपुर के भोटा में डेरा ब्यास एक धर्मार्थ अस्पताल चलाता है, ये अस्पताल डेरा ब्यास की सिस्टर आर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी की पोजेशन में है. अब डेरा ब्यास प्रबंधन ये चाहता है कि जमीन का मालिकाना हक भी महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर कर दिया जाए.

इसके लिए सरकार को आग्रह पत्र दिया गया है. डेरा ब्यास प्रबंधन ने ऐसा न होने की सूरत में पहली दिसंबर से अस्पताल बंद करने का नोटिस गेट पर चिपकाया था, लेकिन उसी दिन यानी रविवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई और फैसला लिया कि विधानसभा के विंटर सेशन के पहले ही दिन लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन का बिल रखा जाएगा. अब यहां सवाल पैदा होता है कि आखिर क्या है दि हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट,1972 और क्या सुखविंदर सिंह सरकार इस मामले को सिरे चढ़ा पाएगी. आगे की पंक्तियों में इस सारे मामले को आसान शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे.

क्या है लैंड सीलिंग एक्ट, क्यों पड़ी जरूरत?

हिमाचल एक छोटा पहाड़ी राज्य है. यहां खेती लायक जमीन की उपलब्धता बहुत कम है. हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार इस तथ्य से भली-भांति परिचित थे कि छोटे पहाड़ी में अधिकांश ग्रामीण खेती-बाड़ी पर निर्भर होंगे. यदि उनकी जमीनों को धन्ना सेठों से बचाने का प्रयास न किया गया तो बाहरी राज्यों के अमीर लोग यहां जमीन खरीदते रहेंगे. ऐसे में बाहरी राज्यों के लोगों के लिए जमीन खरीदने की संभावना न के बराबर रहें, इसके लिए धारा-118 का प्रावधान किया गया. साथ ही कोई व्यक्ति बहुत अधिक जमीन न रख सके, इसके लिए हिमाचल में सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट भी लागू किया गया. हिमाचल में बाहरी राज्यों का कोई व्यक्ति यदि जमीन खरीदना चाहता है तो उसे राज्य सरकार के पास आवेदन करना होता है. तय प्रक्रिया के बाद ही उसे जमीन खरीदने की अनुमति मिलती है. इसके अलावा लैंड सीलिंग एक्ट में भी वर्गीकरण कर अधिकतम जमीन रखने की सीमा तय की गई है.

कितना रख सकते हैं जमीन

लैंड सीलिंग एक्ट के चैप्टर-दो के प्रावधानों के अनुसार साल में दो फसलें देने वाली और पानी से लगती जमीन 10 एकड़ रखी जा सकती है. यानी ऐसी कंडीशन में लैंड की सीलिंग दस एकड़ तय की गई है. साल में सिंचाई सुविधा युक्त एक फसल देने वाली जमीन 15 एकड़ रखी जा सकती है. अन्य बागीचों के लिए जमीन रखने की सीमा 30 एकड़ है. जनजातीय इलाकों के लिए ये सीमा 70 एकड़ है. एक्ट के प्रावधान राज्य व केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली जमीनों व पंजीकृत सहकारी कृषि समितियों पर लागू नहीं होते. इसके अलावा चाय बागानों को भी छूट है. साथ ही उस धार्मिक संस्था को भी लैंड सीलिंग एक्ट में तय सीमा से अधिक जमीन रखने की छूट है, जो धार्मिक, सामाजिक कार्यों के साथ जाति-पाति के खिलाफ व नशे की बुराई को दूर करने का काम कर रही हो.

इस कड़ी में राधास्वामी सत्संग ब्यास को भी लैंड सीलिंग एक्ट में छूट मिली है. प्रदेश में यही एकमात्र धार्मिक संस्था है, जिसे एक्ट में छूट मिली है, लेकिन ये छूट शर्त सहित है. छूट पाने वाली ये धार्मिक संस्था न तो जमीन को लीज पर दे सकती है, न ही गिफ्ट डीड कर सकती है और न ही मार्टगेज कर सकती है. अब संस्था चाहती है कि भोटा चैरिटेबल अस्पताल की जमीन का मालिकाना हक महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को दिया जाए.

2014 में वीरभद्र सरकार के समय मिली छूट

राधास्वामी सत्संग ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट में वर्ष 2014 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय में छूट मिली थी. लैंड सीलिंग एक्ट की धारा 5 में संशोधन के जरिए छूट मिली थी, लेकिन साथ ही राइडर यानी शर्तें भी लगाई गई थी. यानी छूट की आड़ में संस्था न तो जमीन की लीज कर सकती थी, न ही गिफ्ट डीड या मॉर्टगेज. यदि छूट हासिल करने वाली संस्था शर्तों का उल्लंघन करती है तो जमीन सरकार में निहित हो जाएगी. सरकार उस जमीन को अपने में निहित यानी वेस्ट कर सकती है. चूंकि राज्य का लैंड सीलिंग एक्ट संविधान द्वारा प्रोटेक्टेड यानी संरक्षित एक्ट है, लिहाजा विधानसभा में बिल पास होने के बाद ये राष्ट्रपति भवन जाएगा.

वर्ष 2017 में भी डेरा ब्यास ने मांगी थी सरप्लस जमीन बेचने की छूट

वर्ष 2017 में प्रदेश में वीरभद्र सिंह सरकार के समय डेरा ब्यास प्रबंधन ने सरकार के समक्ष एक आग्रह पत्र दिया और मांग उठाई कि उन्हें हिमाचल में अपनी सरप्लस लैंड बेचने की अनुमति दी जाए. वीरभद्र सिंह सरकार ने एकबारगी फैसला कर भी लिया था, लेकिन बाद में वापस ले लिया. हिमाचल में सरकार कोई भी हो, धारा-118 व लैंड सीलिंग एक्ट पर हाथ डालने से परहेज करती है. अब सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने राधास्वामी सत्संग ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए बिल लाने का फैसला लेकर बड़ी छूट देने का प्रयास किया है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार धर्मार्थ अस्पताल की सुविधा को निरंतर जारी रखने के लिए विधेयक लाने का फैसला लिया है. इसके लिए ड्राफ्ट तैयार करने को कहा गया है. विंटर सेशन के पहले दिन बिल लाया जाएगा.

एडवोकेट जनरल अनूप रतन के अनुसार राधास्वामी सत्संग ब्यास के आग्रह का यह मामला लैंड सीलिंग एक्ट के अनुभाग 5 से लेकर 7 तक जुड़ा हुआ है. पिछले चार दशकों से अधिक समय से विभिन्न धार्मिक संस्थाओं को राज्य के लोग आस्था के वशीभूत जमीन भेंट करते आये हैं. ये भी ध्यान रखने वाली बात है कि अगर सड़क बनाने के लिए सरकार ने कोई ज़मीन इस्तेमाल की है, तो लोग अब उस जमीन के पैसे मांग रहे हैं, पर धार्मिक संस्थाओं को जमीन दान कर देते हैं. खैर, यह अलग विषय है. फिलहाल आरएसएसबी इस अस्पताल का संचालन अपनी दूसरी सोसायटी के माध्यम से कर रही है.

ब्यास सोसायटी चाहती है कि अस्पताल की जमीन का मालिकाना हक दूसरी सोसाइटी को दे दिया जाए. यानी महाराज जगत सिंह के नाम वाली सोसाईटी को दिया जाए. इसे करने में लैंड सीलिंग एक्ट की रोक लगी है. आरएसएसबी उपरोक्त प्रावधान में संशोधन करने की मांग कर रही है. इस मामले में सीएम ने सरकार का रुख स्पष्ट किया है. सीएम ने कहा है कि सरकार विंटर सेशन में इस से जुड़ा बिल लाएगी.

ये भी पढ़ें: राधा स्वामी सत्संग ब्यास के भोटा चैरिटेबल अस्पताल का मामला, विंटर सेशन के पहले दिन आएगा बिल

शिमला: राधास्वामी सत्संग ब्यास यानी डेरा बाबा जैमल सिंह ब्यास पंजाब का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह महाराज के साथ आशीर्वाद लेने के लिए कद्दावर नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. इसी डेरा ब्यास के पास हिमाचल में सैकड़ों बीघा जमीन है. हमीरपुर के भोटा में डेरा ब्यास एक धर्मार्थ अस्पताल चलाता है, ये अस्पताल डेरा ब्यास की सिस्टर आर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी की पोजेशन में है. अब डेरा ब्यास प्रबंधन ये चाहता है कि जमीन का मालिकाना हक भी महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर कर दिया जाए.

इसके लिए सरकार को आग्रह पत्र दिया गया है. डेरा ब्यास प्रबंधन ने ऐसा न होने की सूरत में पहली दिसंबर से अस्पताल बंद करने का नोटिस गेट पर चिपकाया था, लेकिन उसी दिन यानी रविवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई और फैसला लिया कि विधानसभा के विंटर सेशन के पहले ही दिन लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन का बिल रखा जाएगा. अब यहां सवाल पैदा होता है कि आखिर क्या है दि हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट,1972 और क्या सुखविंदर सिंह सरकार इस मामले को सिरे चढ़ा पाएगी. आगे की पंक्तियों में इस सारे मामले को आसान शब्दों में समझने का प्रयास करेंगे.

क्या है लैंड सीलिंग एक्ट, क्यों पड़ी जरूरत?

हिमाचल एक छोटा पहाड़ी राज्य है. यहां खेती लायक जमीन की उपलब्धता बहुत कम है. हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार इस तथ्य से भली-भांति परिचित थे कि छोटे पहाड़ी में अधिकांश ग्रामीण खेती-बाड़ी पर निर्भर होंगे. यदि उनकी जमीनों को धन्ना सेठों से बचाने का प्रयास न किया गया तो बाहरी राज्यों के अमीर लोग यहां जमीन खरीदते रहेंगे. ऐसे में बाहरी राज्यों के लोगों के लिए जमीन खरीदने की संभावना न के बराबर रहें, इसके लिए धारा-118 का प्रावधान किया गया. साथ ही कोई व्यक्ति बहुत अधिक जमीन न रख सके, इसके लिए हिमाचल में सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट भी लागू किया गया. हिमाचल में बाहरी राज्यों का कोई व्यक्ति यदि जमीन खरीदना चाहता है तो उसे राज्य सरकार के पास आवेदन करना होता है. तय प्रक्रिया के बाद ही उसे जमीन खरीदने की अनुमति मिलती है. इसके अलावा लैंड सीलिंग एक्ट में भी वर्गीकरण कर अधिकतम जमीन रखने की सीमा तय की गई है.

कितना रख सकते हैं जमीन

लैंड सीलिंग एक्ट के चैप्टर-दो के प्रावधानों के अनुसार साल में दो फसलें देने वाली और पानी से लगती जमीन 10 एकड़ रखी जा सकती है. यानी ऐसी कंडीशन में लैंड की सीलिंग दस एकड़ तय की गई है. साल में सिंचाई सुविधा युक्त एक फसल देने वाली जमीन 15 एकड़ रखी जा सकती है. अन्य बागीचों के लिए जमीन रखने की सीमा 30 एकड़ है. जनजातीय इलाकों के लिए ये सीमा 70 एकड़ है. एक्ट के प्रावधान राज्य व केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली जमीनों व पंजीकृत सहकारी कृषि समितियों पर लागू नहीं होते. इसके अलावा चाय बागानों को भी छूट है. साथ ही उस धार्मिक संस्था को भी लैंड सीलिंग एक्ट में तय सीमा से अधिक जमीन रखने की छूट है, जो धार्मिक, सामाजिक कार्यों के साथ जाति-पाति के खिलाफ व नशे की बुराई को दूर करने का काम कर रही हो.

इस कड़ी में राधास्वामी सत्संग ब्यास को भी लैंड सीलिंग एक्ट में छूट मिली है. प्रदेश में यही एकमात्र धार्मिक संस्था है, जिसे एक्ट में छूट मिली है, लेकिन ये छूट शर्त सहित है. छूट पाने वाली ये धार्मिक संस्था न तो जमीन को लीज पर दे सकती है, न ही गिफ्ट डीड कर सकती है और न ही मार्टगेज कर सकती है. अब संस्था चाहती है कि भोटा चैरिटेबल अस्पताल की जमीन का मालिकाना हक महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को दिया जाए.

2014 में वीरभद्र सरकार के समय मिली छूट

राधास्वामी सत्संग ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट में वर्ष 2014 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय में छूट मिली थी. लैंड सीलिंग एक्ट की धारा 5 में संशोधन के जरिए छूट मिली थी, लेकिन साथ ही राइडर यानी शर्तें भी लगाई गई थी. यानी छूट की आड़ में संस्था न तो जमीन की लीज कर सकती थी, न ही गिफ्ट डीड या मॉर्टगेज. यदि छूट हासिल करने वाली संस्था शर्तों का उल्लंघन करती है तो जमीन सरकार में निहित हो जाएगी. सरकार उस जमीन को अपने में निहित यानी वेस्ट कर सकती है. चूंकि राज्य का लैंड सीलिंग एक्ट संविधान द्वारा प्रोटेक्टेड यानी संरक्षित एक्ट है, लिहाजा विधानसभा में बिल पास होने के बाद ये राष्ट्रपति भवन जाएगा.

वर्ष 2017 में भी डेरा ब्यास ने मांगी थी सरप्लस जमीन बेचने की छूट

वर्ष 2017 में प्रदेश में वीरभद्र सिंह सरकार के समय डेरा ब्यास प्रबंधन ने सरकार के समक्ष एक आग्रह पत्र दिया और मांग उठाई कि उन्हें हिमाचल में अपनी सरप्लस लैंड बेचने की अनुमति दी जाए. वीरभद्र सिंह सरकार ने एकबारगी फैसला कर भी लिया था, लेकिन बाद में वापस ले लिया. हिमाचल में सरकार कोई भी हो, धारा-118 व लैंड सीलिंग एक्ट पर हाथ डालने से परहेज करती है. अब सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने राधास्वामी सत्संग ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए बिल लाने का फैसला लेकर बड़ी छूट देने का प्रयास किया है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार धर्मार्थ अस्पताल की सुविधा को निरंतर जारी रखने के लिए विधेयक लाने का फैसला लिया है. इसके लिए ड्राफ्ट तैयार करने को कहा गया है. विंटर सेशन के पहले दिन बिल लाया जाएगा.

एडवोकेट जनरल अनूप रतन के अनुसार राधास्वामी सत्संग ब्यास के आग्रह का यह मामला लैंड सीलिंग एक्ट के अनुभाग 5 से लेकर 7 तक जुड़ा हुआ है. पिछले चार दशकों से अधिक समय से विभिन्न धार्मिक संस्थाओं को राज्य के लोग आस्था के वशीभूत जमीन भेंट करते आये हैं. ये भी ध्यान रखने वाली बात है कि अगर सड़क बनाने के लिए सरकार ने कोई ज़मीन इस्तेमाल की है, तो लोग अब उस जमीन के पैसे मांग रहे हैं, पर धार्मिक संस्थाओं को जमीन दान कर देते हैं. खैर, यह अलग विषय है. फिलहाल आरएसएसबी इस अस्पताल का संचालन अपनी दूसरी सोसायटी के माध्यम से कर रही है.

ब्यास सोसायटी चाहती है कि अस्पताल की जमीन का मालिकाना हक दूसरी सोसाइटी को दे दिया जाए. यानी महाराज जगत सिंह के नाम वाली सोसाईटी को दिया जाए. इसे करने में लैंड सीलिंग एक्ट की रोक लगी है. आरएसएसबी उपरोक्त प्रावधान में संशोधन करने की मांग कर रही है. इस मामले में सीएम ने सरकार का रुख स्पष्ट किया है. सीएम ने कहा है कि सरकार विंटर सेशन में इस से जुड़ा बिल लाएगी.

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Last Updated : 17 hours ago
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